लेख विचार
प्रेषित: आभा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
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विषय :– गामक दुर्गा पूजा: पहिने आ आबक उमंग में अंतर
गामक दुर्गा पूजा एक प्राचीन परंपरा अछि, जे समय संग-संग कतेको बदलाव देखलक अछि। पहिने आ आबक दुर्गा पूजाक उमंगमे विशेष अंतर स्पष्ट अछि। आइ हम एहि परिवर्तनक विभिन्न पहलू पर चर्चा करब।
1. सामाजिक संरचना
पहिने, गामक दुर्गा पूजा मुख्यतः पारिवारिक आ समुदायिक उत्सवक रूपमे मनाओल जाइत छल। गामक हरेक परिवार पूजामे भाग लैत, आ एक-दोसरक संग मिलिकय काज करैत छल। लोकसंगतिपूर्ण वातावरणमे पूजा संपन्न होइत छल। आब, जखनकि तकनीकी प्रगति आ आधुनिकता आयल अछि, पूजाक स्वरूपमे बदलाव भेल अछि। लोक अपन-अपन व्यस्तताकेँ कारण एक-दोसरसँ कम मिलि पबैत छथि, आ पूजा अक्सर बाहरी मदद पर निर्भर होइछ।
2. पंडाल आ सजावट
पहिने दुर्गा पूजामे पंडाल साधारण आ पारंपरिक ढंगसँ सजाओल जाइत छल। स्थानीय सामग्रीकेँ उपयोग कयल जाइत छल। गामक लोक खुद अपन हाथसँ सजावट करैत छलाह। आब, आधुनिकता आ प्रतिस्पर्धाक कारण पंडाल भव्य आ रंग-बिरंगकेँ सजावटसँ भरल रहैत अछि। पेशेवर सजावटी संस्थानक मदद लेब आ तकनीकी प्रभावसँ पंडालक दृश्यता बढ़ि गेल अछि।
3. पूजा विधि
पहिने पूजा विधि परंपरागत आ साधारण रहैत छल। एकदम घरक माहौलमे पूजा कयल जाइत छल। पंडित के मदद लेनाइ आवश्यक नहि बुझना जाइत छल। आब, पूजा विधिमे विभिन्न प्रकारक बदलाव आयल अछि। पेशेवर पंडित सभ द्वारा मंत्रोच्चारण आ अनुष्ठान कराओल जाइत अछि, आ लोक एहि पर बेसी ध्यान दैत छथि। पूजामे विधि-विधानक प्रति श्रद्धाकेँ बढ़ा देल गेल अछि।
4. सांस्कृतिक गतिविधि
दुर्गा पूजाक समय सांस्कृतिक कार्यक्रम सेहो बदलल अछि। पहिने गामक लोक खुद मिलि कऽ गाना, नृत्य आ नाटक करैत छल। सभक सहभागिता ओतहि रहैत छल। आब, सांस्कृतिक कार्यक्रममे प्रोफेशनल आर्टिस्ट आ बैंड सभकेँ शामिल कयल जाइत अछि। यद्यपि ई मनोरंजन के स्तर बढ़ा देलक अछि, मुदा सामूहिकताकेँ भावना किछु हद तक कमजोर भऽ गेल अछि।
5. भोजन आ प्रसाद
पहिलन पूजाक दौरान भोजनोत्तर सब किछु घर पर बनल होइत छल। विशेष पकवान बनाबैमे लोक खुद जुटैत छल। आब, रेस्टोरेंट आ कैटरिंग सर्विसकेँ प्रयोग बढ़ि गेल अछि। फल, मिठाई आ अन्य व्यंजन बाहरसँ मंगाओल जाइत अछि। यद्यपि ई सुविधा प्रदान करैत अछि, मुदा पारंपरिक भोजनक स्वाद आ भावना किछु कम भऽ गेल अछि।
6. समुदायिकता आ एकता
पहिलने दुर्गा पूजा एकता आ भाईचाराकेँ प्रतीक रहल अछि। सभ लोक मिलिकय पूजा करैत, आ एक-दोसरक संग भक्तिकेँ बंधन में बन्हैत छल। आब, जखनकि समाज मे व्यक्तिगतता आ व्यस्तता बढ़ि गेल अछि, एकताकेँ भावनामे कमी देखल जा रहल अछि। हालाँकि, पूजाक समय लोक एक संग अबैत छथि, मुदा एकताकेँ एहसास ओतेक प्रबल नहि रहि गेल अछि।
गामक दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहि, बल्कि एक सामाजिक उत्सव छी, जे लोकक आपसी प्रेम आ एकताकेँ प्रतीक अछि। ई पर्व गामक संस्कृति, परंपरा आ लोक जीवनकेँ समृद्धिमे महत्वपूर्ण भूमिका निभबैत अछि। एहि तरहेँ, दुर्गा पूजा गामक लोकक जीवनमे एक अद्वितीय आनंद आ उमंग लाबैत अछि, जे संपूर्ण वर्ष भरि एक विशेष छाप छोड़ैत अछि।
गामक दुर्गा पूजा समय के साथ बदलल अछि, आ ई बदलाव प्राकृतिक प्रक्रिया के हिस्सा अछि। मुदा, जे परिवर्तन भऽ रहल अछि, ओ परंपरा आ संस्कृतिक संरक्षण करयकेँ आवश्यकता पर जोर दैत अछि। हमरा सभकेँ चाही जे हम अपन पुरान परंपराक संग-संग आधुनिकताक समावेश कऽ अपन संस्कृतिकेँ अमर राखी। एहि तरहें, दुर्गा पूजाक पर्व सदिखन जीवंत आ रंगीन बनल रहत। जय मिथिला, जय मैथिली।