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अपन बच्चा कऽ अपनहि सँ मैथिली सिखाउ

लेख विचार
प्रेषित: रिंकू झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “संविधान मे तँ स्थान भेट गेलन्हि मैथिली केँ ….मुदा कि अपनहि घर मिथिला मे स्थान भेटलन्हि या आबो भेटतैन माँ मैथिली केँ!”

कोनो भी क्षेत्र के पहचान ओहि क्षेत्र के भेष -भूषा ,खान -पान आर संस्कृति के संग -संग ओहि क्षेत्र केर भाषा सँ होई छै।
मैथिली भाषा सब सँ सुंदर आर मधुर भाषा अछि।अहि भाषा मे जे मिठास छै से दोसर कोनो भाषा मे नहि भेटत, ओना त अप्पन मातृभाषा सबके प्रिय होई छै। समस्त मिथिलावासी के लेल ई गर्व के बात छय अछि कि मैथिली भाषा के अप्पन लिपि, अप्पन व्याकरण,पंचाग,कला आर एक सँ एक साहित्यिक पोथी आर पत्रिका छै। धैर ई एक टा विडंबना कहि सकय छी जे जाहि मैथिली भाषा कें २२म अनुसूचित भाषा केर रुप मे २००३ सँ जानल जाईत अछि,जे संविधान कें आठम अनुसूची मे शामिल कैल गेल, ओहि भाषाक प्रति स्वयं मिथिलावासी उदासीनता केर रुखि देखाबय छैथ।कहय के लेल त हम सब मैथिल छी धैर मिथिलाक सभ्यता स दूरी बना रहल छी ,कारण मैथिली बाजय मे हम -आंहा सकुचाई छी ।मैथिली बाजय मे लाज लागैत अछि। किछु लोक त मैथिल कहबय सँ बचय छैथ , जेकर परिणाम देखू आबक बच्चा सब केँ निक स मैथिली बाजय नहि आबय छैन्ह। लीखब,पढव त बहुत दूर के बात छय। मिथिलाक्षर बुझितो नहि छथिन। अपना भाषा के छोड़ी आन भाषा जेना हिंदी, अंग्रेजी पर बेसी ध्यान दय छथिन,आर देथिन किएक नहि अभिभावक सब सेहो ईहेऽ त चाहय छैथ कि हुनकर बच्चा फटाफट अंग्रेजी बाजैन।साल भरिक बच्चा होएत नहि कि शुरु भय जाई छैन्ह गिटिर -पिटिर अंग्रेजी।

एक सँ एक अभियानी, राजनेता, समाज सेवक बड़का -बड़का भाषण देतैथ कि मातृभाषा बचाउ, बच्चा सब के मैथिली बाजय सिखाऊ ,मूदा अपना घर मे आबिते हिंदी आर अंग्रेजी झारतैथ परिवार के सदस्य संग। शहर मे रहय बला बच्चा सब त मैथिली जल्दी बजबे नहि करतैथ ।कहियौन त माय,बाप गर्व से कहतैथ मैथिली बाजय नहि आबय छय। अरे औतय कोना ? आहां सिखेबे नहि केलियैन । सालो,साल गाम -घर स मतलबे नहि रखलियै।अहि सब मे बच्चा के की दोष हम -आंहा स्वयं अहि के अनादर कय रहल छी।
हमर कहब ई कदापि नहि अछि कि आंहा दोसर भाषा नहि सिखू, जुग के मांग छय, सिखब किएक नहि। जतेक सीखब ओतेक उत्तम। धैर अप्पन भाषा जरुर ऐबाक चाहि। ओहि क्षेत्र के लोक संगीत,कथा, कहानी आर बोल चाल के भाषा ऐबाक चाहि। कहबियो छै कोनो  भाषा केर लोकप्रियता तखने भेटय छै जखन ओहि भाषा कें बेसी स बेसी प्रयोग होई छै। जेना
“निज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति के मूल,
बिन निज भाषा ज्ञान के,मिटै न हिय के शूल,”
मतलब बिना भाषा के कोनो  समाज केर उत्थान नहि भ सकैत अछि। शहर आबिक हम -आंहा अपन संस्कृति कें बिसरने जा रहल छी। ओना त आब गामो -घर पर रहय बला किछु आबक बच्चा सब के हिंदी झारैत देखब।
ओना मैथिली भाषा के प्रचार -प्रसार मे अभियानी सब जोर -शोर सँ लागल छैथ। सोशल मीडिया अहि मे अहम भूमिका निभा रहल अछि। मिथिला, मैथिल के प्रति समर्पित लोक सब देश -विदेश सब जगह एकर जागरुकता फैलाबय में लागल छैथ।कारण कोनो भी भाषा के लुप्त भेनाई मतलब ओहि क्षेत्र के संस्कृति, इतिहास आर सभ्यता के लुप्त भेनाई भेल। ताहि हेतु अहि विषय पर हमरो, आंहा के ध्यान देवय परत , आर एकर शुरुआत घरे स करय परत,मिथिलाक्षर सीखू, बच्चा सब के सिखाबु, मैथिली बाजू, मैथिली साहित्य पढु, मैथिली गीत -नाद सूनू, बच्चा सब के मिथिला के संस्कृति स जोड़ी क राखु,तखने मिथिला के उत्थान संभव अछि।जय मिथिला जय मैथिली,

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