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घरक बुजुर्ग एगो बरगद के छांव जेहन होइत छैथि

लेख विचार
प्रेषित: शेफालिका दत्त  ‘श्रीजा ’
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “परिवार मे बुजुर्ग केँ महत्व ”

परिवार में बुजुर्ग के बहुत महत्व होइत अछि,अप्पन सबहक घर परिवार में बुजुर्ग सब के रहनाई बहुत जरूरी होइत अछि,बुजुर्ग एगो बरगद के छांव जेहन होइत छैथि।जिनका सब के बुजुर्गक छांव मिलैत अछि,ओ सब शीतल जल जेहन हमेशा जुड़ायल रहैत छैथि।जिनका सब के बुजुर्गक आशीर्वाद मिलैत अछि,ओ दुनियां के सब से खुशनसीब इंसान होइत छैथि।
बिना बुजुर्ग घर परिवार वीरान लागैत अछि,कोनो विवाह दान हुऐ की कोनो पावैन तिहार,ओई सब मे बुजुर्गक बहुत जरूरत होइत अछि।हुनकर सबहक अनुभव सँ  हम सब बहुत किछ सिखैत छी,हुनकर सबहक ज्ञान आशीर्वाद सँ  हम सब एखन तक सिखैत एलौं आ सब कियो एखनो सिखैत छैथि।
पहिले के जमाना मे नै कोनो टीवी रहैत छल,नै कोनो मनोरंजन के सामान रहैत छल,पहिले के जमाना मे बच्चा सब के दादी,नानी एक सँ बैढ़ के एक किस्सा,कहानी सब सुनाबैत रहथिन्ह।ओ किस्सा,कहानी सब बहुत ज्ञानवर्धक रहैत छल,जाहि सँ बच्चा सब के बहुत किछ के ज्ञान संस्कार सब मिलैत छल।बच्चा सब के अप्पन दादी,नानी से खुब लाड़ प्यार आशीर्वाद सब मिलैत रहैत छल।आब तs ई सब किछ जेना विलुप्त भ गेल अछि।आब ना ही कोनो बच्चा दादी,नानी के पास रहैत अछि,ना ही ओ सब किछ जानैत अछि।हम तa इहे कहब जे बुजुर्ग अप्पन सबहक परिवार आ समाजक धरोहर छैथि।हुनका सब के हमेशा खुश राखै के चाही,हुनका सब के हर हमेशा सम्मान करै के चाही।

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