मिथिला मात्र नहि अपितु सम्पूर्ण भारतवर्षक महान सन्त बौआ भगवान्
दरभंगा जिलाक लगमा कुटी पर श्री लक्षचण्डी महायज्ञ एवं अतिविष्णु यज्ञक अद्भुत आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न भेल । दिनांक १ मार्च २०२५ सँ १६ मार्च २०२५ धरि आयोजित एहि महायज्ञ मे अनेकों विशेषता देखल गेल । समूचा इलाकाक लोक एहि तरहक महायज्ञक अवलोकन पहिल बेर कयलनि से सभक मुंह सँ अनायासे निकलि रहल अछि ।
हम मोन पाड़ैत छी नवम्बर २०२३ – दुर्गा पूजा मे अपन मूल गाम ‘कुर्सों’ गेल रही । ताहिठाम बौआ भगवान् एवं ग्रामीण लोकनि बौआ भगवानक अगुवाई मे ‘रुद्र चण्डी महायज्ञ’ केर आयोजन कुर्सों मे कयल जेबाक निर्णय सन्दर्भ मे जानकारी देलनि । एहि सँ पूर्वहु कतेको बेर बौआ भगवान् द्वारा निज ग्राम ‘जयदेवपट्टी’ सहित अन्यान्य गाम सब मे यज्ञक आयोजन करैत मिथिलाक जनमानस केँ अपन मूलधर्म वैदिक कर्मकाण्ड सँ जोड़िकय लोककल्याणक अनेकों शुभ कार्य सम्पन्न करैत रहबाक इतिहास बुझल छल । जयदेवपट्टी मे आयोजित अनेकों यज्ञ मे हम स्वयं सेहो सहभागी बनल रही । प्रत्यक्षक अनुभूति आ बौआ भगवान् केर सन्त लक्षण सब सँ सुपरिचित रही ।
पैछला साल २०२४ मे कुर्सों मे आयोजित ‘रुद्र चण्डी महायज्ञ’ उपरान्त सँ बौआ भगवान् वर्तमान कार्यस्थल ब्रह्मचारी आश्रम लगमा मे वृहत्तर यज्ञक आयोजन लेल संकल्प लेलनि, व्हाट्सअप समूह बनौलनि आ लोकमानस मे अपन संकल्प मादे जनतब देलनि । आर लगभग १ वर्षक समुचित गृहकार्य करैत करोड़ो रुपयाक अर्थ-संकलन कय आखिरकार ओ महायज्ञ १६ मार्च २०२५ केँ सम्पन्न भेल । सोशल मीडिया पर जहिना प्रयागक १४४ वर्ष उपरान्त आयल ‘महाकुम्भ’ मेला अपन स्थान बनेने रहल, तहिना लगमाक ई महायज्ञ लोकचर्चा मे प्रतिष्ठाक विषय बनल ।
समापन किछु विवाद सँ भेल, यज्ञक सात्त्विकता सेहो एहि सँ प्रभावित भेल एना लागि रहल अछि । एहि लेल यज्ञ व्यवस्थापन समिति समुचित समीक्षा करबाक संगहि आवश्यक चिन्तन सेहो कय रहल छथि । समग्र मे, जे किछु त्रुटि भेल ओ प्रकृति आ परमात्मा द्वारा उचित शिक्षा ग्रहण करबाक लेल एक अवश्यम्भावी घटना घटित होयब जेकाँ बुझा रहल अछि ।
यज्ञक अवधारणा मे सदिखन सन्तुलन, अनुशासन आ आध्यात्मिक उत्कर्ष मात्र अभीष्ट रखबाक जरूरत छैक । यज्ञ मे किन्नहुं भौतिक संसारक चमक-दमक केँ प्रधान विषय नहि कहल जा सकैछ । धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा आयोजित राजसूय यज्ञक सन्दर्भ, ओकर तैयारी, ओहि मे अन्यान्य राजा-महाराजा आ ऋषि-मुनि-सन्त समाजक स्वागत आदिक आधारविन्दु सब ध्येय अछि ।
परिकल्पक बौआ भगवानक विशेषता
