मिथिलादेश बनय मिथिला राज्य दुनू मित्रराष्ट्र मे: समर्थनक स्तर नित्य बढि रहल अछि

अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा धरना-प्रदर्शन केँ संबोधित करैत भारतीय काँग्रेस केर महासचिव सह वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह - जन्तर मन्तर दिल्ली मे
विशेष संपादकीय
मिथिला राज्यक आन्दोलन केँ भेटल दिग्गी महाराजक समर्थन – खास प्रसंग आ खास चर्चा!!
अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा धरना-प्रदर्शन केँ संबोधित करैत भारतीय काँग्रेस केर महासचिव सह वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह - जन्तर मन्तर दिल्ली मे
अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा धरना-प्रदर्शन केँ संबोधित करैत भारतीय काँग्रेस केर महासचिव सह वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह – जन्तर मन्तर दिल्ली मे

ई बहुत पैघ एचीवमेन्ट भेल मिथिला आन्दोलन केँ जे काँग्रेसक वरिष्ठ नेता आ महासचिव दिग्विजय सिंह मिथिला राज्यक माँग केँ खुलिकय समर्थन देला।

 
विदित हो जे काँग्रेसी महिला समाजक एक कार्यक्रम सँ ओ वापसी करबाक समय अनचोके ‘मिथिला राज्यक माँग कएनिहारक मंच देखि’ स्वत: ओहि तरफ खिंचायल आबि गेला आ मंचक नीचें सँ माँगक समर्थन मे वक्तव्य तथा शुभकामना प्रदान कए देलनि।
 
एहि सँ आन्दोलनी केँ ई सीख तऽ भेटिये रहल अछि जे समुचित प्रयासक कमी सँ ‘मिथिला राज्य आन्दोलन’ देशक प्रमुख नेता धरि पहुँचबे नहि कैल अछि, आ जतय-जतय पहुँचल, समर्थन भेटबे टा कएल।
 
एम्हर निज मिथिलाक बुद्धिजीवी कहेनिहार सँ लैत खण्डी बुद्धिक प्रसिद्ध आम मैथिल समाज अहु प्रसंग पर अपन तिरछा बाण छोड़य सँ नहि चूकैत छथि – ओ सब दिग्गीक समर्थन पर प्रहार करैत कहैत छथि जे यैह समर्थन पिछला सरकार चलेबा समय कियैक नहि छल। प्रश्न जायजे छैक। मुदा कहियो अहाँ सोचलहुँ जे अहाँक आन्दोलन कतेक सशक्त भऽ सकल? कतेक समर्थन मूल्य आ कतेक समर्पण सँ अहाँ ई माँग कय रहल छी?
 
सरकार, विपक्ष लेल मिथिला राज्यक मुद्दा केर बात आ आन्दोलन मे लागि रहल समयक बात किछु आर भेल, मुदा एकटा वरिष्ठ नेताक बयान सँ छोट-मोट सब नेताक माथ पर बल पड़ि गेल। उदाहरणार्थ – सकील अहमद आइ धरि एतेक हिम्मत नहि जुटा पेला जे काँग्रेसक एक वरिष्ठ नेता रहैत कहियो खुलिकय मिथिला राज्य लेल बाजि सकितैथ…. आब हिनका सबकेँ ई सोचय पड़तैन जे भारतीय गणराज्य मे मिथिला राज्य केर स्थापना पर अन्ठौनी सँ कतेक पैघ नोकसान अपनो लेल आ मिथिलो लेल ई सब केलनि अछि।
 
काँग्रेस पार्टीक नीति मे मिथिला केँ रखैल जेकाँ बनेबाक नीति रहल सेहो किनको सँ दसकोंक उपेक्षा सँ छूपल नहि अछि। एतय बड़का-बड़का नेता, अगुआ समाजक दबंगइ आ भ्रष्ट प्रशासनक सहयोग सँ बहुतो वर्ष धरि सत्ता पर काँग्रेसक एकलौती राज रहल…. विकल्प तहिया किछुओ नहि छल…. वि. पी. सिंह केर समय सँ परिवर्तनक जे बयार बहल ओ मिथिला सँ धीरे-धीरे काँग्रेस केँ साफ कय देलक।
 
