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आत्महत्या: बढैत सामाजिक समस्या

आलेख
– प्रवीण नारायण चौधरी
साधारणतया प्रत्येक जीव केँ अपन जीवन सँ अतिशय स्नेह रहैत छैक। मुदा मानवीय सभ्यता मे अपन जान अपनहि लेब, यानि आत्महत्या करब आदिकाल सँ एकटा समस्याक रूप मे विद्यमान् छैक।

suicide picआखिर कियै करैत अछि आत्महत्या?

ई देखल गेलैक अछि जे जीवन-निर्वाहक विभिन्न उपाय सँ जखन लोक ऊबि जाइत अछि तऽ अन्त मे आत्महत्या केँ समाधान मानिकय ओ अपन जीवनलीला समाप्त कय लैत अछि। अधिकांश केस मे समस्या लोकक निजी जीवन, परिवार, आर्थिक विपन्नता, लोकलज्जा आदि पूर्णरूपेण व्यक्तिगत रहल देखाइत छैक।

आत्महत्या करबा सँ पहिने विवेकक परीक्षा

आत्महत्या कएनिहार जखन ई निर्णय कय लैत अछि जे आब ओकरा लग आर दोसर कोनो उपाय नहि सिवाये अपन प्राण हति लेबाक तऽ ओ अपन विवेक सँ अपना बादक लोक लेल घंटों धरि सोचैत अछि आ फेर आत्महत्याक कारण खोलैत अपन विचार लिखिकय मरब पसिन करैत अछि। लगभग ९५% आत्महत्याक केस मे सुसाइड नोट लिखल भेटैत छैक जे आत्महत्याक कारण सेहो खोलैत छैक, संगहि ओहि व्यक्ति सँ सम्बन्धित अन्य व्यक्ति केँ कानून आ समाजक दृष्टि मे सफाइ पेबा मे सहयोग करैत छैक।

साधारणतया आत्महत्या केँ कलंक टा मानल जाइत छैक

भले कोनो कारण सँ कियो आत्महत्या करैत अछि, मुदा एहि लोक आ परलोक दुनू ठाम एहेन घटना सँ निन्दाक भागी बनैत अछि आर ताहि कारण आत्महत्या केँ कलंकक विषय मानल जाइत छैक।

आत्महत्याक कारण

घरेलू समस्या, उत्पीड़ण, मजबूरी, भय, लज्जा, अतिमहात्वाकांक्षा सँ उत्पन्न आकांक्षाक पूर्ति नहि होयब, आदि विभिन्न मानसिक कारण सँ लोक अपन जीवन केँ अन्त करबाक निर्णय करैत अछि।

आत्महत्या यानि कायरताक पराकाष्ठा

कायरताक पराकाष्ठा मानल जाइत अछि कारण भले किछु हो, संघर्ष करब मानव जीवनक एक विशिष्ट कला होइछ आ एकर उपयोगिताक बदला जीवन अन्त करबाक निर्णय कदापि कोनो कारण सँ जायज नहि ठहरायल जा सकैत अछि।

 

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