विशेष संपादकीय
नेपालक शत-प्रतिशत जनमानस केँ ई पता छैक जे ‘मिथिला’ क्षेत्रक एकटा बहुत पैघ हिस्सा नेपालदेश मे आइ अवस्थित छैक। नेपाली भाषा सँ सेहो बहुत पुरान मैथिली भाषा छैक जे विगत सैकड़ों वर्षक ‘एकल भाषा नीति’ केर रहितो आइयो धरि देश मे दोसर सबसँ बेसी बाजल जायवला भाषा थिकैक। नेपालदेशक भितरे विभिन्न छोट-छोट राज आदि मे मिथिलाक पाण्डित्य परंपरा केँ ओहिना स्थान भेटलैक जेना गोरखा राजाक प्रमुख गुरु वाराणसीक मिश्र परिवार भेलैक। अलग-अलग समय मे राष्ट्रीय सभाक सदस्य मे सेहो मैथिल पण्डितक स्थान विद्वताक आधार पर ओतबे सम्मानित ढंग सँ राजाक शासनकाल मे सेहो रहलैक। मल्लकालीन राज्य मे तऽ मैथिली राजकाजक भाषा रहलैक ई कतेको रास शोध सँ प्रमाणितो भऽ गेल छैक।
मिथिलाक भूगोल केँ स्थापित करयवला चर्चा ‘मिथिलाक इतिहास – डा. उपेन्द्र ठाकुर, मैथिली अकादमी, पटना द्वारा प्रकाशित पुस्तक अनुसार: वृहद् विष्णुपुराण सँ ज्ञात होइत अछि जे कौशिकी नदीसँ गण्डक धरि विदेह अथवा मिथिलाक लम्बाइ २४ योजन अथवा ९६ कोश तथा गंगा सँ हिमालय पर्यन्त एक चौडाइ १६ योजन वा ६४ कोश छलैक। (वृहद् विष्णुपुराण, दरभंगा संस्करण) पृ. १६।
मिथिला-राजधानी वैशाली सँ करीब तैँतीस मीलक दूरी पर छल। सुरुचि जातक सँ ज्ञात होइत अछि जे मिथिलापुरी २१ मील मे व्याप्त छल तथा समस्त विदेह राज्यक परिमाप नओ सय (९००) मील छलैक।
गान्धार जातकक अनुसार “मिथिलाक विस्तार २१ मीलमे छलैक तथा विदेह राज्यक व्याप्ति ९०० मील मे छलैक जाहि मे सोरह हजार गाँव, सोरह हजार नर्तकी तथा अपार सम्पत्तिसँ परिपूर्ण कोषागार छल।” महाजनक जातकमे मिथिलाक समृद्धिक एहने वर्णन भेटैत अछि।
महानारदकस्सप जातकमे विदेह राजक शोभा, सुरुचि तथा ठाठबाटक चित्र प्रस्तुत कयल गेल अछि।
माहउम्मग्ग जातकमे मिथिलाक चारूद्वार तथआ एक पूब, पच्छिम, उत्तर तथा दक्षिणमे स्थित विपणि-पत्तनक वर्णन कयल गेल अछि। उवासगदसाओमे महान विदेह देशक बहुधा उल्लेख पाओल जाइछ।
महाभारत मे मिथिलाक रोचक वर्णन भेटैत अछि। शुकदेव राजा जनक सँ ब्रह्मविद्याक शिक्षा प्राप्त करबा लेल मिथिला गेल छलाह आ ओही नगरक शोभा-सम्पन्नता देखि आश्चर्यचकित भऽ गेल छलाह।
नेपालदेश आ मिथिलाक इतिहास
राजा सिरध्वज जनक (जनक वंशक २४म राजा) केर राजधानी जनकपुर वर्तमान नेपालक धनुषा जिलाक मुख्यालय थीक। जनक वंश मे कुल ५४ राजाक उल्लेख भेटैत अछि। जनक वंशक पतन भेलाक बाद मिथिला ८ अलग राज्य मे बँटैत एकटा गणतंत्र रूप मे परिणति पाबि शासन व्यवस्था जनता द्वारा चुनल प्रतिनिधि सँ करय लागल। एहि समय दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रक नाम वज्जि संघ जाहि पर लिच्छवी सबसँ शक्तिशाली क्षेत्र मानल जाइत छल।
५१९ ई.पू. केर आसपास मगध क्षेत्रक शक्तिशाली राजा लोकनि लिच्छवी राज्य सँ वैवाहिक संबंध लेल बाध्य होइत छल। अजातशत्रु वैशाली पर आक्रमण करैत मिथिला पर अपन कब्जा स्थापित केलक। यैह समय मे गंगाक किनारा पर बसल पाटलि गाम मे पाटलिपुत्र जे आइ पटना कहाइत अछि ओतय राजधानीक निर्माण कैल गेल। अजातशत्रु द्वारा लिच्छवीक गतिविधि पर नजरि रखबाक लेल गंगाक ओहिपार एकटा विशाल किलाक निर्माण सेहो कैल गेल छल। वैशाली ओहि समय तक मुख्य धार्मिक केन्द्रक रूप मे विकसित भऽ चुकल छल, एतय बासो कुन्ड मे २४म जैन तीर्थांकर महावीर केर जन्म भेल छल आ तहिना भगवान् बुद्ध केर सेहो वैशाली मे मुख्य वास छलन्हि, जाहि सँ एतय आगन्तुक सबहक सदिखन भीड़ लागल रहैत छल।