निरन्तर अपन संकल्पशक्ति सँ समूचा गाम केँ जोड़िकय, सौंसे इलाकाक लोक केँ जोड़िकय, समस्त मिथिलावासीक मौलिक धर्म मोन पाड़िकय जाहि तरहें ब्रह्मचारी कृष्ण मोहन दास उर्फ बौआ भगवान् विभिन्न स्थान पर वैदिक अनुष्ठान (यज्ञ) केर उदाहरण ठाढ़ कय रहल अछि, ई अपना आप मे आ एहि कलियुग मे अद्भुत आ अलौकिक अछि ।
स्पष्ट स्थिति ई अछि जे मिथिलाक कोनो गाम-स्थान पर यज्ञ-अनुष्ठान आदि लेल बौआ भगवानक एक बोली काफी अछि । ओ एक बेर बाजथि आ हुनकर बात पूरा नहि हो ई सम्भवे नहि अछि । स्वयं जगदीश्वरी – पराम्बा जानकी स्वयं पुरुषोत्तम राघव संग आ माता पार्वती देवाधिदेव महादेव संग हुनक एक-एक वचन केँ पूरा करबाक लेल लोकप्रेरणाक संचरण करैत छथि, एना हमरा लागि रहल अछि ।
युगानुरूप अर्थक खर्च – तामझाम आ चमक-दमक आइ बाध्यता भ’ गेल छैक । पहिनहुँ (सत्ययुग, त्रेता आ द्वापर सब मे) ई चमक-दमक अपन किसिम के रहैत छल एना महापुराण सभक अध्ययन सँ बुझाइत अछि । लेकिन कलियुग मे एकर पराकाष्ठा कोनो अतिश्योक्ति नहि होयत । आर, एहि सभक व्यवस्थापन मे जे आदर्श, नैतिकता, ईमानदारिता, निष्ठा आ समर्पण-त्याग केर आवश्यकता छैक – एक रतियो जँ एकर कमी होयत त उपद्रव-विघ्न तय अछि । तेँ, एहि सब लेल घबरेबाक जरूरत नहि छैक । युगानुसार जे लिखल अछि विध द्वारा से घटित होइते टा छैक ।
बौआ भगवानक सादगी आ समर्पण सँ सब किछु सम्भव होइछ
आइ-काल्हिक कतेको बाबा सब महाढोंगी, अनेकों तितम्भा आ ठोप-टहंकारक प्रदर्शन करैत छथि । राति ११ बजेक बाद ड्राई फ्रूट्स टा भोग लगबैत छथि । बासन-बर्तन आ चुल्हा-चेकी गैसे वला रहैछ, धरि पानि सँ धो-धा आ अपन पाक अपनहि सँ कय कतेको तरहक भोग सब लगबैत छथि । मुदा बौआ भगवानक सादगीपूर्ण जीवन, एक-एक बोल-वचन आ तदनुसार लोकाचार कयनिहार सँ विनती-निहोरा करैत एतेक पैघ आयोजन सब करबाक अदम्य हिम्मत देखबैत छथि । हुनका कनिकबो सांसारिक चीज-वस्तु सँ आसक्ति नहि छन्हि । तखन त संग मे हम रही आ हम हुनकर विपरीत धारणा राखी, तेकर भुगतान त भगवान् केँ सेहो भोगय पड़ैत छन्हि – मुदा लोकमानस मे ई सब बात स्पष्ट छैक ।
हम प्रवीण बौआ भगवान् केँ हुनक अदम्य हिम्मत आ मजबूत संकल्प लेल बेर-बेर नमन करैत छी । ओना लगता हमर भागिन, हम मामा छियनि, ताहि लेल हृदय सँ आशीर्वाद सेहो दैत छियनि । अहाँ पर गर्व अछि बौआ भगवान् !!
लगमा महाआयोजन हेतु सम्पूर्ण लगमावासी आ दातावर्ग केँ हमर बेर-बेर नमन !! अभिभावक लोकनिक किछु कमी खटकल, जेना किशोर भैया आ जीबछ बाबू सहित हमर गामक यज्ञ मे कतेको रास अभिभावक लोकनि अपन भूमिका निर्वाह कएने रहथि, बस यैह टा चूक भेल । भविष्य मे एकर सुधार अवश्य होयत । जय जय रही सब गोटे !!
हरिः हरः!!