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मातृभूमिक वीर सपुत: डा. लक्ष्मीनारायण झा

– राजेश्वर नेपाली (अप्पन मिथिला के साओन २०६९ (जुलाइ-अगस्त, २०१२) में प्रकाशित

dr. laxminarayan jhaमिथिला-मैथिली विभूति डा. लक्ष्मीनारायण झाक जन्म २००६ साल माघ १९ गते (१ फरबरी, १९५० ई.) रविवार जनकपुरधामसँ १० कि.मी. दक्षिण धनुषा जिलाक देवडीहा गाम में नागेश्वर झाक ज्येष्ठ पुत्र के रूप में भेल रहनि। हुनकर प्रारंभिक शिक्षा नगराइन गाममें भेलनि आ प्रथम श्रेणीमें मैट्रिक कयला के बाद काठामाण्डु सऽ आइ.एस्सी. कय २०२७ साल (१९७० ई.)में मुम्बई कऽ प्रसिद्ध ग्रान्ट मेडिकल कॅलेज में कोलंबो प्लानक छात्रवृत्तिमें एम.बी.बी.एस. में नामांकित भेलैथ। ओ मेधावी छात्र रहैथि आ एम.बी.बी.एस. क शैक्षिक वैशिष्टताक कारण ओही ठामसँ जेनरल सर्जरी एम. एस. कए जसलोक अस्पतालमें डेपुटी रजिष्टार भए कार्यरत रहैत नेपालमें २०३६ सालक आन्दोलन भेल छल। ओहि आन्दोलनकेँ ओ ओतए सँ सहयोग करैत राष्ट्रीय जनमत संग्रहक घोषणाक बाद ओ अपन नोकरी आ मुम्बईक सुख-सुविधा केँ छोड़ि गाम घुड़ल रहैथि। गाममें पुस्तकालय भवन निर्माण आ कृषि सिंचाईक हेतु नहर खोदाई आदि काज कए बहुदल प्रचार में लागल रहथि। राष्ट्रीय जनमत संग्रहमें बहुदलक सम्पूर्ण राजसत्ताकेँ प्रयोग कए पराजित घोषित निर्दलकेँ विजयी घोषित कएल गेल छल। ओकर बादे सत्ताधारीद्वारा गामक पूर्व जमिन्दारक लठैतसँ डा. झा केँ पिटाओल गेल छलनि आ सैकड़ो पीड़ितकेँ निःशुल्क उपचार कए चुकल डाक्टरक हाथक हड्डी तोड़ल गेल छलनि। ओकर बाद ओ जनकपुरधाम स्टेशन रोडमें अपन क्लीनिक आरम्भ करैत ओ तानाशाही पंचायती व्यवस्थाक शोषण आ दमनक विरोध में मित्र मण्डलीक सरसलाहसँ एकटा अड़तीस सूत्रीय पर्चा जेकर तयारीसँ पूर्वहि हमरा देखाओल गेल ओहिमें किछु जोड़ने छलौं जेकर प्रकाशित करौलनि आ राजतन्त्रक विरोधमें जनमत तैयार करैत आब नेपालमें राजतन्त्रक अन्त आ मिथिला राज्य पुनः स्थापना हेतु होएत खुला प्रचार करए लगलथि। ओहि क्रम में २०३९ भाद्र १६ क ३८ सूत्रीय पर्चाक साथ हुनका पकड़ि कऽ सिरहा जेलमें राखल गेल रहनि आ राजकाज ऐनमें हुनका ६ महिना १० दिन राखल गेलनि। ओकर बादो हुनकापर गामक झगड़ा सम्बन्धी मुद्दामें अनावश्यक रूपमें जिला अदालतमें दौडा रहलासँ भ्रष्ट न्यायाधीशकेँ ओ अपन विरोध जनौलापर अदालतक अवहेलना कहि ओहि ठामसँ हुनका १५ दिनक हेतु जलेश्वर जेल पठा देल गेलनि। ओतए तेसरे दिन सबेरमें पूजा कऽ रहल समय में हुनका चौकीदार द्वारा पिटाओल गेल रहनि जेकर आम जनता द्वारा घोर विरोध भेल छल। जनकपुर नगरपालिकाक प्रथम अध्यक्ष श्यामसुन्दर शर्मा अपन प्रेस वक्तव्य द्वारा ओकर घोर भर्त्सना कएने रहथि।