पाल वंशक राज्यक स्थापना हेबाक समय धरि मिथिला राजा हर्ष वर्धन केर अधीनस्थ छल। ह्युएन शांग केर यात्रा संस्मरण मे एहि बातक चर्चा कैल गेल अछि। ६४७ ई. उपरान्त स्थानीय मुख्य शासनाधिकारी द्वारा पाल-वंशीय राजाक अधीन रहि मिथिलाक विभिन्न क्षेत्र मे शासन १०१९ ई. तक चलैत रहल। किछु समय लेल मध्य भारतक चेदी राज आ फेर सेन राजवंशक राज्य एतय लगभग ११वीं शताब्दी मे स्थापित भेल।
लगभग १२१० सँ १२२६ ई. तत्कालीन बंगाल केर शासक गियासुद्दीन मिथिला पर आक्रमण करैत रहल। अन्ततोगत्वा १३२३ ओहि वंश गियात-अलदिन-तुगलक द्वारा मिथिला पर कब्जा स्थापित भऽ सकल छल।
मिथिलाक इतिहास मे सिमरौन गढ चम्पारण क्षेत्र जे आब नेपालक बारा जिला मे पड़ैत अछि ओहि ठाम सँ राजा नान्य देव केर शासन समूचा मिथिला आ नेपाल पर चलैत छल। एहि वंशक अन्तिम राजा हरसिंह देव केँ हरबैत तुगलक शाह मिथिला पर १३२३ मे कब्जा स्थापित केने छल। बाद मे फेर मुगल शासन द्वारा पंडित कामेश्वर ठाकुर केँ मिथिलाक व्यवस्थापन करबाक भार सौंपल गेल छल।
१४म शताब्दीक अन्त मे जौनपुर केर राजा द्वारा मिथिलाक्षेत्र पर शासन स्थापित भऽ गेल जे लगभग सौ वर्ष धरि चलल, जखन जौनपुरक राजा केँ सिकन्दर लोधी सँ हारि भेटल। एहि समय, बंगाल केर नबाबा हुसैन शाह अपन नियंत्रण वृहत् क्षेत्र मे पसारि चुकल छल जाहि मे मिथिला सेहो पड़ैत छल। १४९९ ई. मे हुसैन शाह नबाब पर दिल्ली सल्तनत केर अधिनस्थ बनल। बंगालक नबाब सँ मुगल शासनक अधीन मिथिला सहित पटना आ हाजीपुर क्षेत्र चलि गेल जेकर नाम मुगल द्वारा सुबा-ए-बिहार राखल गेल।
वर्तमान नेपालक्षेत्रीय मिथिला राजा सेन ठकुरी द्वारा बंगाली नबाब केँ हरबैत हासिल कैल गेल छल, एहि क्षेत्र पर मुगल शासनक अधिनस्थ स्थापित नहि भऽ सकल छल। सेन ठकुरी नेपालक पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्रक राजा छलाह जे चौदंडी राज्य केर स्थापना केने छलाह। बाद मे जखन पृथ्वी नारायण शाह नेपालक एकीकरण मुहिम चलेलनि तखन सेन वंशीय राजा केँ लगभग १७४३ ई. मे अपना अधीन कय गोरखा राज्य मे चौदण्डी केँ मिला लेला।
वर्तमान नेपाल
लगभग २५० वर्षक शाहवंशीय राजा केँ अधिकारविहीन करैत नेपाली जनमानस सत्ता पर जनताक अधिकार स्थापित केलक अछि। वर्तमान मे नेपाल केर स्थायी संविधान नहि अछि आ ई राष्ट्र संक्रमणकाल सँ गुजैर रहल अछि। एकटा संविधानसभा जाहि मे कुल ६०१ सभासद केर चुनाव-मनोनयन भेल छल से बर्खास्त भेलाक बाद दोसर संविधानसभा सेहो लगभग १ वर्ष सँ ऊपर काज संविधान बनेबाक दिशि बढा चुकल अछि। एहि संविधान लेखन मे सबसँ चुनौतीपूर्ण कार्य संघीय राज्य निर्माणक छैक। राज्य निर्माण हेतु विभिन्न आयोग केर गठन, ओकर सिफारिश आदि एलाक बादो मुख्य राजनीतिक दल सबहक आपसी विमति आ शंका-उपशंका मे मामिला फँसल छैक।
२०१० मे निर्मित पहिल संविधान सभा द्वारा कुल १४ राज्य केर अवधारणा राखल गेल छलैक। पुन: २०१२ मे राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा ११ राज्य बनेबाक एकटा प्रस्ताव राखल गेलैक।
