आत्मचिन्तन
– प्रवीण नारायण चौधरी
काल्हि मारल गेल आतंकवादी आ परलोक गमन केनिहार पूर्व राष्ट्रपति, एहि धरा सँ दुनू अन्य धरा पर गेलाह। गेनिहार चलि गेल, पाछाँ सँ भावना मे बचल मानव समुदाय बहि रहल अछि। एकठाम आतंकवादीक मृत्यु पर लोक मे प्रसन्नता अबैत छैक, ओतहि संत-ऋषि समान महात्मा राष्ट्रपति कलाम केर मृत्यु पर चौतरफा शोक पसैर जाइत अछि। एहेन घड़ी हमर व्याकुल मन एहि वीभत्स आतंकवादीक मरल चेहरा देखि – आइ भोरे कलाम पर लिखल श्रद्धाञ्जलि समाचार संपादकीय सँ किछु तूलनात्मक छंद निकैल पड़ैत अछि।
देखिते लगैत अछि आतंकवादी
नाम मुसलमानक हँसबैत अछि
काल्हिये मरल ईहो अहमद
कूकर्मी कहि लोक थूकैत अछि!
ओत्तहि देख जे अब्दुल कलाम
क्षण-क्षण केलनि निज देश नाम
हिन्दू हो या क्राइस्ट या मुसलमान
सब ठोकि रहल केवल सलाम!!
‘करनी देखबौ मरनी गुणे’
मैथिलीक ई लोक-कथनी अछि
ऊपर दुइ मुस्लिम केर मौत भेल
एत्तहि से सच होइत देखैत अछि!!
एहि मे छुपल अछि ज्ञान बात
मिलिकय रहू सब साथ-साथ
देशक विकास प्रगति यथार्थ
यैह लेन-देन यैह सच सौगात!!
आइ शान्तिक धर्म इस्लाम पर सवाल एहि आतंककारीक भूमिका सँ ठाढ भऽ रहल अछि। एक तरफ सियासत एहेन अजीब वातावरण बना रहल अछि जे देश मे आतंकी गतिविधि पसारनिहार व्यक्ति जेकरा कतेको वर्षक बाद न्यायालय फाँसीक सजा सुनबैत अछि ताहि पर सेहो अपन रंग आ छटा देखबय सँ नहि चूकैत अछि। एहना सन स्थिति मे आम जनमानसक स्थिति केहेन होयत… ई सोचि हम बस अपन भावना राखि रहल छी।