मैथिलक जुटान विचार-गोष्ठी मे बढय लागल अछि: व्याख्यानक प्रत्यक्षदर्शी

आलेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

vyakhyanmala5यैह २ अगस्त, २०१५ रवि दिन दिल्लीक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सभागार – कान्स्टीच्युशन क्लब मे संपन्न ‘प्रथम विद्यापति स्मृति व्याख्यानमाला’ केर पहिल व्याख्यान सुप्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री सँ सम्मानित डा. उषा किरण खान आ ताहि मे प्रमुख अतिथिक रूप मे उपस्थित गोआ राज्यपाल महामहिम डा. मृदुला सिन्हा सहित अनेको गणमान्य व्यक्तित्व लोकनिक संबोधन सुनबाक लेल दिल्ली सन व्यस्त शहर मे उपस्थिति एक बेर फेर सँ मैथिल केर ‘मंथन-शक्ति’ केँ जगबैत देखा रहल अछि।

सामान्यतया यैह मान्यता बनि गेलैक अछि समाज मे जे नाटक पार्टी या थियेटर या बाइजीक नाच – नटुआ नाच – पमरिया नाच – बक्खो नाच – मघैया नाच या फेर अल्हा रुदल, रामलीला आ विभिन्न प्रकारक मनोरंजन कार्यक्रम मे स्वस्फूर्त भीड़ लगैत छैक। मैथिलीक मधुरताक आनन्द कतेक लोक उठबैत अछि ताहि पर प्रश्न चिह्न लागल छैक, कारण फूहर गीत-संगीत साधारण जनमानस मे बेसी लोकप्रिय आ बेसी सुनल जाइत छैक। एहेन प्रतिकूल वातावरण मे ‘मैथिली भाषा ओ संस्कृति संग सामाजिक सरोकार केर विषय’ पर चिन्तन-मंथन लेल मैथिल एकठाम जुटय ई मानू जेना वर्तमान मिथिला जे प्रवास हेतु पलायनक मजबूरी सँ विरान बनल छैक, ओतय असंभव बुझाइत छैक। तथापि, दिल्ली सन शहर मे जाहि तरहें ‘मैथिली साहित्य महासभा दिल्ली’ विभिन्न विषय पर मंथन हेतु लोक केँ आमंत्रित करैत छैक, बिना नाच-गाना-नौटंकी केने लोक केँ एकठाम जुटबाक लेल आह्वान करैत छैक, आ ताहि पर सैकड़ों मैथिल सेहो एलिट क्लास आ मध्यमवर्गीय जाग्रत वर्गक लोक केर जुटान होइत छैक, ई निश्चित तौर पर मैथिलक असल पहिचान ‘आत्मविद्याकेर आश्रयदाता’ केर रूप मे स्थापित करैत छैक।

आइयो गामक संस्कृति मे ‘चौपाल’ केर चलन थोड़-बहुत अछिये। संध्याकाल गामक लोकाचार मे कोनो एकठाम अनेरौ दस टा लोक जुटैत अछि आ सम-सामयिक विषय पर आपसी गंथन-मंथन करैत अछि। ओहि बीच रेडियो पर किसानक हित मे प्रसारित कार्यक्रम सामूहिक रूप सँ सुनैत अछि। रेडियो पर आबि रहल समाचार आ ताहि मे विभिन्न राजनीतिक दलक नेताक क्रिया-प्रतिक्रिया सहित देश मे चलि रहल सरकारक बात-व्यवस्था पर भरपूर चर्चा करैत अछि। आगामी समय मे जनप्रतिनिधि केकरा चुनल जाय ताहि लेल ई सब प्रक्रिया लगभग ५ वर्ष धरि गाम-गामकेर चौपाल पर चलिते रहैत छैक। चौपालक मात्रा भले आजुक दौड़ मे चौक-चौराहा आ दारू-शराब-ताड़ीक अड्डा कम कय देने छैक, तथापि मूल संस्कार आपसी चर्चा आ वार्ताक बात कतहु आइयो नहि हेरायल से कहि सकैत छी।

