लेख
– प्रवीण नारायण चौधरी
यैह ७ गोट भाषा केँ प्राचीनता प्राप्त अछि
कनी मनन करू – भाषाक आयु कोन आधार पर जिबन्त रहैछ !
विश्व भरि मे कुल ७ गोट भाषाक प्राचीनता सुविख्यात अछि – से कोन-कोन भाषा थिक आ एकर ख्यातिक मूल कारण कि छैक – एहि पर मनन करबाक अछि ।
संस्कृत, तमिल, हिब्रू, ग्रीक, चीनी, अरबी तथा लैटिन – यैह ७ भाषाक आयु सर्वथा प्राचीन मानल जाइछ । एहि सब भाषाक लेख्य सामग्री व साहित्यिक सम्पदा – लेख, शिलालेख, ताम्रपत्र आ अन्यान्य अभिलेख सभक आधार पर एकर आयुक अनुमान लगायल गेल अछि । आउ, एक दृष्टि भाषा, आयु व साहित्यिक सम्पदा पर दी –
१. संस्कृत –
आयु ३५०० वर्ष सँ अधिक । संस्कृतक साहित्य यथा वेद, महाभारत व अन्य पुराण आदिक संग सम्पूर्ण मानव समुदाय लेल पहिल वैधानिक आधार ‘मनुस्मृति’ एवं अनेकों ऋषि-मुनि-मणीषिगण द्वारा रचित विभिन्न संहिता, सिद्धान्त आदि सँ भरल अछि । संस्कृतक साहित्य केँ भारतवर्षीय (भारतीय, नेपालीय, आदि) संस्कृति निर्माणक आधार मानल जाइछ ।
संस्कृतक वक्ता आब विरले भेटैत छथि, परञ्च संस्कृत बिना किनको जीवनचर्या तक नहि चलि पबैछ । जीवन जिबय के तरीका केँ साररूप मे ‘धर्म’ कहल जाइछ । धन्य संस्कृत साहित्य जे मनुष्यक धर्म केँ सुपरिभाषित कयलक आर तेँ ‘धार्मिक भाषा’ रूप मे ई आइ धरि जिबैत अछि, चौजुगी जिबैत रहत । आइ विश्व भरि मे संस्कृत पढ़ेबाक लगभग अनिवार्यता लागू कयल गेल छैक, कहबाक तात्पर्य जे एकटा निश्चित बौद्धिक वर्ग द्वारा संस्कृत अनिवार्य रूप मे अध्ययन करबाक व्यवस्था पाश्चात्य संस्कृतिक विभिन्न देश सेहो कय रहल अछि । धार्मिक भाषा केँ अंग्रेजी मे Liturgical Language कहल जाइत छैक, आर संस्कृत भले बोलचालक भाषा सँ उठि गेल, मुदा अपन साहित्यिक दमखम सँ चौजुगी जिबैत रहत ।
२. तमिल –
तमिल भाषाक आयु २००० वर्ष सँ बेसीक मानल गेल अछि । भारत मे तमिल मात्र केँ प्रथमतः शास्त्रीय भाषा (Classical Language) केर रूप मे मान्यता प्रदान कयल गेल ।
तमिल सेहो अपन प्रसिद्ध साहित्य ‘संगम काव्य संग्रह’ लेल प्रसिद्ध अछि, ईशा पूर्व ३०० वर्ष पहिने सँ ईशा बाद ३०० वर्ष धरिक बीच मे पांड्य शासक द्वारा मदुरै मे आयोजित तीन ‘संगम मेला’ मे कुल ४७३ कविक कविता संग्रह करैत तमिल भाषा लेल ‘संगम साहित्य’ नाम सँ ख्याति प्राप्त कयलक । ई प्राचीन तमिल समाजक साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक आ ऐतिहासिक वर्णन करैत अछि । एहि मे कुल ३ राजवंश – चोल, चेर आ पांड्य केर उल्लेख एहि संगम साहित्य मे भेटैत अछि ।
