दिल्ली, १५ अगस्त, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली फाउन्डेशन केर संस्थापक कौशल कुमार जानकारी करौलनि अछि जे मिथिला चौक (कनाट प्लेस) स्थित पिपलेश्वरी काली मन्दिर प्रांगण मे मिथिलाक्षर प्रशिक्षण कार्यक्रम निरंतरता मे संचालित कैल जा रहल अछि। एकर उद्घाटन पैछला सप्ताह कैल गेल छल जाहि मे लगभग एक दर्जन नामी-गिरामी प्रशिक्षु लोकनि प्रशिक्षण लेलनि। स्वयं प्रशिक्षण उपलब्ध करौनिहार कौशल कुमार पैछला दुइ दशक सँ मिथिलाक्षर केर प्रचार घर-घर धरि पहुँचेबाक लेल प्रयत्नशील छथि। हिनकर कहब छन्हि जे मैथिल केर पहिचानक मूलाधार मिथिला लिपि थीक। एकर विस्मृति सँ मैथिलक मौलिक विशिष्टता हेरायल-भोथियायल अछि।
आइ बंगला, असमिया, ओडिया आदि मिथिलाक लिपि सँ विकास करैत एकरा सँ कनेक इतर रूप मे स्थापित अछि। भारतीय गणराज्य मे देरी-सवेर ओ तिनू क्षेत्र राज्यक दर्जा हासिल कय लेलक आ स्वराज्य संचालन करैत लिपिक संग भाषा, साहित्य एवं संस्कृतिक चौतर्फा विकास कय रहल अछि। ओहि राज्यक आर्थिक मेरुदण्ड सेहो अपनहि बदौलत संघर्ष करितो मुदा ठाढ छैक। मुदा मिथिला अपन अस्तित्व सँ भटैक गेल। जे मिथिलादेश कहाइत छल, ओ आइ बिहार राज्य मे समाहित होइत नहिये अपन लिपिक रक्षा कय सकल, नहिये एतुका भाषाक संवर्धन-प्रवर्धन लेल राज्य द्वारा कोनो प्रकारक डेग उठायल गेलैक अछि; जहाँ तक भेलैक, मैथिलीक संग कुत्सित मानसिकता सँ भरल राजनीति टा कैल गेलैक।
कहियो एकरा बिपीएससी सँ हँटायल गेलैक, तऽ कहियो राजभाषाक रूप मे मान्यता नहि देल गेलैक। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधनक सरकार तथा अटल बिहारी वाजपेयीक नेतृत्वक समय मे मैथिलीकेँ अष्टम् अनुसूची मे स्थान देलाक बावजूदो प्राथमिक शिक्षा तक मे मैथिली भाषाकेँ माध्यम नहि बनायल गेलैक। एहि मधुर भाषाकेँ समाप्त करबाक कुत्सित राजनीति एतेक तक भेलैक जे जाहि कोनो विद्यालय मे पहिने मैथिलीक पढाई कैल जाइत छलैक, ताहू ठाम नव शिक्षक केर नियुक्ति तक नहि कैल गेलैक। मैथिली संग घोर अवहेलना राज्य द्वारा होयब स्पष्टत: इशारा करैत छैक जे एहि भाषाक पोषण तऽ दूर, एकर जीवन तक बहुतो केँ मंजूर नहि छैक।
एहि मे राज्यक राजनीति आ बिहारक सरकारी नीति कतेक जिम्मेवार छैक से मनन योग्य अछिये, खुद मिथिलाक्षेत्रक जनप्रतिनिधि अपन भाषा केँ अपन मानय सँ कतराइत कूराजनीति केर शिकार संस्कृत समान मैथिली केँ पण्डितक भाषा मानि एकरा सँ सौतेला व्यवहार करैत छैक, एहि सँ फाजिल दुर्भाग्य आर कि भऽ सकैत छैक। एहेन सन परिस्थिति मे एकटा व्यक्ति आ कोनो संस्था द्वारा दिल्ली समान महानगर जतय लाखोंक संख्या मे मैथिल रोजी-रोटी लेल प्रवास कय रहल अछि, ओहि ठाम प्रशिक्षण कार्यक्रम सँ अपन अस्मिता सँ परिचिति दैत मिथिलाक्षर सिखबाक मुहिम चलबय, एकर सराहना हेबाके चाही।
मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली सहित विभिन्न संघ-संगठनक सक्रिय सहयोग सँ संचालित वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम सँ कतेक लोक लाभान्वित होयत ई आबयवला समय जबाब देत, मुदा हरेक सार्थक प्रयासक असैर दूर-दूर तक मैथिल केँ अपन निजत्व सँ परिचय करबैत अछि जे भविष्य उज्ज्वल बनेबाक दिशा मे संकेत दैत अछि।