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भगवान शिव केँ केना प्रसन्न करबनि आ हुनकर आशीर्वाद केना प्राप्त करब ?

स्वाध्याय

भगवान शिव केँ केना प्रसन्न करब आर हुनकर आशीर्वाद केना प्राप्त करब ?

 
(एकटा प्रेरणास्पद आ हमर प्रिय विषय केर लेख, साभारः पांचकृत्य, मैथिली अनुवादः प्रवीण नारायण चौधरी)
 
हिंदू धर्म केर प्रमुख देवता लोकनि मे एक भगवान शिव केँ दुर्गुण (दुर्जन) केँ नाश करयवला आ सर्वोच्च देवत्वक स्वामी त्रिमूर्ति लोकनि जाहि मे ब्रह्मा आ विष्णु शामिल छथि तिनकहु सब मे परिवर्तनकर्ताक रूप मे सम्मानित मानल जाइत छन्हि । शिव केँ योग, ध्यान व कलाक संरक्षक देवताक रूप मे सेहो जानल जाइत छन्हि । भक्त लोकनि हिनका सँ बुद्धि, ज्ञान आ जन्म तथा मृत्युक चक्र सँ ​​मुक्ति (मोक्ष) केर आशीर्वाद मांगैत छथि । भगवान शिव केँ प्रसन्न करब एक गहन आध्यात्मिक उपलब्धि मानल जाइछ, आर इहो मानल जाइछ जे सच्चा भक्ति आ उचित अनुष्ठान सँ हुनकर कृपा प्राप्त कयल जा सकैत अछि । एतय भगवान शिव केँ प्रसन्न करबाक तरीकाक बारे मे एक गहन मार्गदर्शिका देल गेल अछि ।
 
भगवान शिव केँ बुझब जरूरी अछि
 
कोनो तरहक साधना मे लागय सँ पहिने, भगवान शिव केर प्रकृति आ विशेषता सब बुझब जरूरी अछि । हुनका अधिकतर ध्यान केर अवस्था मे दर्शायल जाइत छन्हि, जे शान्ति आ उत्कृष्टताक प्रतीक मानल जाइछ । हुनकर तेसर नेत्र ज्ञान आ अन्तर्दृष्टिक प्रतिनिधित्व करैत अछि, जखन कि हुनकर गला मे साँप भय आ मृत्यु पर नियंत्रण केर प्रतीक मानल जाइछ । हुनकर माथ पर अर्धचन्द्र समय बितबाक प्रतीक थिक, आर हुनकर जटा सँ बहैत गंगा नदी पवित्रता आर जीवनदायिनी शक्तिक प्रतिनिधित्व करैत अछि ।
 
ईमानदार आ समर्पित भक्ति
 
भगवान शिव केँ प्रसन्न करबाक आधार ईमानदार आ समर्पित सत्य भक्ति मात्र होइछ । एहि मे निम्न विन्दु ध्येय अछि:
 
नियमित प्रार्थना आ ध्यान:
प्रार्थना आ ध्यान केँ दैनिक दिनचर्या मे स्थापित करू । सच्चा भक्ति भावना सँ “ॐ नमः शिवाय” जेहेन शिव मंत्रक जाप कयला सँ मोन केँ केन्द्रित कयला सँ हुनकर दिव्य ऊर्जा सँ जुड़य मे मदति भेटैछ ।
 
मन्दिर मे गेनाय:
शिव मन्दिर मे नियमित रूप सँ गेनाय, विशेष रूप सँ सोम दिन (शिव आराधना लेल पवित्र मानल जाइछ), अहाँक भक्ति केँ बढ़ा सकैत अछि । शुद्ध मोन सँ मन्दिरक अनुष्ठान आ पूजा सब मे भाग लेबाक चाही, प्रसाद ग्रहण करबाक चाही । ई अत्यधिक अनुशंसित अछि ।
 
उपवास:
महाशिवरात्रि, प्रदोष व्रत आर सोमवारी जेहेन शुभ दिन सबपर उपवास रखला सँ अहाँक समर्पण आ अनुशासन केँ प्रदर्शित कय सकैत अछि । मानल जाइछ जे उपवास कयला सँ शरीर आर आत्मा शुद्ध होइत छैक, एहि तरहें ओ दिव्य आशीर्वाद प्रति अधिक ग्रहणशील बनैत छैक ।
 
अभिषेक (अनुष्ठान स्नान):
शिवलिंगक अभिषेक करब या ओहि मे भाग लेब, जेतय मूर्ति केँ दूध, मधु आ जल जेहेन विभिन्न पदार्थ सब सँ स्नान करायल जाइछ, शिव केँ प्रसन्न करबाक एकटा शक्तिशाली तरीक होइछ । अभिषेक मे उपयोग कयल जायवला प्रत्येक पदार्थक एकटा प्रतीकात्मक महत्व होइत छैक, जे आध्यात्मिक शुद्धि तथा दिव्य सम्बन्ध केँ बढ़ावा दैत छैक ।
 
