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संतान के नैतिक आ सांस्कृतिक मूल्य सिखाएब माता पिता केर कर्तव्य थिक

लेख विचार
प्रेषित: अशोक कुमार सहनी
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि

#विषय:—”मातापिता कँ सन्तानक प्रति मौलिक कर्तव्य”

मातापिता समाजक नींव होइत छथि, जिनकर कर्तव्य अछि जे ओ अपन सन्तान केँ उचित शिक्षा, संस्कार आ मार्गदर्शन प्रदान करथि। सन्तान सभ्य आ सफल समाजक निर्माण करैत अछि, आ ताहि हेतु मातापिता पर ई दायित्व अछि जे ओ अपन सन्तान केँ नैतिक, सामाजिक, मानसिक आ शारीरिक रूप सँ मजबूत बनेबाक दिशामे प्रयत्नशील रहथि।

“मातापिता कँ सन्तानक प्रति मौलिक कर्तव्य पर विस्तृत चर्चा” ।

1. स्नेह आ सुरक्षा प्रदान करब

सन्तानक सर्वांगीण विकास हेतु मातापिताक प्रेम आ सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक अछि। जन्म सँ ल’ क’ किशोर अवस्था धरि बच्चा मातापिताक सहारे बढ़ैत अछि, आ ताहि क्रममे ओकर मानसिक आ भावनात्मक विकास होइत छैक। एकटा सुरक्षित वातावरण जन्हाँ बच्चा अपन बात सहज रूपेँ कहि सकए, से हुनकर आत्मविश्वास बढ़बैत छैक।

2. उत्तम शिक्षा देब

शिक्षा जीवनक सबसे महत्वपूर्ण पक्ष छी। मातापिता पर दायित्व रहैत छन्हि जे ओ अपन सन्तान केँ उचित शिक्षा दिलबय आ हुनकर भविष्य उज्ज्वल बनेबाक दिशा मे सहयोग करय। मात्र विद्यालयीय शिक्षा पर्याप्त नहि होइत अछि, अपितु नैतिक आ व्यावहारिक ज्ञान सेहो आवश्यक अछि। ई मातापिताक कर्तव्य छी जे ओ अपन सन्तान केँ सिखाबथि जे जीवनमे सही-गलत कें पहचान करय आ ज्ञान प्राप्तिक महत्व केँ बुझय।

3. नैतिक आ सांस्कृतिक मूल्य सिखेबाक कर्तव्य

सभ्य समाजक निर्माण हेतु नैतिकता आ संस्कृति अत्यन्त आवश्यक अछि। मातापिता पर दायित्व अछि जे ओ अपन सन्तान केँ धार्मिक, सांस्कृतिक आ नैतिक मूल्यमे रुचि विकसित करय। मिथिला संस्कृति मे निष्ठा, आदर, सत्य, अहिंसा, दया आ परोपकार जेकाँ गुणक विशेष महत्व अछि, जेकरा सन्तान केँ सिखाएब मातापिता केर प्रमुख कर्तव्य छी।

4. अनुशासन आ आत्मनिर्भरता सिखाबय

अनुशासन जीवनक सफलता केर आधार छी। मातापिता केँ चाही जे ओ अपन सन्तान केँ अनुशासन मे रहबाक आदत डलाबथि, समयक महत्व बुझाबथि आ मेहनतक महत्व सिखाबथि। आत्मनिर्भरता आ स्वावलम्बनक गुण बच्चामे बचपनहि सँ विकसित करबाक चाही, ताकि ओ अपन जीवनक कठिनाइसभ कें स्वयं सुलझा सकए।

5. आदर आ सहिष्णुता सिखाबय

एकटा सफल समाजक निर्माण हेतु परस्पर सम्मान आ सहिष्णुता अत्यन्त आवश्यक छी। मातापिताक कर्तव्य अछि जे ओ अपन सन्तान केँ छोट-बड़, गरीब-अमीर, जात-पात आदिक भेदभावसँ ऊपर उठिक’ मानवताक पाठ पढ़ाबथि। सन्तानमे आदर, सहानुभूति आ प्रेमक भावना विकसित करब मातापिताक एकटा प्रमुख दायित्व छी।

6. स्वस्थ जीवनशैली सिखाबय

शारीरिक स्वास्थ्य जीवनक सबसे महत्वपूर्ण आधार छी। मातापिता केँ चाही जे ओ अपन सन्तान केँ स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम, खेल-कूद आदिक महत्व बुझाबथि। स्वस्थ शरीर मे स्वस्थ मन रहैत अछि, जे सन्तान केँ जीवनमे सफलता प्राप्त करबाक ऊर्जा प्रदान करैत अछि।

7. सही संगत आ गलत संगतक पहचान करब

बच्चासभ किशोरावस्था मे अक्सर गलत मित्रताक प्रभावमे आबि सकैत अछि। मातापिता केँ चाही जे ओ अपन सन्तान पर ध्यान राखथि, हुनकर मित्रसभ केँ जानथि आ उचित संगति मे रहबाक प्रेरणा दथि। एकटा सुदृढ़ मार्गदर्शन हुनकर भविष्य सुरक्षित बनेबाक गारंटी होइत अछि।

8. करियर आ भविष्य निर्माण मे सहयोग करब

मातापिता पर ई जिम्मेदारी छी जे ओ अपन सन्तानक रुचि आ क्षमताक अनुसार हुनकर करियर आ भविष्य निर्माणमे सहयोग करथि। सन्तान पर अपन इच्छाक दबाव देब उचित नहि, बल्कि हुनका अपन योग्यता अनुरूप मार्गदर्शन करब आवश्यक छी।

9. आत्मनिर्भरता आ समस्या समाधानक क्षमता विकसित करब

जीवन संघर्षपूर्ण छी, आ ताहि सँ निपटबाक क्षमता विकसित करब अत्यन्त आवश्यक अछि। मातापिता पर ई दायित्व छी जे ओ अपन सन्तान केँ आत्मनिर्भर बनेबाक दिशा मे सहयोग करथि। हुनका एतेक मजबूत बनेबाक चाही जे ओ कठिन परिस्थितिसँ घबड़ाए नहि, बल्कि समाधान खोजय।

10. धार्मिक आ आध्यात्मिक शिक्षा देब

मिथिला संस्कृति मे धर्म आ अध्यात्मक विशेष महत्व अछि। ई मातापिताक कर्तव्य छी जे ओ अपन सन्तान केँ धार्मिक आ आध्यात्मिक मूल्यमे रुचि बढ़ाबथि। पूजा-पाठ, ध्यान, सत्संग, आ धार्मिक ग्रंथसभक अध्ययन करब बच्चाक मानसिक शान्ति आ स्थिरता मे मदद करैत अछि।

आखिर में -:

मातापिता कँ सन्तानक प्रति मौलिक कर्तव्य केवल भोजन, वस्त्र आ शिक्षा प्रदान करब मात्र नहि छी, बल्कि हुनका जीवनक प्रत्येक पक्ष मे सही मार्गदर्शन करब सेहो आवश्यक छी। स्नेह, अनुशासन, आत्मनिर्भरता, नैतिक मूल्य आ आध्यात्मिक शिक्षा आदि मातापिता द्वारा देल गेल सिखाइए बच्चाकेँ एकटा सभ्य, सफल आ गुणी नागरिक बनेबाक दिशा मे अग्रसर करैत अछि।

मातापिता अपन कर्तव्य यथासंभव निर्वाह करथि, तखनहि परिवार, समाज आ राष्ट्र मजबूत बनि सकैत अछि।

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