लेख विचार
प्रेषित: रेखा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- नब पीढ़ी मे विवाहक प्रतिए उदासीनता वा देरी
किएक
नव पीढ़ी मे विवाह के प्रति बढैत उदासीनता चिंतनीय विषय अछि।
आधुनिक युग के सर्वे मे आयल इ बात जे दस साल बाद केयो विवाह लेल तैयार नै हैत। इ मात्र सर्वे नै घरक सत्यता अछि । इ सत्यता कतय सँ आबि रहल ? के प्रभावित हैत जे सोचब त देखायत की जिनकर आर्थिक उपार्जन कम मतलब प्रतिदिन कमाय वाला के लेल इ बात कतहु नै देखा रहल अछि ।कहबाक तात्पर्य इ जे इ बात कतौ ने कतौ इ बात एक स्तर के लोक सँ उपर केँ समस्या भेल।
आब बात कनि नीचा सँ देखू रोज कमाय वाला के बेटा रहै की बेटी ओ सब कम उमर मे बियाहल जा रहल जाबत एम्हरका लोक बीए एम ए करत ताबत ओ सब बाल बच्चेदार भ जिम्मेदारी ग्रहण क लैया। एकटा पुरातन ढर्रे पर अइ मामला मे चलि रहल मुदा औरत के कमेनाइ पर रोक नइ लगेलक । दुनु कमैत दुनु खर्च करत।
उपरी स्तर पर आर्थिक जीविकोपार्जन संग लोक लाज के बहुत बात आबि गेल। आब इ लोक लाज की भेल?
हिनक व्यवस्था मे लोक लाज के मतलबे अहंकार भ गेल। केना करब कम पैकेज वाला सऽ, केना करब हाउस वाईफ सऽ ? केना करब दूर देश मे, केना करब उत्तर या दक्षिण! केना द दी संयुक्त परिवार मेँ! केना दी असगरूआ मे ? केना सेवा करत सबहक? इ सबटा केना केना मे बाद मे लोक लाज लागि जैत अछि। अनेक प्रश्न सेहो विवाह मे देरी उत्पन्न करैत छै।
अइ तरहक बात यदि घरे घर होबै लागत त घरक लोक बच्चा के जिम्मेदारी स मुक्त करै चाहि रहल । आ नाम लोकलाज के लागि रहल।
जे विवाह भ रहल ताहु मे सैह लोकलाज घुसि ततेक तबाही क रहल जे विवाह टूटि जा रहल छै ।उदाहरण कोनो कन्या के जं छोट मोट काज करबाक मोन त कहत सब , कोन काज एम्हर ओम्हर जाय के ? सब सुविधा देए रहल छी ना । ओ इ नइ सोचि रहल जे सुविधा त होटल मे भेटै छै । त घरो आब होटले बनि रहल अछि की ?
रोजी वाली कन्या किन्नहुं बेरोजगार सँ नै करती विवाह चाहे बाहर गृहकार्य कियाक ने नीक स सम्हारि लेथ!लोकलाज जे लागत! बरदाश्त के सीमा बहुत घटि गेल छै कलयुग मे। त आब डरा रहल सब विवाह सँ कियाकी सबहक स्वतंत्रता छिन्न भिन्न भ जैत।
सब आब स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक बनि गेल या बनबाक कोशिश क रहल अछि।
परंतु विचारणीय बात इ जे इ समस्या एक स्तर स उपर के लोक संग किएक? समाज केर लेल अत्यंत सोचनीय विषय अछि जेकर निवारण अपन परिवार आर संतान कें सही मार्गदर्शन दैत सामाजिक महत्व बुझाबी। जीवनक प्राथमिकता केर महत्व बुझाबी । समयानुकूल सब कार्य संपन्न करबाक लेल प्रेरित करी तखनहिए संतान संग सामाजिक स्थिति बदलत आ सामाजिक हित मे कार्य हैत।