आइयो किछु खानदानी काँग्रेसी बेचारे समर्पित छथि, मुदा सोनिया-राहुल केर नाम जप केर असैर पूरे देश सँ नकारल गेलाक बाद स्थिति मे कोनो सुधार तऽ छोड़ू, आब अपनो जीवन समाप्त होयबाक कगार पर पहुँचि गेला ई सब… हिनको लोकनि मे विरले किनको मिथिला राज्य केर माँग प्रति समर्थन भाव देखायल…. लेकिन दिग्विजय सिंह द्वारा खुलेआम समर्थन देबाक बात सँ एहि संपूर्ण काँग्रेसी मैथिल मे एकटा नव जान – झूनझून्नी जेकाँ भरलक से प्रतीत होइत अछि।
 
निश्चित रूप सँ कोनो दलक वरिष्ठ नेता द्वारा मिथिला राज्यक मुद्दा हथियेला सँ परिस्थिति मे एतेक पैघ बदलाव आयत जे कियो सोचनहियो नहि रहत तेहेन परिवर्तन राता-राती आबि सकैत अछि। बस गंभीरतापूर्वक प्रयास करब जरुरी छैक, मात्र पैरवी-पैरोकारी आ झोरा मे भीख समेटय सँ नीक छैक ईमानदारी सँ राज्यक मुद्दा सँ सब दल आ सब नेता केँ अवगत करबैत वृहतत्तर आन्दोलन करबाक।
बिहार मे विधानसभाक चुनाव साक्षात् सोझाँ ठाढ देखा रहल अछि। एहि समय राज्यक चर्चा किछु एहि तरहें चलनाय मुद्दाक वजन केँ अपने-आप बयान करैत छैक। हालहि भाजपा नेता आ दरभंगा सांसद तथा बेवाकी सँ विचार रखनिहार सुप्रसिद्ध क्रिकेटर‍-कम-राजनेता कीर्ति आजाद बड पैघ चर्चा चला देलनि। ओ सीधे बजला जे ‘मिथिला नहि देश तऽ राज्य जरुर बनक चाही’। निश्चितरूप सँ अर्जुन जेकाँ हुनकर दृष्टि मिथिलाक पहिचान केँ संविधान मे स्थापित करय पर लागल छन्हि आ ओ ‘मिथिलादेश’ केर पुरातन नाम अनुसार भारत तथा नेपालक बीच मिथिलादेशक माँग केँ ओहिना हवा दऽ देलनि जेना महान् विद्वान् नीति-निर्माणक राष्ट्रसेवक डा. लक्ष्मण झा भारत सरकार केँ मिथिला राज्य केर माँग ठुकरेलाक बाद चेतावनीरूप मे कहल गेल बात आ ओ संविधानक घोषणा सहित प्रकाशित पोथी ‘ए युनियन रिपब्लिक अफ मिथिला’ कहने छल मिथिलादेश केर सम्बन्ध मे।
डा. लक्ष्मी नारायण झा नेपाल मे राजा केँ कहने छलाह मिथिलादेशक निर्माणक सम्बन्ध मे। आ साक्षात् साझा संस्कृति, भाषा, साहित्य, बेटी-रोटी आ जनस्तरीय सम्बन्ध भारत ओ नेपाल केर मिथिलाक्षेत्र मे एहि बातकेँ आरो बल दैत अछि। सीमा भले अन्तर्राष्ट्रीय रहय, मुदा व्यवहार आ विचार एक अंगना जेकाँ बनल अछि, केवल मिथिला समान पुरातन आ सनातन संस्कृतिक चलते एहि दुनू देश मे। निश्चिते तौर पर पंजाब, बंगाल, तमिल समान साझा संस्कृतिक साझा देश रहैत कम सँ कम राज्य रूप मे दुइ अलग देश मे सेहो मान्यता देला सँ दुनू देशक कल्याण होयब तय अछि।