जतेक सक्षम आ जाग्रत समाज होयत, ओतय ओतेक रास विषय पर चर्चा चलत। जतेक बुद्धिमतापूर्वक समाज मे एकजुटता रहत ओतय ओतेक मजबूत प्रगतिशीलताक बान्ह बन्हेबे करत। शिक्षित समाज अपन अधिकार आ कर्तब्य दुनू सँ परिचित होइते अछि। पिछड़ल समाज मे कूसंस्कारक ताण्डव होइते छैक। अगड़ा आ पिछड़ा लोक बौद्धिकता आ व्यवहारिकताक आधार पर बनैत अछि, तैँ राजनीतिक तौर पर अगड़ा आ पिछड़ा केँ आरो तोड़ब राजनीति केर अत्यन्त नंगापन प्रतीत होइत अछि। सदिखन अगड़ा समाजक कर्तब्य होइत अछि जे ओ पिछड़ा समाज केँ आरो बेसी सुसंगत प्रदान करय आ ताहि सँ समग्र प्रगतिशीलताक अभिवृद्धि होयब तय होयत।

दिल्ली मे आइयो ९९% जनमानस पिछड़ल वर्ग मे अछि। पिछड़ापण केर किछु स्वाभाविक कारणो छैक। एक तरफ ओहेन वर्ग जे लाखों मे आमद करैत अछि, दोसर तरफ एहेन वर्ग जेकरा दू जुमक रोटी तक नसीब ओकर अपार मेहनतिक बदौलति मात्र संभव छैक। मध्यमवर्गीय केर मात्रा अत्यधिक रहितो जागृतिक नाम पर संवेदनशून्यता एहि वर्ग केर प्रखरता पर हावी छैक। कहल जाइत छैक, जँ मध्यमवर्गीय समाज जागि जाय तऽ अगड़ा आ पिछड़ा केँ जोड़ब बड पैघ बात नहि हेतैक। मध्यमवर्गीय समाज सदिखन पूल जेकाँ काज करैत छैक। मुदा मध्यमवर्गीय समाज मे आडंबर आ कूप्रथा यदि हावी भऽ जाय तऽ ओहि संस्कृति केर मृत्यु तय छैक। वर्तमान मिथिलाक विपन्नता मे यैह वर्गीय दूरी आ अपन संस्कृति-संस्कार-भाषा सँ दूरी आइ घून जेकाँ खेने जा रहलैक अछि। तथापि, अगड़ा समाज जे हर तरहें सक्षम अछि ओकर ई कर्तब्य बनैत छैक जे ओ सदिखन समस्त वर्गीय विभेदक अन्त करैत सब वर्ग केँ जोड़य। जँ ओ एना करय सँ चूकैत अछि तऽ ओकर अपनो निजत्वक ह्रास तय होइत छैक। अत: दिल्ली मे उपस्थित सक्षम युवा समाज हर तरहें बेहतरीक दिशा मे उचित डेग उठा रहला अछि। एहि सँ समग्र प्रगतिशीलताक प्रवेश हेब्बे टा करत। जल्दिये ई अपन प्रखर प्रभाव सँ सब समाज केँ जोड़बा दिशि बेसी बल देत ई अपेक्षा कैल जा सकैत छैक।

मैथिली साहित्य महासभाक एहि कार्यक्रम सँ ई आशा आब विश्वास मे परिणति होइत देखा रहल अछि। एहि कार्यक्रम मे उपस्थित भेल बहुते रास प्रत्यक्षदर्शी सँ बात केला पर ई स्पष्ट भऽ रहल अछि जे मैथिल पुन: अपन मूल संस्कृतिक रक्षार्थ पूर्ण तैयार होमय लागल अछि। आवश्यकता वर्गीय दूरी केँ खत्म करैत अपन-अपन वर्गानुसार योगदान समाजक हित मे बढेबाक छैक, ताहि लेल जमीनी स्तर पर सेहो गतिविधि केँ बढेबा लेल योजनाबद्ध ढंग सँ काज करय पड़त, ई विज्ञ राय भेटल अछि।

मैथिली जिन्दाबाद!!