विराटनगर, ६ फरवरी २०२५ । मैथिली जिन्दाबाद !!
कोशी प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषा सम्बन्धी अन्तरक्रिया कार्यक्रम
(कोशी प्रदेशक सामाजिक विकास मंत्रालयक समन्वयमे भाषा आयोग काठमांडूक आयोजन)
आइ विराटनगरमे कोशी प्रदेशक मुख्यमंत्री हिकमतकुमार कार्कीक प्रमुख आतिथ्यमे नेपालक भाषा आयोगद्वारा सरकारी कामकाजक भाषा विधेयक (२०८१) उपर अन्तरक्रिया कार्यक्रमक आयोजन सम्पन्न भेल । मुख्यमंत्री कार्कीद्वारा कार्यक्रम सभागारहिसँ सम्बन्धित मंत्री सामाजिक विकास मंत्रीकेँ निर्देशन दैत भाषा आयोगक देल सुझाव-सिफारिशकेँ ध्यानमे राखि विधेयक एहि आर्थिक वर्षमे सदनमे प्रस्तुत करबाक प्रतिबद्धता व्यक्त कयल गेल ।
कोशी प्रदेशमे सरकारी कामकाजक भाषा विधेयक २०८१ उपर अंतरक्रिया कार्यक्रमक आयोजन भाषा आयोग द्वारा सामाजिक विकास मंत्रालय संग समन्वयमे विराटनगरक स्वागतम होटलमे सम्पन्न कयल गेल अछि ।
भाषा आयोगक अध्यक्ष डा. गोपाल ठाकुरक अध्यक्षता आ कोशी प्रदेशक माननीय मुख्यमंत्री हिकमत कुमार कार्कीक प्रमुख आतिथ्यताक संग भाषा आयोगक सचिव डा. मातृका पोखरेल, डा. लोक बहादुर लोपचन आ अन्य पदाधिकारीसब, कोशी प्रदेशक प्रदेश सभासदसब, विभिन्न भाषाभाषी संगठनक अगुआसब आ विषयविद् प्रा. डा. देव नारायण राय यादव (मैथिली) एवं दिलेन्द्र सुब्बा (लिम्बू) केर सहभागिता रहल छल । एहि अन्तरक्रिया कार्यक्रममे प्रदेश सरकारद्वारा सरकारी कामकाजक भाषाक लेल विधेयककेर प्रारूप उपर चर्चा भेल । कोशी प्रदेश सरकारक अर्थमंत्री आ सामाजिक विकास मंत्रीक उपस्थिति सेहो छल । तहिना एहि सन्दर्भमे पहिनों विधेयकक मस्यौदा (ड्राफ्ट) धरिक कार्य पूरा कय चुकलि पूर्व पर्यटन तथा संस्कृति मंत्री खिनु लङ्वा लिम्बूक आ विभिन्न राजनीतिक दलक सचेतक व नीति नियन्तासभक सेहो सहभागिता छल ।
मैथिली आ लिम्बू भाषाकेँ एहि प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषाक रूपमे मान्यता प्रदान करबाक लेल भाषा आयोगक सिफारिश भ’ चुकल अछि मुदा एखन धरि प्रदेश सरकारद्वारा ऐन-कानून बनाकय एहेन व्यवस्था नहि कयल जा सकल विषयपर भाषा आयोगद्वारा ई कार्यक्रम करब अत्यावश्यक छल । कार्यक्रममे सहभागी विभिन्न भाषा-अभियन्तासब एहि कार्यक लेल आयोगकेँ धन्यवाद देलनि । प्रदेश सांसदसब सेहो अपनाकेँ जानकारी नहि रहल कतेको बातसब एहि अन्तरक्रिया कार्यक्रमसँ बुझयमे आयल कहि आभार व्यक्त कयलनि ।
