नहि रहलाह महान मैथिली-मिथिला अभियानी ‘संपादक सत्यानन्द पाठक-गुआहाटी’

नहि रहलाह मैथिली-मिथिलाक महान् सेवक - अभियानी - दैनिक पुर्वोदय हिन्दी अखबारक संपादक बाबु सत्यानन्द पाठक

गुआहाटी, अगस्त २१, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

अत्यन्त दुखद समाचार भेटल अछि मैथिली-मिथिला जगत् केँ!

satyanand pathakपूर्वोदय दैनिक केर संपादक आ मैथिली-मिथिलाक महान् कार्यकर्ता – गुआहाटी केर शेर-ए-मिथिला – सत्यानन्द पाठक केर असामयिक निधन केर समाचार भेटल अछि।

फेसबुक पर पहिले ई जानकारी अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक महासचिव रत्नेश्वर झा द्वारा अपडेट कैल पढलाक बाद हुनकर निजी फेसबुक प्रोफाइल पर गेला सँ एक आरो सज्जन द्वारा एखन सँ दुइ घंटा पूर्व एहि दुखद समाचार केर जानकारी भेटल।

विदित हो जे अपन कार्यकुशलता लेल सर्वविदित व्यक्तित्व – शान्त, शालीन आ हँसमुख – सदिखन कर्मवीर बनि जीवन व्यतीत कएनिहार शख्स केर एहेन असामयिक निधन सँ हम सब डोलि गेलहुँ अछि। मैथिली-मिथिला केर वास्ते ई अपूरणीय क्षति थीक।

प्रत्येक वर्ष गुआहाटीक वसुधा पर मैथिलीक झंडा फहरेबाक महान् कार्य करैत आबि रहल छलाह। कला, संस्कार, साहित्य आ समाचार – हर क्षेत्र मे सत्यानन्द बाबुक योगदान रहैत छलन्हि। पुर्वोत्तर मैथिल नाम सँ एकटा त्रैमासिक मैथिली पत्रिकाक प्रकाशन सेहो ओ अनवरत करैत आबि रहल छलाह।

युवा केन्द्रित अभियान सँ काफी प्रेरित रहैत सदैव कोनो कार्य मे सहयोग करबाक लेल आतूर रहैत छलाह आदरणीय सत्यानन्द बाबु। गुआहाटी जाय तऽ हुनकर सान्निध्य पेबाक लेल कनिको न कनिको समय निकालिये टा लैत रही। ओ मिथिला आवाज पत्रिकाक प्रकाशन सँ सेहो काफी उत्साहित भेल छलाह। एकर सफलताक वास्ते ओ हरेक स्तर पर सहयोग करबाक लेल तत्पर रहैत छलाह।

हुनका संग बितायल एक-एक क्षण केँ स्मृति मे आनि पुण्यात्माक चीर शान्ति लेल ईश्वर सँ प्रार्थना करैत छी। एकटा महान् व्यक्तित्व एहि पृथ्वी सँ अन्य बेहतरीन धरा लेल प्रस्थान कए गेलाह, हम समस्त मैथिल लेल ई शोकक घड़ी अछि। शोकाकुल परिवार प्रति धैर्य धारण करबाक हिम्मत पेबाक लेल ईश्वर सँ प्रार्थना करैत छी।

असामयिक मृत्युक कारण नहि पता चलल अछि, पता लगला पर विशेष बुलेटिन द्वारा अपने लोकनिकेँ समाचार सँ अवगत करायब। पिछला बेर भेंट मे अपन बचियाक अस्वस्थता प्रति गंभीर प्रयास सँ सब किछु ठीकठाक होयबाक बात भेल छल। संगहि सिलिगुड़ी मे सेहो हुनकर निवास-स्थल छल, जतय किछु दिनक प्रवास उपरान्त गुआहाटी पहुँचला पर पुन: भेंटघांट होयबाक छल। मुदा आब ओ एहि धरा पर हमरा सबकेँ भेंट नहि देता। ईश्वर हिनक आत्माकेँ चीर शान्ति प्रदान करैथ।

– संपादक