संविधानसभा आयोग द्वारा राखल गेल १४ राज्य अवधारणा
२३ जनबरी २०१० केँ नेपाल संविधानसभा द्वारा १४ राज्य केर अवधारणा राखल गेल छलैक जाहि मे मिथिलाक्षेत्र केँ ‘मिथिला-भोजपुरा-कोच-मधेश’ नाम सँ जानल जेबाक छल। २०१२ मे राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा १४ राज्य केर अवधारणा केँ खारिज करैत ११ राज्य केर प्रस्तावना निम्न नक्शा अनुरूप राखल गेलैक।
- परसा
- बारा
- रौतहट
- सर्लाही
- महोत्तरी
- धनुषा (राजधानी जनकपुर सहित)
- सिरहा
- सप्तरी
- सुन्सरी
- मोरंग
- झापा
जाति, धर्म, भाषा, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि आर सांस्कृतिक पहिचान केँ आधार; भौगोलिक आ प्राकृतिक स्वरूप (स्रोत-साधन), आपसी समझदारी आर न्युनतम विरोधक संभावना, एहेन नाम जाहि सँ क्षेत्रीय पहिचानक संग-संग राष्ट्रीय पहिचान प्रति विश्वास बढतैक, एहेन नाम जे पहिचान आ स्वत्व केँ ओहि क्षेत्रक लोकक भावना अनुरूप हो आ ओहि क्षेत्रक ऐतिहासिकता केँ स्थापित करयवला हो, एहि विभिन्न आधार केँ ध्यान मे राखिकय ११ प्रदेश निर्माणक प्रस्तावना उपरोक्त आयोग द्वारा संविधानसभा प्रथम मे सौंपल गेल छलैक, मुदा ताहि ऊपर राष्ट्रीय सहमति नहि बनि पेलाक कारणे आ संविधानसभा प्रथम बर्खास्त होयबाक कारणे मात्र सन्दर्भ रूप मे एकरा लेल जा सकैत छैक। नाम लंबा आ उच्चारण असहज होयबाक सेहो समस्या एहि सिफारिश मे उठल छलैक।
दोसर संविधानसभा उपरान्त प्रदेश निर्माणक स्थिति
संविधानसभा दोसर केर चुनाव पूर्व देल गेल घोषणापत्रक आधार, विजेता दल केँ भेटल जनादेश आ पूर्व मे कैल गेल समझौता, आयोगक सिफारिश आ समग्र समीक्षा उपरान्तक स्थिति मुताबिक हालहि एकटा १६-बुँदा समझौता चारि प्रमुख राजनीतिक दल सबहक बीच भेल। एहि मे संघीयता केर स्थापना होयत वा नहि एहि पर प्रश्न ठाढ कय देल गेल अछि। विवादक समाधानक जगह पलायनवादी तौर-तरीका अपनबैत बिना नामांकन आ बिना सीमांकन मात्र एतेक प्रदेश बनायल जायत – एहेन हाइपोथेटिकल – कोरा कल्पनाक संग संविधान जारी करबाक समझौताक चौतरफा विरोध भेल।
ताहि उपरान्त जनताक सुझाव संकलन करबाक एकटा थोपल गेल उपक्रम सेहो झगड़ा-झड़प आ सुरक्षा-बल द्वारा दमन करैत सभासद केँ अपना-अपना क्षेत्र मे खटबैत संकलन कैल गेल। इन्टरनेटक जरिया सँ सेहो जनभावना बुझबाक लेल सुझाव संकलन कैल गेल अछि। लेकिन ओहि पर सेहो भयानक विवाद बनि रहल अछि। एक बेर फेर सँ देश मे अशान्तिक माहौल बनय लागल अछि। जनकपुर सहित विभिन्न ठाउं मे सुरक्षाकर्मी द्वारा मानवाधिकार हनन केर शिकायत सँ लैत मिडियाक एकतर्फी समाचार संप्रेषण तक नव समस्या आ देश मे दु-दु दिनक आम हड़ताल देखा देलक अछि।
तखन एहेन स्थिति मे निकास पेबाक लेल अन्त-अन्त मे वैह आधार जाहि पर पूर्व मे आयोग सब अपन प्रतिवेदन, प्रस्ताव, सिफारिश आदि देने अछि ताहि अनुसारे नामांकन-सीमांकन सहितक प्रदेश निर्धारण होयत ई कहल जा सकैत अछि। मिथिला केर नाम अवश्यमेव पड़त – एकरा कटनाय नेपालक अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न ठाढ केनाय समान होयत। कारण उपरोक्त आधार सब केवल मिथिला टा पूर्णरूप मे पूरा करैत अछि आ एकरा लेल एकटा प्रदेश निर्धारण होयब एहिठामक जनता संग प्राकृतिक न्याय करत।