आधुनिक भलमानुष


जखन कुम्हार सृजन के संकल्प के मोन में राखि,
अपन सपना के हकीकत में बदलैत अछि।

सोचैत नहि अछि कि कीs भेटत,
विश्वास रखैत अछि सर्वोत्तम बनत।

आशा सँ ओकरा थपथपाबैत अछि।
अपन जीवनक उद्देश्य बनाबैत अछि।

अपन अविरल भाव सँ आकार दैत अछि।
आँधी सँ लड़बा लेल मज़बूत बनैत अछि।

तन्मयता सँ भाव केर गहराई टटोलैत अछि।
ई कृति सर्वश्रेष्ठ बनय,उच्च विचार सँ सींचैत अछि।

ई कृति विकृत होअय, ई तs संभव नहि।
फेर कीयैक लोक एतs एहन होईत छथि ?

पहिरि भलमानुष के पोशाक, दुष्ट भावना रखैत छथि।
दुनिया के सीधा लगैत छथि,मुदा राह के काँटा होईत छथि।
वाणी सँ मधुर होईत छथि,मुदा तरकश में तीर रखैत छथि।