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पं. गोविन्द झा द्वारा कविश्वर चन्दा झा रचित मिथिलाभाषा रामायणक हिन्दी अनुवाद – मैथिली रामायण

पुस्तक चर्चाः मैथिली रामायण

मैथिली रामायणक हिन्दी अनुवाद – पं. गोविन्द झा

१ वर्ष सँ कनेक बेसी भेल जे कविश्वर चन्दा झाक रामायण – कविचन्द्र कृत् मिथिलाभाषा रामायण केर पाठ एवं टुकड़ा-टुकड़ा मे फेसबुक पर पोस्ट करैत मैथिली जिन्दाबाद डट कम पर अध्याय हिसाबे संग्रह कय रहल छी । आब उत्तरकाण्डक दोसर अध्याय जाहि मे अगस्त्य मुनि द्वारा श्री रामचन्द्र जी लग दशमुख रावणक वंश-व्याख्या चलि रहल अछि, ओतय धरि पहुँचि चुकल छी । एखन हैदराबाद यात्रा सँ मिथिलाभाषा रामायण मादे भेटल एक अन्य महत्वपूर्ण सामग्री बारे किछु चर्चा मात्र राखि रहल छी ।

इन्टरनेट सँ प्राप्त सामग्री थिक –

‘पंडित गोविन्द झा द्वारा कयल गेल मिथिलाभाषा रामायणक हिन्दी अनुवाद’,

ई भुवन वाणी प्रकाशन (लखनऊ) सँ वर्ष १९८६-८७ ई. मे प्रकाशित अछि । भुवन वाणी ट्रस्ट केर मुख्य न्यासी (सभापति) पद्मश्री नन्द कुमार अवस्थीक लिखल प्रकाशकीय (वक्तव्य) पढ़ि बहुत आह्लादित भेलहुँ । स्पष्ट अछि जे भारत मे ‘हिन्दी’ केँ राष्ट्रभाषा रूप मे मानि लेनाय (जन्म देला) मात्र सँ काज नहि चलत, बल्कि हिन्दी आ ‘नागरी’ केर विस्तार-क्षेत्र मुताबिक साहित्यक भंडार सेहो राष्ट्रानुरूप होयत तखनहि ‘राष्ट्रभाषा’क गरिमा रहि सकत, से भाव ओ रखने छथि । एहि क्रम मे भारतक राजभाषा विभागक गठन कय केँ उच्चस्तरीय काज सब करैत अयबाक क्रम मे ‘बिहार राजभाषा विभाग’ मे कार्यरत पंडित धर्मनाथ झा द्वारा अपन श्वसुर पंडित गोविन्द झाक परिचयोपरान्त ‘कविश्वर चन्दा झा’ केर रामायणक हिन्दी अनुवाद सम्भव भेल । १९८३ सँ १९८६ धरिक कालावधि मे मैथिली आ हिन्दी दुनू लेल बहुत पैघ महत्वपूर्ण कार्य पूरा कयल गेल ।

औनलाइन आर्काइव रूप मे ई पुस्तक एतय उपलब्ध अछिः
https://archive.org/details/20230430_20230430_0648/mode/2up?view=theater

अनुवाद अत्यन्त महत्वपूर्ण काज होइत छैक । आन-आन भाषा मे भेल महत्वपूर्ण काज सभक मैथिली मे अनुवाद करब आ मैथिली मे रहल अनेकों महत्वपूर्ण कृति सभक हिन्दी, अंग्रेजी व अन्यान्य भाषा मे अनुवाद करब बहुत जरूरी छैक ।

पंडित धर्मनाथ झा, बिहार राजभाषा विभाग आ स्वयं अनुवादक महान् विद्वान् पंडित गोविन्द झा जे कतेको रास भाषाक जानकार लोक रहथि – हुनका सभक प्रति हम मैथिली साधक सब कृतज्ञ छी जे एतेक पैघ काज कय केँ छोड़ि गेलाह । संगहि कृतज्ञ छी भुवन वाणी ट्रस्ट केर जे एकटा अति महत्वपूर्ण स्किम मे कवि चन्दा झाक रामायणक हिन्दी अनुवाद करा ‘नागरी’ लिपि मे रूपान्तरण करबैत मूल पाठ सहितक पुस्तक पूरे भारत केँ सौँपि देलनि ।

प्रकाशक द्वारा एकटा अत्यन्त रोचक बात लिखल गेल अछि से हमरो लिखबाक मोन भ’ रहल अछिः

“कोनो नव बच्चाक जन्म भेल आ नाम ‘लखपति’ राखि देल गेल, ताहि सँ ओ ‘लखपति-लखधीश’ नहि बनि जायत । जाबत धरि ओ लाखों राशिक आर्जन नहि कय लेत, मात्र नामक ‘लखपति’ कहायत ।”

प्रकाशकक इशारा छन्हि जे भारत मे हिन्दी केँ ‘राष्ट्रभाषा’ नाम त दय देल गेल अछि, परञ्च वास्तव मे हिन्दी साहित्य लग अपन कोनो भंडार उपलब्धे नहि अछि । तेँ भारत सरकारक भाषानीति अनुरूप हिन्दी राष्ट्रभाषा (राजभाषा) आ नागरी लिपि केँ सर्वव्यापक बनेबाक वास्ते भारतक सम्पूर्ण भाषाक साहित्य-सामर्थ्य केँ अपनेबाक जरूरत छैक हिन्दी केँ आ तखनहिं ई अपन राष्ट्रभाषा होयबाक गरिमा केँ पूर्णता प्रदान कय सकत ।

अस्तु! स्वाध्यायक हिस्सा ई अनुवादक पोथी सेहो बनत आ समय-समय पर अपने सब लग सामग्री सब रखैत रहब । हमरा लेल एकटा लाभ ई भेल जे साहित्य अकादमी सँ प्रकाशित ‘मिथिलाभाषा रामायण’ मे कतेको जगह मिसप्रिन्ट आ टाइपिंग इरर देखायल, ओकरा क्रौस रेफरेन्स करबाक वास्ते एकटा नीक सन्दर्भ पोथी प्राप्त भ’ गेल अछि ।

श्री सीताराम केर कृपा सदिखन एहिना सब पर बनल रहय !!

हरिः हरः!!

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