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विराटनगर मे काली पूजनोत्सवक सफलतम् ६ वर्ष पूर्ण

विराटनगर मे काली पूजाक छठम् वर्ष

अप्पन ब्राह्मण समाज विराटनगर अपन स्थापना वर्ष २०१९ ई. सँ निरन्तर विराटनगर मे काली पूजा मनेबाक पुनीत काज करैत आबि रहल अछि । सर्वसमाज आ सर्वहित-सर्वमानव कल्याण निमित्त सुन्दर संकल्प संग ई आयोजन कयल जाइछ ।

एहि वर्ष २०२४ मे आचार्य धर्मेन्द्रनाथ मिश्र द्वारा एहि भावक संकल्प पूजा संकल्पकर्त्ता डा. सुरेन्द्र नारायण मिश्र केँ संकल्प करबौलनि । पुनः कुलदेवी काली माताक नव मूर्ति विग्रह मे प्राण प्रतिष्ठा करबैत पूजा कार्य निशा रात्रि मे सम्पन्न कयल गेल ।

पूजाक ऐगला दिन भव्य सांस्कृतिक समारोहक आयोजन कयल जाइछ । एहि वर्ष सेहो राजू ठाकुर सांगीतिक समूह जाहि मे राजू ठाकुर पैडवादक संग कीबोर्ड पर रंजन राउत, ढोलक व तबला पर दुइ नव भाइ सब आ एकटा डम्फा पर सेहो नवके भाइ देखलहुँ । उद्घोषक भाइ बड नीक मैथिली बाजि रहल छलाह, गायक मे रमेश मंडल, साजन जी, सागर जी, निशा पोद्दार आ झाँकी प्रस्तोता कलाकार सब सेहो अत्यन्त प्रभावित करयवला प्रस्तुति सब देलनि ।

स्थानीय कलाकार सब सेहो रहथि । इंजीनियर दिवाकर मिश्र बहुत सुन्दर-सुन्दर भजन सुमधुर स्वर मे गओलनि । जैक अफ अल मास्टर अफ नन – प्रवीण सेहो अपन वैह गेलहे गीत ‘मिथिला नगरिया की जय जय जय’ आ ‘मन लागि गेल जँ कने भुजगेन्द्रहार मे’ गाबिकय निमहि गेला कोहुना ।

आचार्य धर्मेन्द्रनाथ मिश्र द्वारा पूजा सम्पादनक कार्यक संग लोक-समाज केँ विध व मंत्रादिक संछिप्त मैथिली वर्णन बहुत प्रभावित करयवला होइछ । धर्म आ मर्म केँ नीक सँ बुझनिहार पांडित्यपूर्ण व्याख्या लेल हिनकर जतेक प्रशंसा करब ताहि सँ आर बेसी हिनकर वाणी मे स्पष्टता आ मधुर संस्कृत सम्भाषण व प्रत्येक विध (अर्पण) उपरान्त स्तुतिगानक प्रशंसा लेल हमरा पास शब्द नहि अछि । बस, एना बुझाइत रहैछ मानू साक्षात् देवगुरु वृहस्पति रूप बदलिकय धर्मेन्द्र भाइक रूप मे आबि गेल छथि ।

महान् मीमांसक पंडित त्रिलोकनाथ झाक प्रपौत्र धर्मेन्द्रनाथ अपन कौलिक मर्यादा केँ एतेक नीक सँ रक्षा कएने छथि जेकर सम्बन्ध मे लिखैत समय पर्यन्त आनन्दक अनुभव भ’ रहल अछि हमरा । भगवतीक कृपा हिनका उपर बनल रहय ।

आयोजक संस्था मे अगुवाई कयनिहार संयोजक प्रोफेसर साहेब (वीरू सर) केर सेहो प्रशंसा करहे टा पड़त, कारण मृदुल हृदयक धनी व्यक्तित्व आ देवकार्य मे सदैव उच्च मनोयोग सँ काज मे डूबल रहब हमरा सब जेहेन धुन्धकारी सँ कहियो सम्भव नहि भ’ सकैछ, त उचित स्थान पर उचित व्यक्तिक योगदान करैत ई महान पूजनोत्सव पूर्णता पबैछ ।

