#लेखनीकधार
लेख विचार
प्रेषित: मीना मिश्रा मुक्ता
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “ मिथिलांचल के साहित्य और गीत मे महाकवि विद्यापति’क योगदान।
सब सं पहिने ओहि युगद्रष्टा के सादर नमन करैत छियैन।जौं अपन मोनक भाव लिखैत ज्ञान’क अभाव में कोनो गलती भ’जाई त’ ईश्वर क्षमा करैथ।
विद्यापति केर जन्म १३५२ ई .मे बिहार के मधुबनी जिला’क बिसपी गाम मे भेल और मृत्यु १४४८ई. मे भेल एहन मानल जाईत अछि ।
समय के ई हिस्सा सम्पूर्ण मिथिला केर साहित्य, संस्कृति,गीत केर लेल एकटा एहन आधार स्तम्भ बनल जे एखन तक अपन ओज सं चहुं दिस चमकि रहल अछि।एहि युग में ईश्वर अपन वरदान पुत्र विद्यापति के
एहि मिथिला मे पठौल। श्रद्धा, भक्ति, श्रृंगार, वात्सल्य,विरह, पारिवारिक, सामाजिक कोनो बिषय विद्यापति ‘क लेखनी सं बांचल नहि रहल।
एकटा प्रकांड विद्वान,एकटा राज पुरोहित,एकटा भविष्य द्रष्टा, एकटा महान कविक रूपें ई युग -युग तक स्थापित रहता।
मात्र मैथिली साहित्य नहिं,भारतक अन्य साहित्य सेहो विद्यापति केर लेखनी सं प्रभावित भेल। हुनका मैथिली और संस्कृत भाषा पर समान अधिकार छल आ अन्य भाषाक ज्ञान सेहो छल।अपन काव्यक महान कृति सं हुनका “कवि कोकिल” केर उपाधि भेटल।
मिथिला क जन-जन के मुख पर एखनो हुनकर गीत बसल अछि आ युग -युग तक बसल रहत।
भक्ति रस मे हुनकर रचना वैष्णव,शिव और शक्ति पर सम रूपें अधिकृत और स्थापित अछि।
भगवती क वंदना “जय-जय भैरवि ” मिथिलाक पहिचान अछि।तं कृष्णक लेल लिखल राधाकृष्ण क प्रेम-विरह पर लिखल अनेको कृति अछि। विद्यापति क लिखल शिवक नचारी, महेशवानी गाबि जतए मैथिल अपन मैथिल हेबाक प्रमाण दैत छथि ओतहिं शिव -पार्बतीक दाम्पत्य जीवनक अनेक चित्रण सामान्य जीवन मे साहस, स्नेह आ माधुर्य और आनंद भरैत अछि।
“नन्दक नन्द कदंबक तरू तर धीरे-धीरे मुरली बजाबे”
जतए कृष्ण क बालपन केर माधुर्य प्रकट करैत अछि ओतहि
“सुनू-सुनू रसिया आब ने बजाबू बिपिन बसिया”
राधाकृष्ण केर प्रेमक प्रकाट् अछि।
“कुंज भवन सं निकसल रे” श्रृंगार रस केर अविरल धार अछि।
“आजु नाथ एक ब्रत”शिव पार्वती क अथाह प्रेमक एकटा उदाहरण प्रस्तुत करैत अछि।
“बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे”गंगा स्तुति केर संग मानव जीवनक सांसारिक प्रबृति आ मोक्षक मार्गदर्शन दैत अछि।
विद्यापति एकटा कवि आ रचनाकार संग शिवक एकटा अनन्य भक्त सेहो छलाह।एहन कहल जाईत अछि कि हुनकर भक्ति सं सम्मोहित भ’स्वयं शिव “उगना” बनि हुनक घ’र मे चाकरी केला।
विद्यापति’ क रचना मुख्यतः अवह्ट,आ मैथिली भिषा मे भेटैत अछि।
हिनकर लिखल”पदावली”,”कीर्तिलता”, “कीर्ति पताका”, “पुरुष परीक्षा ” आदि महत्वपूर्ण कृति मे अबैत अछि।एकरा अलावा औरौ अनेक ग्रंथ हिनकर लिखल महत्वपूर्ण अछी।
“देसिल वयना सब जन मिट्ठा” ई कवि विद्यापति केर देल उक्ति अछि।
अपन साहित्य क चर्च करैत विद्यापति मोन मे भाषा मे अभिव्यक्ति में अबैत छथि,आ युग -युग तक अबैत रहता।
हुनका श्रद्धा सुमन अर्पित अछि।