एहि कार्यक्रममे वरिष्ठ भाषा अभियन्ता रामरिझन यादव, अधिवक्ता संजु कुमारी साह, संचारकर्मी श्याम सुतिहार आ संजित यादव, सामाजिक नेतृ बसुन्धरा झा, अभियन्ता ज्योति कामत ‘डोमी’, साहित्यकार कर्ण संजय, मैथिली सेवा समितिक अध्यक्ष डा. एस. एन. झा, मैथिली एसोसिएशन नेपालक तरफसँ हम प्रवीण नारायण चौधरी (अध्यक्ष) आर महासचिव राकेश कुमार देव, राजेश झा, विरेन्द्र झा लगायत अन्य प्रतिनिधिसब सेहो सहभागी रही ।
मैथिली आर लिम्बूभाषाक दुइ महत्वपूर्ण विशेषज्ञ लोकनिक अलावा थारू, राजवंशी आर मगही भाषाक कतिपय अभियानी सभक सहभागिता सेहो छल । मगही अभियन्ता जय प्रकाश महतो लगायत अन्यान्य भाषाक अभियानीसब अपन-अपन भाषाकेँ सेहो आयोग आ प्रदेश सरकारद्वारा संरक्षण-संवर्धन करबाक मांग राखने रहथि ।
लगभग ५ घन्टा धरि चलल एहि कार्यक्रममे पूर्व मंत्री खिनु लङ्वा लिम्बूक नेतृत्वमे तैयार भेल विधेयक मस्यौदा (ड्राफ्ट)केँ केबिनेटक निर्णय कयकेँ आगू बढ़ेलासँ होयत से आवाज उठल छल । एखुनका प्रदेश सभामे सांसद समेत रहलि खिनु लङ्वा लिम्बू अपने सेहो उपस्थित रहथि आर ओ अपन कार्यकालमे पूरा कयलि मस्यौदा धरिक वृत्तान्त प्रस्तुत करैत वर्तमान सरकारकेँ कैबिनेट स्तरक निर्णयमात्र लेला सँ विधेयक प्रदेशसभामे प्रस्तुत कयल जा सकबाक ब्योरा रखने रहथि ।
लिम्बूभाषाक अन्य विभिन्न अभियन्तासब सेहो पूर्वसरकारक निर्णय आ मेहनतकेँ वर्तमान सरकारद्वारा स्थान दियय पड़त आ संघीयताक मर्म अनुसार नेपाली बाद आरो भाषासबमे भाषा आयोगक सिफारिशकेँ सम्मान दियय पड़त मांग राखल गेल ।
संघीयता, संविधान आ आयोगक सिफारिशकेर मर्म आत्मसात कयकेँ तैयार कयल गेल मस्यौदाकेँ वास्ता नहि कय बेर-बेर घुमघुमौआ तालसँ विमर्श मात्रक विषय बनायब, अध्ययन आ तर्क-वितर्कमे मात्र सिमित होयब, फेरो कतहु एकल भाषा वर्चस्वक नीतिमे कायम रहब कि – किछु एहेन आशंका उपजा रहल आरोप सेहो लागल ।
पूर्व सरकारद्वारा जाहि विषयमे एतेक खर्च कयकेँ मस्यौदा धरि तैयार कयल जा चुकल अछि, ओकरे मुख्य आधार मानिकय, आरो बागमती प्रदेशमे लागू कयल गेल विधेयक जाहिपर आयोगक विज्ञ डा. लोपचनद्वारा विस्तारमे चर्चा सेहो भेल छल तेकरा सेहो सन्दर्भमे लयकय, अन्य प्रदेशसबमे गण्डकी, लुम्बिनी, कर्णाली, सुदुर-पश्चिम आ मधेशप्रदेशक विधेयकसबकेँ समेत अध्ययन कयकेँ भाषा आयोगक विभिन्न राय-सुझाव आ प्रतिवेदनसबकेँ दृष्टिगत करैत कोशी प्रदेशमे जल्दिये विधेयक पारित कयल जा सकैत अछि से निष्कर्ष आयल ।
