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आइ काल्हि विवाह में रिवाज आर परंपरा सँ अधिक देखावा पर जोर

लेख विचार
प्रेषित: आभा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “ माता पिताक लेल बेटा-बेटीकेँ विवाह आब पहिने सँ बेसी चुनौतीपूर्ण भऽ गेल अछि से किएक”-

आजुक समाजमे माता-पिता लेल अपन बेटा आ बेटीक विवाह एकटा पैघ चुनौती बनि गेल अछि। पहिने, जखन समाज परंपरागत आ स्थिर छल, विवाहक आयोजन साधारण रूपसँ परिवारक लोक सभ मिलि कऽ करैत छल। मुदा आजुक समयमे, बदलल समाज, अर्थव्यवस्था आ संस्कृतिकेँ कारण विवाहक प्रक्रिया आर बेसी जटिल भऽ गेल अछि। एहि लेख में, हम देखब की किएक माता-पिता लेल अपन बेटा-बेटीक विवाह पहिने सँ बेसी चुनौतीपूर्ण भऽ गेल अछि।

1. युवावर्गक बदलल सोच:
आजुक युवा अपन जीवनक निर्णय स्वतंत्र रूपसँ लेबय लेल चाहैत छथि। विवाहक निर्णयमे पारिवारिक दबावकेँ जगह, ओ अपन सोच आ पसंदकेँ महत्त्व दैत छथि। एहि बदलावसँ माता-पिताक लेल चुनौती बढ़ि गेल अछि, कारण ओ अपन पारंपरिक सोचसँ हटि कऽ बच्चाक चयनकेँ स्वीकार करबाक लेल तैयार नहि होइत छथि। एहि कारण, विवाहमे तनाव आ असहमति उत्पन्न होइत अछि।

2. सामाजिक आ सांस्कृतिक दबाव:
पहिने समाजक परंपरा आ रिवाजक अनुसार विवाह होइत छल। जाति, धर्म, परिवारक प्रतिष्ठा आ अन्य सांस्कृतिक मापदंडक आधार पर विवाह तय होइत छल। मुदा आजुक समाजमे एहेन दबाव कम भऽ गेल अछि आ लोक अपन पसंद आ जीवनशैली पर ध्यान दैत अछि। एहि कारण, माता-पिताक लेल अपने बच्चाक विवाहमे हर दृष्टिकोणसँ सहमति बनवाक कोशिश कठिन भऽ गेल अछि।

3. आर्थिक स्थिति:
वर्तमानमे विवाह आयोजन महग भऽ गेल अछि। विवाहक रिवाज, उत्सव, आ आयोजनमे खर्च बढ़ि गेल अछि। माता-पिताक लेल विवाहक खर्च वहन करब, खास कऽ जखन ओ कम आय वाला होइथ, एकटा पैघ समस्या बनि गेल अछि। एहि कारण, ओ अपन बच्चाक विवाहमे सामर्थ्यक अनुसार निर्णय लेबामें कष्ट महसूस करैत छथि। एहि आर्थिक दबावसँ विवाहक आयोजन पर तनाव उत्पन्न होइत अछि।

4. करियर आ जीवनक उद्देश्य:
आजुक युवा अपन करियर आ व्यक्तिगत लक्ष्यकेँ प्राथमिकता दैत छथि। बहुत बेर, ओ अपन विवाहक निर्णयकेँ लेल टाली दैत छथि। ओ ककरो सँ विवाह करबाक निर्णय बादमे करैत छथि, जाहि कारण माता-पिता के लेल विवाह समय पर तय करब कठिन भऽ जाइत अछि। एहि कारण, विवाहक आयु बढ़ि रहल अछि आ माता-पिताक लेल अपन बच्चाक विवाहक लेल समय निकालब कठिन होइत अछि।

5. विवाह के चयनमे आधुनिक बदलाव:
आइ काल्हि के युवा ऑनलाइन डेटिंग, सोशल मीडिया आ अन्य आधुनिक माध्यमसँ विवाह के साथी चुनैत छथि। एहि तरीका सँ, माता-पिताक लेल अपन बच्चाक साथी चुनै में बदलाव आ रुकावट उत्पन्न होइत अछि। ओ स्वयं विवाहक साथी चुनबाक स्वतंत्रता चाहैत छथि, जखनकि माता-पिता किछु निश्चित मानक आ परंपराक आधार पर विवाहक निर्णय लेबय चाहैत छथि। एहि कारण, परिवारमे असहमति उत्पन्न होइत अछि।

निष्कर्ष:
माता-पिताक लेल अपन बच्चाक विवाह आब पहिनेसँ बेसी चुनौतीपूर्ण भऽ गेल अछि। समाजमे आस्था, परंपरा आ बदलैत समयक कारण ओ अपन बच्चाक विवाहक निर्णयमे परिवर्तन आ संघर्ष देखैत छथि। अहिना, जँ माता-पिता अपन दृष्टिकोणमे लचीलापन आ समझदारी देखाबैथ तऽ विवाहक प्रक्रिया सहज आ शांतिपूर्ण बनि सकैत अछि। ओ बच्चाक विचारकेँ सम्मान करैत, पारिवारिक बंधन मजगूत कऽ सकैत छथि।

 

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