नैतिक कथा
– प्रवीण नारायण चौधरी
“बात ई नहि छैक जे ओ अपन मने विवाह कय लेलक, सिर्फ एहि पर सोचू जे पिंकी जाहि तरहें एतेक उच्च परिष्कृत शिक्षा ग्रहण कयलक आ तेकर बादो पिता के परेशान होइत देखलक तऽ ओ करबे कि करितय? ओकर मजबूरी के आखिर किऐक नहि सोचि रहल छी अहाँ सभ? यदि ओ समय नहि देने रहैत तखन आइ केओ कहि सकैत छलैक जे कुल-खानदान के मर्यादा के उल्लंघन करैत पिंकी अनजाती-अनमूला आ ओहो जतय विवाह लेल हमरा लोकनिक पूर्वज सोचितो नहि छलाह ताहिठाम के लड़का के संग विवाह कयलक…” तामशे लाल मुदा वचन होशियारी सऽ निकालि रहल छल गुणा बाबु! अपन समाज के लोक सभ एक तरफ भीड़ लगौने देखि अपन बहिन के पक्ष लऽ रहल छल ओ। ओकर अवस्था एहेन छलैक जे नहि तऽ एम्हर आ नहिये ओम्हर। बस किंकर्तब्यविमूढ अवस्थामें छल… लेकिन कैल कि जा सकैत छैक … ई सोचि अपन पिता के झूकल माथ के पुनः समाज के चाप विरुद्ध ठाड़्ह होयबाक लेल अथक प्रयास कय रहल छल गुणा।
समाज के लोक सेहो चुप छल। लेकिन के रोकि सकलैक अछि आइ धैर अधलाही गामवाली के…? ओ तऽ सगरो गाम में घूमि-घूमि बुझू तऽ चिकैरते बजने फिरल जे गै दाइ गै दाइ… गै कोन जमाना आबि गेलौ गै दाइ… आब तऽ बाबुसाहेब के बेटी सभ एहेन काज करय लगलौ गै दाइ। बाबुसाहेब के सेहो बस गामहि के चिन्ता। आखिर कोना मुँह देखायब लोक के! काल्हि धरि तऽ शान छल जे गरदैन केकरो आगाँ नहि झुकल… मुदा ई कि? बेटीके पढा-लिखा के डाक्टर बनेलहुँ जे ई मिथिलाके शान बनत आ अपन मिथिला नगरिया के शोभा बनत… आ आइ एहेन दिन आबि गेल जे मिथिला सऽ बहुत दूर भदेसके लड़का संग विवाह कयलाक बाद पिंकी फिल्मी स्टाइलमें ‘पापाजी! आशीर्वाद दऽ दियऽ हमर सभके कहि सीनाजोड़ी करय लागल अछि। दलान पर जाबत ई सभ नाटक होइत रहल आ एम्हर अधलाही गामवाली समूचा गामके बाले-बच्चे-बुढे-स्त्रिगणे-पुरुषे नोति अयलीह… जाहि सऽ भीड़ आरो उग्र बनि गेल छल बाबुसाहेब के दलान के आगू…. बड़ा विचित्र परिस्थिति छल।
लेकिन गुणा के बात सुनला के बाद किछु युवा आ किछु युवती सेहो सभ हिम्मत केलक। ओहो सभ गुणा के संग ठाड़्ह भेल। पिंकी काल्हि तक सभक आदर्श के रूपमें छल… गामके विद्यालय सऽ पढितो जाहि तरहें मेडिकल फेस करैत भारतके सर्वोत्तम संस्थान सऽ एमबीबीएस आ तदोपरान्त एमडी आदि पढैत अपन अवस्थाके तीसम वर्ष अपनहि अध्ययनरत् संस्थानक सहपाठी संग जीवन संग जीबाक लेल स्वनिर्णय सऽ विवाह कयली एहि प्रश्न पर गाममें थूक्कम-फझीता होवय लागल छल… लेकिन युवामें एहि बात के भान छलैक जे पिंकी के दोष केवल एहि लेल नहि जे बाबुसाहेब पढाई पर एतेक लाख टाका खर्च कयने छलाह आ जतय पिंकी के लेल लड़का तकैत छलाह तऽ आगू दहेज में कम से कम पचास लाख के माँग उठैत छल। बेटा कोनो मैथिल के डाक्टर बनि गेल तेकरा लेल दहेज के पचास लाख… आ बेटी डाक्टर बनि गेल तऽ धैन सन्! हाय रे समाज! हाय रे मिथिला! दहेज के कोढि एहेन फूटल छैक जेकर अन्त नहि देखा रहल अछि। युवा सभ में प्रतिक्रियास्वरूप पिंकी के तरफदारी देखाय लागल समाज में। अधलाही गामवालीके बेटा के बर्दाश्त सऽ बेसी भऽ गेलैक, ओ अपन माय के डेन पकैड़ हंटौलक आ सिधा अंगना लऽ जाय कहलक जे एक बेर आब तों बाहर निकलमें तऽ ई नहि बुझबौ जे माय थिकें… टाँग तोड़िके राखि देबौक। समाज में जे कोढी लागल छौक ताहिपर किछु बजले नहि होइत छौक… आ… !
एतबा में पिंकी अंगना सऽ बाहर निकैल हाथ जोड़ने सभ संग विनती करय लगली। बाबा-काका-भैया-बौआ-नुनू आ समस्त गामवासी… अपने लोकनि धैर्य राखू। हमर पिता के समस्त मान के नीक जानकारी हम रखने छी। हमर पिता के माथ के पगड़ी के हम मिथिलेमें रहि के उच्च राखब। हमर विवाह हम मिथिलावासी के मुँहतोड़ जबाब देबाक लेल केलहुँ अछि आ विवाह पूर्व शर्त लगेने छी अपन पति सँ जे … हुनको हमरा संग जीवन-निर्वाह लेल अपन व्यवसायिक जीवन सहित मिथिलामें सेवा करय पड़तनि। लेकिन जहाँतक बात छैक जाति-मूल-गोत्र आदि के – ताहि में विज्ञान अनुरूप हम सभ एक-दोसर के पति-पत्नी बनयमें सक्षम छी से विचारने रही, हमर पतिके परिवार सँ सेहो एहि विषयमें निर्णय लेने रही आ हमर ससूर-सासु सेहो मिथिले में अपन प्राण अन्त करब कहि हमर अंग लगौलनि। तदापि यदि अहाँ सभ के हमर निर्णय सऽ दुःख अछि तऽ हमरा जे सजाय देब हम ग्रहण करय लेल सहर्ष तैयार छी।
समस्त समाज चौंकि गेल! समस्त युवा के देह सिहैर उठल। बाबुसाहेब चुप रहितो अचानक अपन गर्दैन पहिले सऽ किछु बेसिये उच्च करैत बेटीके तरफ विस्मित होइत देखय लगलाह। आ पिंकी सहज सुन्दर मुस्कान संग सभ के निहारैत रहली आ अपन आगामी मिथिला सेवा लेल प्रतिबद्धता प्रकट करैत रहलीह। समस्त गाम के आँखिमें नोर भरि गेल आ बस सभके मुँह सऽ एतबी जे बेटी हो तऽ पिंकी जेहेन! smile emoticon
हरिः हरः!