एहि आर्थिक वर्षमे प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषा अन्तर्गत मैथिली आ लिम्बूकेँ मान्यता प्रदान कयकेँ आगू बढ़बाक जनादेश आजुक अन्तरक्रिया कार्यक्रमक भेल ।
प्रमुख अतिथि हिकमत कुमार कार्कीद्वारा सभागारहिसँ एहि सन्दर्भक प्रतिबद्धता जनबैत उपस्थित सामाजिक विकास मंत्रीकेँ निर्देशन देनाय सकारात्मक छल । होइ ल त प्रदेशक पिछला निर्वाचनसँ प्राप्त जनादेश आर अस्थिर राजनीतिक अबस्थाक चलते बहुत पहिनहि भ’ गेल रहबाक काजमे विलम्ब भेबे कयल अचि, मुदा एखनहुँ बड बेसी विलम्ब नहि भेल आ किछुए मास पहिने सँ प्रदेश सरकारक स्थिरता-स्थायित्व पेबाक अनुभूति भ’ रहल आ आब प्रदेशसभासँ जल्दिये विधेयक पारित कयल जा सकबाक वातावरण बनि सकल बात सब प्रदेश सभासदसब अपन विचारमे रखलनि ।
मात्र दुइ भाषाकेँ सरकारी कामकाजक भाषा बनाबयसँ आर भाषाभाषीकेँ विभेदक अनुभूति नहि होइ ताहिलेल सेहो हमसब चिन्तन करैत सबटा १०९गोट प्रदेशक भाषासबकेँ प्रदेश स्तरमे आ स्थानीय स्तरमे केना लागू कयल जा सकैछ ताहिपर विचार करैत विधेयक तैयार पाड़ब – बेसी प्रदेश सांसद आ अर्थमंत्री समेत यैह भावना राखलनि ।
भाषा आयोगक अध्यक्ष माननीय डा. गोपाल ठाकुरद्वारा भाषा-विमर्शक विशद् पक्षपर भाषा-विज्ञानक दृष्टिकोणसँ, नेपालक पहिल संविधानसभा सँ घोषित नव संविधानधरिक व्यवस्थामे कयल गेल विभिन्न प्राविधिक तथ्य-तथ्यांक आ प्रावधानसब समेतकेँ मद्देनजर करैत ओहि अनुसार गठित भाषा आयोगद्वारा दैत आबि रहल सुझाव-सिफारिशसहितक प्रतिवेदनसब आ अन्य अद्यावधिक सूचना व संकेतसबपर अत्यन्त सारगर्भित ढंगसँ विवेचना करैत प्रदेश सरकार आ स्थानीय निकायक वार्डस्तरधरि सहकार्य करबाक लेल भाषा आयोग तैयार रहब कहैत नेपालमे आयल संघीयता आ नया संविधानप्रति सबकेँ ईमानदारीपूर्वक कर्तव्य पूरा करबाक आह्वान कयल गेल । आयोगद्वारा कोशी प्रदेश सरकारसँ यथाशीघ्र विधेयक पारित करबाक आग्रह कयल गेल ।
डा. ठाकुर स्वयं एकटा विद्वान् भाषाविद्, माननीय संविधानसभा सदस्य, राजनीति आर शिक्षा सब क्षेत्रमे प्रखरतापूर्वक राष्ट्रसेवा कयनिहार व्यक्तित्व छथि । भाषा सम्बन्धी सम्पूर्ण भेद आ विचार सबपर गहींर ज्ञान रखैत छथि । ओ अन्तरक्रियामे उठल विभिन्न वाद-विवाद, मांग तथा जिज्ञासासबकेँ अनेको विन्दुपर समुचित आ सटीक ढंगसँ सम्बोधन करैत भाषा आयोगक क्रियाविधि आ सुझाव