विराटनगर, २१ दिसम्बर २०२४ । मैथिली जिन्दाबाद !!
सिरहा मे आरम्भ भेल अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन एवं सिरहा साहित्य संगम कार्यक्रम
काल्हि २० दिसम्बर २०२४, सिरहाक चन्द्र माध्यमिक विद्यालय प्रांगण मे अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषदक अगुवाई मे आयोजन होइत आबि रहल ‘अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन’क ३५मा प्रभाग आरम्भ भेल अछि । एकर उद्घाटन नेपालक पूर्व प्रधानमंत्री डा. बाबूराम भट्टराई कयलनि । डा. भट्टराई अपन सम्बोधन मे कहलनि जे नेपालक नव संविधान द्वारा नेपालीक अतिरिक्त अन्य सम्पूर्ण भाषा केँ ‘राष्ट्रीय भाषा’क दर्जा प्रदान कयलक अछि, मुदा कार्यान्वयन पक्ष एखनहुँ धरि यथास्थिति (एकल भाषानीति) वला बनले देखाइछ से दुखद अछि । व्यक्तिगत रूप सँ मिथिलाक भाषा-संस्कृति आ सभ्यताक प्रबल पक्षधर होयबाक आ बिना मिथिला सभ्यताक संरक्षण-संवर्धन (समृद्धि) नेपालक समृद्धि सम्भव नहि होयबाक बात सेहो डा. भट्टराई कहलनि ।
“म एकतरफी रूपमा लव गरें – मिथिला सभ्यता र संस्कृतिको समृद्धि होस् – त्यो बिना नेपालको समृद्धि कठिन छ।”
– डा. बाबूराम भट्टराई, पूर्व प्रधानमंत्री, नेपाल
अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषदक अध्यक्ष डा. अशोक अविचल केर अध्यक्षता मे आयोजित उपरोक्त अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक ३५मा प्रभाग मे संस्थापक अध्यक्ष डा. धनाकर ठाकुर, रत्नेश्वर झा, डा. रविन्द्र कुमार चौधरी एवं भारतीय मिथिलाक विभिन्न जिलाक प्रतिनिधि लोकनिक सहभागिता छल । अध्यक्षीय सम्बोधन मे डा. अविचल सहित अन्य वक्ता लोकनिक भावना छलन्हि भारत ओ नेपाल दुनू दिश मिथिला राज्यक स्थापना हो, तखनहि भारत ओ नेपालक संघीय संरचनाक यथार्थ पृष्ठपोषण सम्भव होयत ।
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक संगीत तथा नाट्य अकादमीक पूर्व प्रमुख प्राज्ञ रमेश रंजन झा एहि सभाक विशिष्ट वक्ता रूप मे अपन यथेष्ट विचार रखलनि । ओ कहलनि जे नेपालक मैथिलीभाषी समुदाय सब सँ बेसी प्रतिरक्षात्मक अबस्था मे रहय लेल बाध्य अछि । मैथिलीभाषी समुदाय मे अपनहि लोक मधेश व मधेशवादक पक्षधर रहबाक स्थिति मे मैथिली आ मिथिला लेल कहियो आक्रामकता नहि देखेलक । उग्रता आ आक्रामकताक कोनो कल्पना मैथिलीभाषा-साहित्य या मिथिला संस्कृति-सभ्यता अथवा मैथिल पहिचान प्रति नितान्त अभाव रहलैक ।
“हम सब कहियो खुलिकय ई नहि बाजि सकैत छी जे मैथिली-मिथिला पर अत्याचार भेल । कारण अपनहि भाइ सब जे मधेश आ मधेशवादी शक्ति रूप मे राजनीति करैत छथि, अपनहि भाइ-बन्धु जिनका मे मधेश आ मधेशवाद सँ बेसी प्रियता देखाइछ, तिनका सब केँ हतोत्साहित आ रुष्ट नहि बनेबाक भावना सँ कहियो आक्रामकता नहि देखायल गेल ।”
श्री झा कहलनि जे संघीयताक आगमन संगहि प्रदेश दुइ केर नामकरण मधेश प्रदेश करिते राजनीतिक रूप सँ मैथिलीक घोर पराजय भ’ गेल ।