बेलक पात (बिल्वपत्र) चढ़ेनायः
भगवान शिव केँ बेलक पत्ता बहुते प्रिय लगबाक मान्यता अछि । मानल जाइछ जे पूजाकाल मे बेलपात चढ़ेला सँ, विशेष कय केँ तीन पत्तावला डंठल चढ़ेला सँ हुनकर आशीर्वाद भेटैत अछि । सुनिश्चित करू कि पत्ता साफ आ छेद रहित होय । आध्यात्मिक प्रभाव बढ़ेबाक वास्ते पत्ता चढ़बैत काल “ॐ नमः शिवाय” मंत्रक जाप करू ।
 
महाशिवरात्रि मनेनाय
 
शिव केर महान रात्रि महाशिवरात्रि भगवान शिव केँ समर्पित सबसँ महत्वपूर्ण त्योहार होइछ । भक्त पूरे राति जागरण करैत अछि आ शिव केँ प्रसन्न करबाक लेल विभिन्न धार्मिक-आध्यात्मिक गतिविधि सब करैत अछि, जेना:
 
पूरे राति जागरण:
पूरे राति जागब आर शिव केर नाम जपब अटूट भक्ति केर प्रदायक होइछ ।
 
विशेष पूजा:
भगवान शिव केँ सम्मानित करबाक लेल मध्यरात्रि, जेकरा सब सँ शुभ समय मानल जाइछ, ताहि समय मे विशेष पूजा आर अभिषेक करब ।
 
शास्त्र सभक पाठ:
शिव पुराण पढ़ब या शिव तांडव स्तोत्र आर लिंगाष्टकम जेहेन शिव स्तोत्र (भजन सब) केर पाठ करब ।
 
जरूरतमन्द लोक सब केँ दान देनाय:
आजुक दिन दान आ जरूरतमन्द सब केँ मदति करब बहुत पुण्य केर काज होइछ ।
 
योगीक जीवनशैली अपनायब
 
चूँकि भगवान शिव योग आर ध्यान केर संरक्षक छथि, ताहि लेल एहेन जीवनशैली अपनायब जाहि मे नियमित योग अभ्यास आर ध्यान शामिल हो, हुनकर ऊर्जा सभक संग तालमेल बैसबय मे मदति कय सकैत अछि । योग आर ध्यान केर माध्यम सँ प्राप्त अनुशासन तथा मानसिक स्पष्टता शिव केँ प्रसन्न करैत छन्हि ।
 
आसन केर अभ्यास करबः
शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती केँ बढ़ावा दयवला योग आसन करू । सूर्यनमस्कार (सूर्य नमस्कार) और शवासन (शव मुद्रा) जेहेन आसन लाभकारी भ’ सकैत अछि ।
 
प्राणायाम (श्वास संबंधी व्यायाम):
प्राणायाम केर नियमित अभ्यास श्वास केँ नियंत्रित करय मे आर मोन केँ शान्त करय मे मदति करैत अछि, जाहि सँ ध्यान लेल अनुकूल वातावरण बनैत अछि ।
 
ध्यान:
नियमित रूप सँ ध्यान करू, तेसर आँखि पर ध्यान केन्द्रित करू या शिव मंत्र सभक जाप करू । एहि सँ आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ैत अछि आर शिव केर संग अहाँक सम्बन्ध गहराइत अछि ।
 
धार्मिक जीवन जियब
 
शिव पवित्रता, धार्मिकता और करुणा सँ प्रसन्न होइत छथि । एहि गुण सब केँ अपनाबयवला जीवन जिनाय महत्वपूर्ण छैकः
 
सत्यनिष्ठा आर ईमानदारी:
जीवनक सब पहलु मे सत्यनिष्ठा बनेने रहू । शिव ईमानदारी आ नैतिकता केँ बहुत महत्व दैत छथि ।
 
करुणा और अहिंसा:
सब जीवित प्राणी सभक प्रति करुणा केर अभ्यास करू । दोसर केँ नोकसान या पीड़ा पहुँचाबय सँ बचू ।
 
आत्म-अनुशासन:
इच्छा सब पर नियंत्रण आर आत्म-संयम केर अभ्यास करब महत्वपूर्ण होइछ । भौतिकवादी सुख सब मे लिप्त होय सँ बचू ।
 
निष्कर्ष
 
भगवान शिव केँ प्रसन्न करब आध्यात्मिक विकास और आत्म-शुद्धिक यात्रा थिक । एकरा वास्ते सच्चा भक्ति, अनुष्ठान सभक नियमित अभ्यास आर धार्मिकता तथा अनुशासनक जीवन जियब आवश्यक छैक । शुद्ध हृदय आर अटूट विश्वासक संग एहि सब प्रथा केर पालन कय केँ, भक्त भगवान शिवक कृपा प्राप्त कय सकैत अछि आर समृद्ध तथा आध्यात्मिक जीवन वास्ते हुनकर आशीर्वाद प्राप्त कय सकैत अछि ।
 
हरिः हरः!!

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