अमानवीय कृतिक पराकाष्ठा: संविधान मस्यौदा पर सुझाव संकलनमे जनकपुर झड़प प्रसंग

विशेष संपादकीय

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जनकपुर मे भेल पूलिस – जनता झड़प मे बेतरतीब पीटल गेल बच्चा – गंभीर अवस्था मे इलाजरत – फोटो: आर एन विश्वास

नेपाल मे संविधानक मस्यौदा पर जनमानसक सुझाव संकलन हेतु चलायल गेल अभियान मे तराई भूभाग मे लगभग सब ठाम असंतोष, नाराबाजी आ विरोधक बीच इक्का-दुक्का आ सेहो बनावटी सुझाव आदि संकलनक समाचार हाल सोशियल मिडिया पर वायरल भेल अछि। जनकपुर सँ समाचार आयल छल जे पत्रकार आ राजनीतिकर्मी कार्यकर्ता सहित आम जनमानस पर्यन्त पर सुरक्षाकर्मी द्वारा बेतहाशा लाठीचार्ज कैल गेल छल, जाहि मे सैकड़ों लोक घायल भेलाह आ दुइ जन केर अवस्था काफी गंभीर होएबाक कारण जनकपुर सँ काठमांडु दिशि इलाज लेल रेफर कैल जेबाक समाचार भेटल छल। एहि तरहक बर्बर अत्याचारक विरोध मे काल्हि मंगल दिन समूचा मधेश मे बन्द केर आह्वान कैल गेल छल। बन्दक कारण समूचा यातायात ठप्प रहल जाहि सँ राही-बटोही काफी परेशानीक सामना केलनि।

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जनकपुर मे पूलिस-जनमानस झड़प मे एकटा बच्चा केँ १० टा सशस्त्र प्रहरी द्वारा सामूहि लाठीचार्जक वीभत्स दृश्य – घोर अमानवीय कृति। फोटो: आर एन विश्वास

आइ पुन: सोशियल मिडिया पर पूलिसिया बर्बरताक पराकाष्ठा सँ भरल वीभत्स तस्वीर सब वायरल भऽ रहल अछि। एहि तस्वीर सबकेँ देखला सँ कोनो सामान्य मानव केर चित्त विचलन आ भावुकता सँ द्रवित भऽ सकैत अछि। चारूकात एकटा अजीब सन्नाटा देखा रहल अछि जे आखिर नेपाल मे मानवअधिकार केर एहेन दुर्दशा कोना संभव छैक, कारण एहि देश मे एखनहु जनताक पैसा सँ – करोड़ों-अरबों विदेशी अनुदान आ राष्ट्रसंघीय अनुदान सँ सैकड़ों संस्था आ अभियान मात्र मानवअधिकार केर रक्षा लेल चलायल जा रहलैक अछि। कतहु न कतहु ई शंका पक्का होइत छैक जे नेपाल मे विभेद वास्तव मे चमड़ाक रंग देखिकय होइत छैक। जाहि राष्ट्र मे विभेद नस्ल केर आधार पर हो, ओतय शान्ति आयब दूर-दूर धरि संभव नहि प्रतीत होइत छैक।

हालहि भेल समझौता अनुरूप संविधान सभाक चारि टा प्रमुख दल जे नहि सिर्फ दुइ-तिहाई बहुमत हासिल कएने अछि, बल्कि नीति-निर्माणक मामिला मे सेहो सर्वाधिक आगाँ – सर्वाधिक अनुभवी आ सर्वाधिक अधिकारक संग देश केँ राजनीतिक निकास देनिहार जिम्मेवार दल सेहो अछि। आपसी समझौता मे १६ टा विवादित विन्दु पर एकटा नीतिगत निर्णय भेल छलैक। जाहि मे संघीयताक स्थापना, प्रदेशक सीमांकन एवं नामांकन, धर्म-निरपेक्षता, प्रधानमंत्रीक चुनाव, राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति-सभामुख आदिक कार्यकाल समेत संविधान केँ अन्तिम रूप प्रदान करबाक अनेको मुख्य निर्णय समावेश छलैक। जखन कि एहि १६ बुँदे सहमतिक विरोध मे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेहो फैसला देल जा चुकल छैक, परंतु कतहु न कतहु किछु अदृश्य आ किछु दृश्य शक्ति पारदर्शिता, सच्चाई एवं ईमानदारिताक संग देश केँ निकास देबाक पक्ष मे नहि रहैत चालाकीपूर्ण शैली आ बलधकेलपूर्ण व्यवस्थापन सँ चिक्का फाँगय लेल चाहि रहल प्रतीत होइत छैक।

देश मे संविधान निर्माण लेल एक्केटा गुरुमंत्र ‘राष्ट्रीय सहमति’ आ ताहि लेल कोनो तरहें सहमति बनेबाक आसार नहि देखि देश केँ अग्रगामी निकास देबाक लेल समझौतावादी विचारधारा उन्नैस-बीस करैतो आगाँ बढय लेल चाहैत छैक। लेकिन असंतुष्ट पक्ष द्वारा खलबल्ली मचेबाक कार्य सेहो संगहि होइत रहैत छैक। मात्र राजनैतिक दलक असहमति होइतैक तखन एकटा अलग बात रहैक, एतय तऽ न्यायालय पर्यन्त एहि तरहक ‘मैनेज्ड संविधान’ केर विरुद्ध भेल छैक, तैयो जबरदस्ती केनाय, ई कनेक शंकास्पद आ बेईमान मनसाय सँ भऽ रहल प्रतीत होइत छैक।

देशक एहेन संक्रमण काल मे प्रहरी प्रशासन केँ आरो दुरुस्त आ निर्विकारी बनिकय सुरक्षा बन्दोवस्त करबाक चाही। एना कियैक जे मधेश मे असन्तुष्ट राजनेता केँ कमो-समो मुदा आम जनता पर अत्याचार क्रूरतापूर्वक करैत छैक जाहि सँ नेपाल मे मधेशी-पहाड़ी दुइ अलग मेजर संस्कृति बीचक दूरी आरो बेसी भेल जा रहलैक अछि, एहि तरफ कोनो समन्वयवादीक नजरि कियैक नहि पड़ि रहलैक अछि? एना मे देशक मजबूतीकरण कम आ विभाजन करयवला शक्ति सब दिनें चलखेल करबाक अपन छूपल मनसाय केँ सेहो पूरा करबाक डर तऽ बनले रहि जेतैक, एकर समाधान के करतैक? विगत कतेको दशक सँ लागल खलबल्ली केँ शान्त करबाक लेल विषम वातावरण कियैक बनायल जा रहलैक अछि? प्रहरीक रूप पर सेहो स्वच्छन्द व्यवहार करबाक विश्वास लोक मे कियैक नहि बनि रहलैक अछि? मात्र राजनीतिक टीका-टिप्पणी सँ कोनो घायल वा मृत्युक समीप पहुँचल आम लोक केर घाव नीक हेतैक… एहि प्रश्न सबहक उत्तर ताकब जरुरी छैक।