अध्यात्म केर चिन्तक तथा हस्तरेखा विशेषज्ञ डा. झा आम-जनताकेँ निःशुल्क सेवा करैत दूए वर्ष में जनकपुर अञ्चलमें प्रसिद्धि पाबि गेलाक कारणे सत्य, अहिंसा आ सेवा-व्रतधारी हुनका २०४२ साल अषाढ ५ आ ६ गते काठमाण्डुमें भेल बमकाण्डक अनुसन्धानक नामपर अषाढ १४ गते हुनका अपने अन्नपूर्णा क्लीनिक सँ पकड़ि कऽ एस.पी. नारायण सिंह गुरुङ्ग तथाकथित अनुसन्धानक हेतु अषाढ २१ काठमाण्डू पठौने रहनि। ओहि घटनाक अनुसन्धानक नामपर डाक्टर झा केँ गिरफ्तारीसँ एक सप्ताह पूर्व जनकपुरधाममें सभसँ पहिले लेखक पत्रकार राजेश्वर नेपाली वरिष्ठ अधिवक्ता युगलकिशोर लाल, उप-प्राध्यापक रामप्रसाद गिरीसहित गिरफ्तार कएल गेल १४ गोटेकेँ काठमाण्डू पठाओल गेल छल। ओतए काठमाण्डू जिला प्रहरी कार्यालय हनुमान ढोकाक हिरासत में हथकड़ी लगा कऽ अलग-अलग कोठरी में हम सभ राखल गेल छलौं। अषाढ २९ गतेक अनुसन्धानक नामपर प्रहरी प्रशिक्षण प्रतिष्ठानमें हुनका पिटल गेल छलनि आ ओकर निसानी हुनकर हाथ आ मुँह  स्पष्ट रहल ओ दोसर दिन हमरा कोठरीक बन्द गेटपर देखौने रहथि। ओकर बादे साओन ४ गते सबेरे ९ बजे डा. झा, हुनकर कम्पाउण्डर सत्यनारायण साह, ईश्वर लामा, पदम लामा, वामपंथी नेता सूर्यनाथ राय यादव सभ धनुषावासी आ सप्तरीक साकेत चन्द्र मिश्र आ दिलीप चौधरीकेँ ओहिठाम सँ प्रहरीद्वारा बाहर पहुँचाओल गेल आ फेर हुनका सभक कोनो अत्तापत्ता नहि रहलनि। जनकपुरधामसँ २१ में काठमाण्डू पठाओल गेल १४ में सऽ ७ गोटे हम सभ पाछां छुड़ाओल गेल छलौं आ युगल किशोर लाल डेढ वर्षक पाछां जेल मुक्त भेल रहथि किन्तु २०४२ साओन ४ गते में हनुमान ढोका हिरासतसँ अलग कएल गेल ओ सातोकेँ कोनो खबरि नहि रहला सँ २०४६ सालक जनआन्दोलनक परिणाम स्वरूप तीस वर्षक तानाशाहीक अन्त भेलापर जनकपुरधाम अपन निजी काजसँ पहुँचल पूर्व एस.पी. नारायण सिंह गुरुङ्ग के एहि ठामक आक्रोसित दसौ हजार जनता घेरने रहनि। जाहिसँ गुरुङ्गके प्रहरी सुरक्षामें  लए बचौने रहनि। डा. झा केँ भावना अनुसार जनआन्दोलन २०६२/६३ आ मधेश आन्दोलनक परिणामस्वरूप अन्ततः २४० वर्षक राजतन्त्रक २०६५ साल जेठ १५ गते संविधान सभाक पहिल बैठकक निर्णय अनुसार समाप्त भए नेपाल संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र भऽ गेल अछि आ आब ओ दिन दूर नहि जे नेपालमें मिथिला गठन होयत। स्वामी विवेकानन्दक प्रतिमूर्ति महान्‌ मानवतावादी आ अद्वितीय समाजसेवी तथा मैथिली भाषा एवं धोती, कुर्ता आ बण्डीपर अपन शान बुझनिहार डा. झा मिथिला क्षेत्रक मुक्ति बिना अपन घर-परिवार नहि बसएबाक संकल्प संगहि ओ अविवाहिते रहै ३६ वर्षक अल्पायूमें हजारों-हजारक प्रेरणाश्रोत बनैत प्रहरी हिरासतसँ बेपत्ता भेलाह। जीवित छथि कि मारल गेलाह ओहि सम्बन्धमें सरकारक आधिकारिक जानकारी नहि अछि। यद्यपि तानाशाहीद्वारा मारल गेलथि। २०६२/६३ क सरकार सेहो एखन धरि एहि प्रति मौन अछि। हजारों-हजारकेँ जाँचबुझ कऽ शहीद घोषणा कएल गेल मुदा हुनक सम्बन्धमें सोचबाक फुरसत सरकार आ मधेसी नेता सभ संग नहि अछि।

२००७ सालक जनक्रान्तिक योद्धा हुनकर पिता नागेश्वर झा २०१३ सालक प्रधानमंत्री टंकप्रसाद आचार्यक मन्त्री-परिषद्‌में उपमन्त्री रहैथ आ पुत्र शोकमें रहैत आब हुनकर निधनो भेला दस वर्ष बित चूकल अछि आ हुनकर माताक निधन सेहो भऽ गेलनि। डा. झा मिथिला मैथिलीक जागरणक हेतु मुरली चौकमें महाकवि विद्यापतिक स्मारक निर्माणक मुख्य प्रस्तावक रहथि आ अपन साहित्य, कला आ संस्कृतिक विकास हेतु सतत्‌ प्रयत्नशील रहैत थोड़ेक समयमें जे किछु कएलनिओ  महत्त्वपूर्ण अछि आ ओकरा लेल सदैव स्मरणीय रहताह।

लेखक राजेश्वर नेपाली केर मेल पता: [email protected]

हरिः हरः!

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