तमिल भाषाक प्राचीनता आ प्रसिद्धि मे पुनः दोसर प्रमुख साहित्य तिरुक्कुरल (१३३० कुरल यानि दोहाक संग्रह) केँ मानल जाइत अछि । जहिना संस्कृत केर वेद-पुराण-संहिता द्वारा मनुष्यक जीवन लेल मार्गदर्शन कराओल गेल अछि, ठीक तहिना ‘तिरुक्कुरल’ जीवनक प्रत्येक पहलू सँ सम्बन्धित विशद् सूत्र (पद्य) केर विवेचना प्रस्तुत कएने अछि । नैतिकता, शासन, आध्यात्मिकता, प्रेम सहित जीवनक विभिन्न पहलू पर मार्गदर्शन प्रस्तुत करैत अछि तिरुक्कुरल ।
३. हिब्रू –
हिब्रूक आयु ३००० वर्ष सँ बेसी मानल गेल अछि । ई भाषा लगभग लोप भ’ गेल छल, लेकिन १९म सदी मे एकरा ‘मोडर्न हिब्रू’ रूप मे पुनर्जीवन देल गेल । इजरायल व विश्वक अनेकों भाग मे लाखों लोक द्वारा ई भाषा बाजल-लिखल जाइत अछि ।
एहि भाषाक साहित्यिक परिप्रेक्ष्य सेहो पूर्ववर्णित संस्कृत-तमिल जेकाँ हमरा सब लेल ध्येय अछि । एकर पुरातन रूप तैराती इब्रानी कहाइछ, जेकरा यहूदी धर्मक धर्मभाषा आ तैरात – अर्थात् भविष्यवक्ता सभक बात केँ एहि भाषा मे लिखल गेल छल ।
आजुक इजरायल (फिलिस्तीन सँ १९४८ मे स्वतंत्र भेल देश) एहि इब्रानी भाषा यानि हिब्रू केँ अपन राजभाषा आ शिक्षा-संचारक माध्यम भाषा बनौने अछि । तकनीकी स्तर पर विश्वक सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र रूप मे इजरायल केर नाम सब कियो जनैत छी । एक समय भाषा वैज्ञानिक सब हिब्रू केँ मृतभाषाक सूची मे राखि देने रहथि, परन्तु प्रथम विश्वयुद्ध उपरान्त सँ यहूदी सब चेत गेल आ अपन भाषा केँ तुरन्त अपनाकय एकर अनिवार्यता लागू कय देलक । सन् १९१८ मे यरूशलम केर इब्रानी विश्वविद्यालय स्थापित भेल जेकर समस्त विभाग मे इब्रानी टा केँ शिक्षाक माध्यम बनायल गेल । इजरायल राज्य मे कतेको दैनिक पत्र-पत्रिका सेहो इब्रानी मे निकलैत अछि ।
१९४८ मे जखन इजरायल स्वतन्त्र भेल त ओ तुर्की जेकाँ अपन भाषा इब्रानी मे शिक्षा आर शासन–प्रशासन सँ जुड़ल सारा गतिविधि सब केँ कार्यान्वित करबाक निर्णय लेलक । आइ एहिठामक सबटा शैक्षिक, प्रशासनिक, वैज्ञानिक आर तकनीकी उपलब्धि सभक लक्ष्य इब्रानी मे गरिमाक संग पुनः प्राप्त कय लेल गेल अछि । एतय विज्ञान आर तकनीक सँ जुड़ल श्रेष्ठतम आविष्कारक शब्दावली इब्रानी मे अछि ।
४. ग्रीक –
ईशा पूर्व १४५० केर आसपास सँ – आयु करीब ३५०० वर्षक आसपास ! युरोप केर सर्वाधिक प्राचीन भाषा जाहि मे साहित्यिक अकूत भंडार उपलब्ध अछि । होमर केर लिखल महाग्रन्थ कथा-गाथा हो आ कि महान दार्शनिक अरस्तु केर दर्शन सँ भरल अनेकों आख्यान – व्याख्यान – ई सबटा ग्रीक मे उपलब्ध अछि । आधुनिक ग्रीक सेहो अपन प्राचीनताक संग गहिंराइ सँ जुड़ल अछि ।
५. चीनी –
