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। आइ काल्हिकेँ युवा समाजक पारंपरिक मूल्य एवं रीति-रिवाज स’ दूर भेल जा रहल छथि

लेख विचार
प्रेषित: आभा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- नब पीढ़ी मे विवाहक प्रतिए उदासीनता वा देरी
किएक

नव पीढ़ी में विवाहक प्रति बढ़ैत उदासीनता: एक चिंताजनक परिपेक्ष्य

समाजमें नव पीढ़ीके विवाहक प्रति बढ़ैत उदासीनता एक गंभीर समस्या बनि गेल अछि। आइ काल्हिकेँ युवा समाजक पारंपरिक मूल्य एवं रीति-रिवाज स’ दूर भेल जा रहल छथि, आ एकर परिणाम स्वरूप विवाह संस्था पर संकट उत्पन्न भ’ रहल अछि। विवाह सिर्फ दू व्यक्तिके बीच एक सामाजिक एवं कानूनी बंधन नहि, बल्कि एक परिवार आ समाजक स्थायित्वके प्रतीक रहल अछि। मुदा, वर्तमानमें यैह संस्था युवाक लेल कम आकर्षक आ जटिल प्रतीत भ’ रहल अछि।

एक प्रमुख कारण जेकरा कारण नव पीढ़ी विवाहक प्रति उदासीन भ’ रहल छथि, ओ अछि व्यक्तिगत स्वतंत्रताकेँ बढ़ावा। आइ काल्हिके युवा अपन जीवनमें स्वतंत्रता आ स्वायत्तताके प्रति जागरूक छथि। ओ अपन करियर, शिक्षा, आ व्यक्तिगत पसंद-नापसंद पर बेसी ध्यान केंद्रित कय रहल छथि। विवाहके द्वारा अपेक्षित जिम्मेदारी आ बंधनक कारण ओ अपन जीवनमें व्यवधान महसूस करैत छथि। एकर परिणामस्वरूप, कतेक युवा विवाह स’ दूर भागि रहल छथि आ अपार्टमेंट्स या लिव-इन रिलेशनशिप्सकेँ प्राथमिकता द’ रहल छथि।

आधुनिकता आ सोशल मीडियाक प्रभाव सेहो विवाहक प्रति युवामें असंतोष आ भ्रम उत्पन्न कय रहल अछि। सोशल मीडिया पर पारिवारिक संबंधक सही छवि नै देखाई देनाई आ विवाहमें आबै वाला संघर्ष आ समस्या के बेसी देखाओल जा रहल अछि, जेकर कारण युवा मानसिक रूप स’ विवाह स’ डर महसूस करैत छथि। एहि कारण, विवाहक परंपरागत छविमें बदलाव आ विशेषत: एक खुशहाल आ संतुलित जीवनक मॉडलके तौर पर देखल गेल अछि।

अर्थव्यवस्था में होइत बदलाव सेहो एक कारण बनि रहल अछि। बेरोजगारी आ आर्थिक असुरक्षाके कारण युवा विवाहकेँ एक अतिरिक्त बोझ बुझैत छथि। एक स्थिर आर्थिक स्थितिकेँ बिना विवाहक जिम्मेदारी निभेनाइ कठिन प्रतीत भ’ रहल अछि। एहि संदर्भमें, कतेक युवा पहिने अपन करियरके स्थायित्वकेँ प्राथमिकता दैत छथि, ताकि विवाह आ परिवारक जिम्मेदारी केँ सही ढंग स’ निभा सकैथ।

आध्यात्मिकता आ धार्मिक दृष्टिकोणक प्रति घटैत आस्था सेहो एक महत्वपूर्ण कारक अछि। पिछला किछु दशकमें समाजमें धर्म आ संस्कृतिकेँ प्रति विश्वासमे गिरावट आयल अछि। विवाहक एक महत्वपूर्ण पहलू धार्मिक आ आध्यात्मिक दृष्टिकोण स’ जुड़ल होइत छल, मुदा आब कतेक युवा एकरा केवल एक कानूनी बंधन या एक सामाजिक दबावक रूपमें देखैत छथि।

समाजमे बढ़ैत एकल जिंदगीक प्रवृत्ति, लिव-इन रिलेशनशिप्स आ विवाहक वैकल्पिक रूपके प्रति स्वीकार्यताकेँ बावजूद, विवाहक संस्थागत महत्वकेँ नकारल नहि जा सकैत अछि। विवाह ने केवल दू व्यक्ति के बीच प्रेम आ विश्वासक प्रतीक होइत अछि, बल्कि समाजमे स्थिरता, साझेदारी आ एकताक निर्माणमे महत्वपूर्ण भूमिका निभबैत अछि।

समाजक जिम्मेदार व्यक्ति, परिवार आ शैक्षिक संस्थानक प्रयास स’ नव पीढ़ीकेँ विवाहक सकारात्मक पक्ष, ओकर महत्व आ पारिवारिक मूल्य बुझनाइ जरूरी अछि। विवाह केवल एक सांस्कृतिक परंपरा नहि, बल्कि एक जिम्मेदारी, विश्वास आ साझेदारी के प्रतीक अछि, जे समाजक विकासमे सहायक होइछ।व्यक्तिगत स्वतंत्रता, करियरकेँ प्राथमिकता आ पारिवारिक दबावक कारण विवाहक प्रति उदासीनता देखल जा रहल अछि। विवाहक संस्था पर पुनः विचार करबाक आवश्यकता अछि, जाहि सँ समाजमे विवाह के महत्त्व बनल रहै आ संग ही युवा पीढ़ीक बीच सही मार्गदर्शन आ समझदारीकेँ विकास भ’ सकए।

 

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