संग देनिहार मे संस्थाध्यक्ष अमर झाजी, सचिवद्वय सुजीत कुमार चौधरीजी व मृत्युञ्जय मिश्रजी, कोषाध्यक्ष प्रोफेसर भविष्य मिश्रजी, पूर्व अध्यक्ष कुमुद मोहन झा संग मिथिलेश मिश्रजी आदिक योगदान उच्चकोटिक आ अत्यन्त सराहनीय होयबाक रेकर्ड एहि बेर सेहो दोहरायल । आरो कतेको नाम अछि जिनकर योगदान सँ ई महापर्वक उत्सव भव्य-सभ्य ढंग सँ पूर्ण भेल ।

महिला समुदाय मे आदरणीया रिंकी झा संग आर कतेको नाम (जे हमरा पूरा नहि बुझल अछि, मात्र चिन्हैत छियनि आ सब देवीस्वरूपा पूज्या थिकीह से जनैत छी) से सब मिलिजुलि पूजाक सब कार्य खुब उत्साह सँ पूर्ण करैत छथि । सब देवीस्वरूपा मातृशक्ति केँ हमर बेर-बेर नमन, अपने लोकनिक उत्साह माताजीक पूजा मे उच्चकोटिक भेल करैछ ।

समाजक सब काज मे एहि तरहक सक्रियता अपना लेब त हम मिथिलावासीक पिछड़ापन आ ईर्ष्या-द्वेषादिक मेटेनाय तय भ’ जायत – नहि त बुझिते छी जे अगरधत्त बेवकूफ सब कतबा सहसह करैत रहैछ आपस मे झगड़ा लगबय मे । देखब हे अम्बे-अम्बालिके लोकनि !! ॐ तत्सत् !!

सांस्कृतिक आयोजन मे लोक केँ बैसबाक जगह कम पड़ि गेल एहि वर्ष । पूजाक एक निश्चित स्थान नहि होयब कतहु न कतहु सवाल उठबैत अछि हमर मोन मे । भगवती एहि समस्याक स्थायी निदान जरूर निकालथिन से हम हुनकहि सँ प्रार्थना कय रहल छी ।

संस्था केँ प्राप्त थोड़-बहुत जगह जे भोगचलन लेल – भगवतीक मन्दिर संग धर्मसभा आदिक सभागार निर्माण लेल विराटनगर महानगरपालिका सँ देल गेल अछि, ताहि ठाम किछु विरोधाभास उत्पन्न हेबाक कारण बेर-बेर भगवती कालीक पूजा खाली जमीन (प्लौट) सब ताकि-ताकिकय आयोजक लोकनि पूजा करय लेल बाध्य छथि ।

भगवती एहि वर्ष एकर निदान निकालि देथि से हम चरणस्पर्श करैत आग्रह करैत छियनि ।

बाकी बकलोली आ कौआलोली सब संस्था मे होइत रहैत छैक, सेहो बात कतहु-कतहु सँ सुनय मे अहु बेर आयल । हाहा !! मुदा कौआलोली विशेषज्ञ सब सँ भगवती रक्षा करैत सारा काज एतेक शानदार-जानदार ढंग सँ पूरा करबैत छथिन से मानू ओहि पाँति केँ मोन पाड़ैछ जाहि मे महाकवि विद्यापति कुलदेवी काली केँ समर्पित कयने छथि –

घन घन घनन घुघुर कत बाजय
हन हम कर तुअ’ काता
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र बिसरु जनि माता

माताक कृपा सब पर बनल रहय आ ‘सहज सुमति वर दिअ’ हे गोसाउनि, अनुगत गति तुअ’ पाया’ केर भाव मे बनल रही सब गोटे । मैथिली-मिथिलाक रक्षा करब त जानकी-राघव आ गौरी-शंकर सदिखन सहाय पायब । जय मिथिला – जय जानकी !!

हरिः हरः!!

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