चीनी भाषाक आयु सेहो ३००० वर्ष सँ बेसी मानल गेल अछि । चीनी भाषाक अनेकों बोली-शैली मध्य ‘मन्दारिन’ सर्वाधिक प्रयोग कयल जाइछ ।
साहित्यक मादे ‘ओरैकल बोन्स’ – बरदक हड्डी या कछुआ खोल मे लिखल (टंकित-अंकित) लेख ‘चीनी भाषा’ मात्र मे प्राप्त भेल अछि, जे मनुष्यक जीवन सँ जुड़ल विभिन्न सत्य-तथ्य केँ उजागर करैत अछि । चीनी शांग वंशीय राजाक सम्पूर्ण वंशावली सँ लैत मानव स्वास्थ्य, जीवन-व्यवहार, रीति-रिबाज आदिक विशद विवरण ओरैकल बोन्स सँ प्राप्त होइछ । १९म शताब्दी मे एकर खोज भेल आ २०म शताब्दी मे एकर अर्थानुवादक कार्य सम्भव भ’ सकल, आइ एहि विधाक अध्ययन केँ ओरैकलौजी कहिकय बाकायदा विधिवत् शिक्षा ग्रहण करबाक व्यवस्था सेहो उपलब्ध करायल गेल अछि ।
शांग राजवंश द्वारा उपरोक्त हड्डी मे लेखन सँ भविष्यवाणी कयल जाइत छल ।
६. अरबी –
एहि भाषाक आयु १५०० वर्षक मानल जाइछ । कुरान केर भाषा रूप मे अरबी भाषा प्रसिद्धि अछि ।
अरबी भाषा विभिन्न भाषाक बीच मे समन्वय स्थापित करबाक लेल सेहो प्रसिद्ध अछि । भारत मे प्रचलित गणनाक अंक पद्धति केँ विश्व भरि मे प्रचार करबाक कार्य यैह अरबीभाषी व्यापारिक समुदाय सब कयलक । गणित मे हिन्दू अरबिक संख्या प्रणाली रूप मे वर्तमान दशमलव पद्धतिक कुल १० संकेत १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९ आ ० केर उपयोग करैत एहि प्रणालीक विकास भेल ।
अरबी भाषा मूलतः कुरान जेहेन महत्वपूर्ण धर्मशास्त्रक भाषा त अछिये, एकर अतिरिक्त अरबी भाषा केँ वैज्ञानिक व गणितीय साहित्यक संग-संग अन्यान्य साहित्यिक उन्नतिक भाषाक रूप मे सेहो मानल जाइत अछि ।
अरबी भाषा सेहो अपन मूल आ मौलिकता संग अत्यन्त गरिंराइ सँ जुड़ाव रखैत अछि ।
७. लैटिन –
लैटिन केर आयु २७०० वर्ष पूर्व मानल जाइछ । लैटिन ‘मातृभाषा’ रूप मे केकरो द्वारा प्रयोग मे नहि बचल आब । मुदा तैयो एकर प्रभाव केँ कियो नहि नकारि सकैत अछि । रोमन भाषाक जनक केर रूप मे – अर्थात् स्पैनिश, फ्रेन्च तथा इटालियन भाषाक जनक रूप मे लैटिन केँ मानल जाइछ ।
रोमन कैथोलिक चर्चक धर्मभाषा लैटिन थिक । आइ जे पश्चिमी विज्ञान आ विधान (साइंस एन्ड लाव) केर साहित्य विश्व भरि मे प्रचलित अछि, तेकर मूल रूप लैटिन भाषा सँ प्राप्त भेल अछि ।
हमहुँ-अहाँ जे भौतिकी, रसायन आ जीवविज्ञान जेहेन प्राकृतिक विज्ञानक ३ विभागक अध्ययन करैत छी, कतेको रास रासायनिक नाम व सूत्र सभक जिकिर भेटैत अछि – ओहि सभक मूल लैटिन भाषा सँ उपस्थापित भेल अछि ।
निष्कर्षः
मानव जीवन लेल जे कोनो भाषा जीवन-दर्शन संग जीवनोपयोगी कथा-वस्तुक साहित्य लिखैत अछि, वैह चौजुगी जिबैत अछि । बाकी, अपने सभक राय (प्रतिक्रिया) सेहो आबय । ॐ तत्सत् !!
हरिः हरः!!