Search

मैथिलिक दसा वा दिशा अखनो चिंतनीय

लेख विचार
प्रेषित: अशोक कुमार सहनी
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “संविधान मे तँ स्थान भेट गेलन्हि मैथिली केँ ….मुदा कि अपनहि घर मिथिला मे स्थान भेटलन्हि या आबो भेटतैन माँ मैथिली केँ!”

संविधान मे स्थान भेटल … मुदा अपन घर मे माँ मैथिली कें दसा आर दिशा सँ चिंतीत छी।

मैथिली भारतक 22वीं अनुसूचीक भाषा रूपे मान्यता 2003 मे भेटल, जे एकटा ऐतिहासिक उपलब्धि छल। एहि संग मैथिली संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान पाबि सम्मानित भाषा बनल। मुदा सवाल अछि, कि ई मान्यता मिथिलाक धरातल पर माँ मैथिली के स्थिति कत्तहि सुधारलक? जे भाषा अपन क्षेत्र मे उपेक्षित अछि, कि से संविधान मे स्थान पाबि अपन समाज मे सम्मान पाओत?

संवैधानिक मान्यता—एहिक महत्व:
संविधान मे स्थान भेटलाक बाद मैथिली भाषा कें कतेको सरकारी लाभ भेटल। एहि मान्यताक बदौलत मैथिली कें पाठ्यक्रम मे शामिल करबाक, सरकारी दफ्तर मे प्रयोग करबाक, आ विभिन्न साहित्यिक पुरस्कारक सूची मे आनबाक अवसर बढ़ल। मैथिल लेखक, कवि, आ साहित्यकारक एकटा मंच भेटल जाहि पर ओ अपन रचना कें राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत कऽ सकैत छथि। एतबा मात्र नहि, मैथिली भाषाक प्रचार-प्रसार लेल कतेको संगठन आ समूह सक्रिय भेलाह।

अपन घर मे स्थिति:
मुदा जे स्थिति संविधान मे अछि, से मिथिला मे नहि। माँ मैथिली के सबसँ पैघ चुनौती अछि अपन धरती पर स्वीकृति। मिथिला क्षेत्रक अधिकांश परिवार मे मैथिली भाषा शिक्षा आ संचारक प्राथमिक साधन नहि रहल अछि। गाम-गाम मे मैथिली छैक, मुदा स्कूल आ कॉलेज मे हिन्दी आ अंग्रेजीक प्रभाव बेसि देखल जाइत अछि। अभिभावक अपन बच्चा कें मैथिली पढ़ाबय आ सिखाबय कें प्राथमिकता नहि दैत छथि। एहि सन्दर्भ मे सवाल उठैत अछि—कि माँ मैथिली अपन घर मे स्थान पाओत?

1. शहरीकरण आ अंग्रेजी-हिन्दी प्रभाव:
मिथिला मे शहरीकरणक संग अंग्रेजी आ हिन्दी भाषाक चलन बेसि भेल अछि। अभिभावक अपन बच्चा कें मैथिली बजबाक बदला हिन्दी आ अंग्रेजी सिखबाक लेल प्रेरित करैत छथि। एहि सँ बच्चा अपन मातृभाषा सँ दूर भऽ रहल अछि।

2. शैक्षणिक उपेक्षा:
स्कूल आ कॉलेज मे मैथिली भाषा मे शिक्षा देबाक व्यवस्था नहिं अछि। सरकारी स्तर पर प्रयास भऽ रहल अछि, मुदा ई प्रयास पर्याप्त नहि। मैथिली विषयक शिक्षकक कमी आ पाठ्यक्रमक अभाव एहिके आओर कठिन बना रहल अछि।

3. सोशल मीडियाक उपयोग:
मैथिली अपन घर मे स्थान पाबय मे सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहल अछि। कतेको प्लेटफॉर्म पर मैथिली साहित्य, संगीत आ संस्कृति कें प्रचार कयल जा रहल अछि। मुदा, एहि प्रयासक प्रभाव शहरी क्षेत्र तक सीमित अछि।

4. संस्कृति सँ दूरी:
माँ मैथिली केवल भाषा नहि, अपितु मिथिलाक संस्कृति, परंपरा आ संस्कारक आधार थिकी। मैथिली सँ दूरी बनबाक कारण लोक अपन संस्कृति सँ सेहो दूर भऽ रहल छथि। विवाह गीत हो, लोककथा हो, कि धार्मिक अनुष्ठान—सब हिन्दी आ अन्य भाषाक प्रभाव मे बदलि रहल अछि।

भविष्य लेल सुझाव:
माँ मैथिली कें अपन घर मे स्थान देबाक लेल निम्नलिखित कदम उठाउल जा सकैत अछि:

1. शिक्षा मे सुधार:
प्राथमिक विद्यालय सँ लऽ कऽ उच्च विद्यालय तक मैथिली भाषा अनिवार्य विषय बनेबाक प्रयास हो। बच्चा केँ मैथिली मे लिखय-पढ़य आ संवाद करबाक लेल प्रेरित कयल जाए।

2. साहित्यक प्रचार-प्रसार:
मैथिली साहित्यक पुस्तिका, कविता आ कहानी बच्चा सभक बीच लोकप्रिय बनेबाक लेल रंगीन आ मनोरंजक स्वरूप मे प्रकाशित हो।

3. संस्कृति प्रति जागरूकता:
मिथिलाक परंपरा आ संस्कृति सँ जुड़ल कार्यक्रम, मेले आ उत्सवक आयोजन बढ़ाउल जाए। एहि सँ लोक मे अपन जड़ि प्रति अपनत्वक भावना बढ़त।

4. मीडिया आ मनोरंजन:
मैथिली भाषाक चलचित्र, वेब सीरीज आ टीवी शो बनाउल जाए, जे सभ स्तरक लोक मे लोकप्रिय हो।

5. सामुदायिक प्रयास:
मैथिल समुदायक प्रत्येक सदस्यक जिम्मेदारी बनैत अछि जे ओ अपन परिवार मे मैथिली कें प्राथमिकता दियनि। बच्चा कें घरहि सँ मैथिली बजबाक आदति सिखाउल जाए।

निष्कर्ष:
माँ मैथिली कें संविधान मे स्थान भेटल अछि, मुदा अपन घर मे स्थान भेटबाक संघर्ष जारी अछि। ई संघर्ष केवल सरकार आ संगठन पर निर्भर नहि; प्रत्येक मैथिलक जिम्मेदारी बनैत अछि। जे दिन मैथिली अपन घर मे अपन सम्मान पाओत, तहिना दिन ई भाषा नहि केवल जीवित रहत, बल्कि अपन पूर्ण गरिमाक संग विश्व मंच पर अपन स्थान बनौत।
एहि लेल संगठित प्रयास आ व्यक्तिगत समर्पण दुनू जरूरी अछि। माँ मैथिली अपन घर मे स्थान पाओथि—यैह हमरा सभक स्वप्न हुए। जय मिथिला।

 

Related Articles