सम्बन्धी व्याख्या कएने रहथि । हाललेल कोन-कोन भाषा आ केना आगू बढ़ल जा सकैछ से संवैधानिक परिकल्पना, जनगणनाक तथ्यांक आ भाषाविज्ञानक अनेकों आधारसब समेतक विचार करैत देल गेल विभिन्न सुझावसब सहितक प्रतिवेदन एवम् अन्यान्य राष्ट्रसबमे कयलगेल-भेल उदाहरणसभक सन्दर्भ सबकेँ ध्यान रखबाक आग्रह करैत प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषा सम्बन्धी विधेयक बनेबाक वास्ते ध्यानाकर्षण करायल गेल ।
आजुक कार्यक्रम अत्यन्त महत्वपूर्ण एहि दृष्टिमे सेहो भेल जे प्रदेशको विधायिका (प्रदेश सांसदसब) लेल बहुते रास बात जानकारीमे नहि रहल से सब जानकारी करौलक, संगहि राष्ट्रिय-अन्तर्राष्ट्रिय क्षेत्रमे भाषा, लिपि, व्याकरण, शब्दकोश, साहित्य, सिलेबस आर कार्यालय-प्रशासनक कार्यविधि उपर केना काज कयल जाइछ, ताहि सब सन्दर्भ सबपर प्रकाश देल गेल ।
हमहुँ अपन विचारमे भाषा आयोगद्वारा प्रस्तुत तार्किक आ विवेचनात्मक प्रतिवेदनकेँ सर्वोपरि कहैत पूर्व सरकारद्वारा निर्धारित विधेयककेँ सेहो टेककय वर्तमान सरकार आ जनप्रतिनिधिसबसँ सीधा सदनमे विमर्श करैत विधेयक पारित कयकेँ संघीयताक मर्म अनुसार बहुभाषिकताकेँ कानूनी रूप प्रदान करैत एकर परिकल्पना रहल राष्ट्रियताकेँ मजगूत बनेबाक काज बिना कोनो विलम्ब पूरा करबाक आग्रह कयलहुँ ।
स्वाभाव आ प्रकृतिसँ सदैव अग्रणी आन्दोलनीक भूमिका निर्वाह करैत आबि रहला आदरणीय अग्रज रामरिझन यादवद्वारा एकदम आन्दोलनक शैलीमे भरल सभामे उपस्थित सम्पूर्ण प्रदेश सभासदसबकेँ निकम्मा आ निष्क्रिय रहबाक आरोप लगबैत विगतक सरकारद्वारा पूरा कयल जा चुकल कार्य २०७९ साल सँ हाल २०८१क एहि माघ मास धरिक २४ गते धरि पूरा नहि कयल जा सकबाक आ अन्ठेबाक प्रवृत्तिमे मात्र रहबाक, मुख्यमंत्रीक घुमघुमौआ शैलीक बातसँ अविश्वास लगबाक बात कहैत आक्रोश व्यक्त कयल गेल । हुनकर बजबाक शैलीपर गोटेक प्रदेश सांसदसब सेहो प्रतिवाद करैत अध्यक्ष समेतकेँ आपत्ति दर्ज करबैत सभाकेँ शान्त होयबाक आग्रह करबाक परिस्थिति समेतक सृजना भेल । किछु काल सभा अराजक होइतो अन्तमे श्री यादवक आक्रोश आ आक्षेप उचिते छल निष्कर्ष निकालैत प्रदेश सरकारद्वारा अपन प्रतिबद्धता व्यक्त करैत सामाजिक विकास मंत्री सेहो वचनबद्धता रखलनि जे विधेयक जल्दिये पारित कयल जायत । एहि तरहें अन्तरक्रिया कार्यक्रम पूर्ण सफल हेबाक अध्यक्षीय सम्बोधनसंग कार्यक्रम समापन कयल गेल ।
हरिः हरः!!