“जहाँ तक मैथिलीक सांस्कृतिक सत्ता केर बात छैक, एकरा हरेबाक लेल गोरखा सँ उदित भेल शाहवंशी राजा अथवा राणा शासन सेहो नहि उखाड़ि सकल, एकर सनातन स्वरूप केँ आइ तक कियो नहि चुनौती दय सकल छैक से स्पष्ट अछि । मुदा गोटेक स्वजन बन्धु लोकनि मैथिली भाषा केँ मधेशी भाषा, मैथिली भोजन केँ मधेशी भोजन – मैथिली संस्कृति केँ मधेशी संस्कृति आदि अनेकों रूप बदलिकय मैथिली विरोध मे ठाढ़ छथि । एहेन विरोधी लोकनि जिनका चिन्हितो करय मे हमरा सब असमर्थ छी, आइ मैथिली तेँ पाछू पड़ि गेल अछि । एहि लेल राज्यसत्ताक कमजोरी मात्र नहि, अपितु सत्तालोलुपता आ वोटबैंक बनेबाक अनेकों आन्तरिक विखंडनकारी सोच केर कारण मैथिली हारल अवस्था मे अछि । मुदा कालान्तर मे कोनो आरो उथल-पुथल हेतैक त मैथिलीक सम्भावना बचले रहत से अवश्यम्भावी अछि ।”
उद्घाटन सत्र केँ सम्बोधन करैत पूर्व प्रदेश मंत्री सुरेश मंडल, प्रदेश सांसद संजय यादव (जनमत पार्टी), जसपाक महिला प्रदेश सांसद, मधेश प्रज्ञा प्रतिष्ठानक प्रमुख राम भरोस कापड़ि भ्रमर व नेपाल-भारतक अन्यान्त वक्ता लोकनि सेहो अपन विचार रखलनि ।
मानव अधिकारकर्मी कृष्ण पहाड़ी द्वारा कोनो अन्य वक्ताक उठायल सवाल जे अपने सब अधिकांशतः चुप्पी लादि एकल भाषा नीतिक मौन समर्थन करैत रहलहुँ तेकर प्रत्युत्तर मे बजलाह जे निजी तौर पर हम मिथिला आ मैथिली लेल हमेशा समर्थन मे रहलहुँ, आइयो तत्पर छी आ बादो मे रहब, सब दिन संग देब । मुदा भाषाक उत्थान लेल अनावश्यक आक्रोशक जगह गम्भीर प्रयासक जरूरत अछि । एहि लेल आपसी समन्वय व सहकार्य करय जाय ।
राम भरोस कापड़ि भ्रमर द्वारा निरन्तर उठायल गेल भाषा-सहजीकरणक आवश्यकता पर पुनः जोर दैत कहल गेल जे मैथिली लेल जरूरी छैक सर्वस्वीकार्य भेनाय आ ताहि लेल हम सब प्रयत्न मधेश प्रज्ञा प्रतिष्ठान मार्फत आरम्भ कयल अछि, एकरा आगुओ निरन्तरा प्रदान करैत रहब ।
अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषदक संस्थापक अध्यक्ष डा. धनाकर ठाकुर सेहो मिथिला राज्यक आवश्यकता पर जोर देलनि । संगहि ओ बजलाह जे समस्त भारतवर्षीय सभ्यता आ पहिचानक अखण्ड इतिहास अछि । हमरा सभक संस्कृति तिब्बत सँ लयकय कन्याकुमारी धरि लगभग समान अछि । तेँ हम सब एक्के सांस्कृतिक भूखण्डक अंग छी । एहि भीतर विभिन्न उप-पहिचान अनुसार सब कियो फलित-फुलित होइ ।
आमजन मे उत्साहक संचरण करैत डा. ठाकुर कहलखिन कि सलहेस भूमिक लोक सब दिन निडर रहिकय अपन अस्मिताक प्रतिरक्षा करैत रहल । राजा सलहेश चीनी आक्रान्ता सब सँ लड़िकय मिथिलाक रक्षा कएने रहथि । ताहि ऐतिहासिक सलहेश भूमि सिरहाक लोक जरूरत मे अपन प्रतिरक्षा करय मे सक्षम रहत से विश्वास अछि ।
एहि महत्वपूर्ण कार्यक्रम संयोजक राम रिझन यादव विगत कतेको मास सँ लागिकय सिरहा क्रान्तिभूमि मे एहेन पैघ आयोजन केँ सफलीभूत कयलनि, आम लोक हुनकर एहि योगदान प्रति कृतार्थ भाव मे देखाइत रहल । हालांकि श्री यादव बहुत लोक केँ घर मे आमंत्रण पत्र पहुँचेलाक बादो एहि महत्वपूर्ण सम्मेलन मे सहभागिता नहि जनेबाक स्थिति पर दुःख जतबैत फेसबुक मे पोस्ट लिखलनि अछि । मुदा रणनीतिक रूप सँ आयोजित ई सम्मेलन अत्यन्त सफल भेल आर एहि लेल श्री यादव बधाईक पात्र थिकाह सब प्रतिक्रिया दय रहल अछि ।
हरिः हरः!!