लेख विचार
प्रेषित: आभा झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
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विषय:- पितृपक्षमे पितर निमित्त ब्राह्मण भोजन करेबाक महत्व –
पितृपक्ष एक विशेष अवसर अछि, जे हिंदू धर्ममे मृत पूर्वजक प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करबाक लेल मनाओल जाइत अछि। एहि समय, पितरकेँ संतोषित करबाक लेल ब्राह्मणक भोजन कराओल जाइत अछि, जे एहि परंपरा के एक महत्वपूर्ण हिस्सा थिक। आइ हम देखब कि पितृपक्ष में पितर निमित्त ब्राह्मण भोजन करबाक महत्व की छैक।
पितृपक्षकेँ महत्व
पितृपक्षकेँ समय, पितर या पूर्वजक आत्माकेँ शांतिकेँ लेल विशेष पूजा अर्चना कएल जाइत अछि। ई समय हर साल श्राद्धक रूपमे मनाओल जाइत अछि, जे भाद्रपद मासक पूर्णिमासँ शुरू होइत अछि आ कार्तिक मासक अमावस्या तक चलैत अछि। एहि समयमे, परिवारक सदस्य अपन पूर्वजक प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करैत छथि आ हुनकर आत्माकेँ शांति लेल प्रार्थना करैत छथि।
ब्राह्मणकेँ भोजनक महत्व
ब्राह्मण भोजन कराबैकेँ परंपराक कतेको महत्वपूर्ण पहलू अछि:
धार्मिक अनुष्ठान: ब्राह्मण भोजन करेनाइ एक धार्मिक अनुष्ठान थिक। ई मान्यता अछि जे ब्राह्मण भोजनकेँ रूपमे मानल जाइत छथि। हुनका भोजन कराबैसँ पितरक आशीर्वाद प्राप्त होइछ। ब्राह्मण के भोजन करबैकेँ संपूर्ण प्रक्रिया आध्यात्मिकताकेँ आभास दैत अछि।
पितृपक्षक दौरान भोजन करेबाक विशेष विधि होइत अछि। आमतौर पर, विशेष रूप सँ निर्मित आ स्वच्छ भोजन, जाहिमें भात, दालि, तरकारी, दही, तरूआ आ मधुर शामिल होइत अछि, जे ब्राह्मणकेँ समर्पित कयल जाइत अछि। एही भोजनक बाद ब्राह्मण लोकनि अपन पितृकेँ नाम पर आशीर्वाद दैत छथि, जकरा अपन परिवारक लेल अति महत्वपूर्ण मानैत छी।
पितृ पक्षमे ब्राह्मणकेँ भोजन करेबाक बाद, परिवारक सदस्य ओहि भोजनक किछ हिस्सा पितृकेँ नाम पर धरती पर छोड़ैत छथि। ई क्रिया कहल जाइत अछि ‘तर्पण’। एहि माध्यमसँ हम पितृकेँ प्रति अपन श्रद्धा आ सम्मान प्रकट करैत छी आ हुनका आत्माकेँ शांति प्रदान करैत छी।
श्रद्धा आ सम्मान: पितृपक्षमे ब्राह्मणकेँ भोजन करेनाइ, पूर्वजक प्रति श्रद्धा आ सम्मानक प्रतीक अछि। ई बताबैत अछि कि हम अपन पूर्वजक प्रति कतेक कृतज्ञता महसूस करैत छी। ब्राह्मणक माध्यमसँ, हम अपन पितरक प्रति अपन भावना व्यक्त करैत छी।
सामाजिक संबंध: एहि परंपरासँ सामाजिक बंधन आ सहयोगक भावना बढ़ैत अछि। जखन परिवार ब्राह्मणकेँ आमंत्रित करैत अछि, तऽ एहिसँ ने केवल धार्मिक कार्य होइत अछि, बल्कि समाजमे एकता आ सहयोगक भावना सेहो बलवान होइत अछि।
पितर के संतोष: मान्यता अछि कि ब्राह्मण भोजन कराबैसँ पितर संतुष्ट होइछ। जखन हम हुनका भोजन करबैत छी, तऽ ई बुझल जाइत अछि कि हम अपन पूर्वजक कर्तव्यकेँ निभा रहल छी। ई श्रद्धांजलि स्वरूप मानल जाइत अछि, जे पितरक आत्माकेँ शांति आ मोक्षमे सहायक होइछ।
पितृपक्षमे पितर निमित्त ब्राह्मण भोजन करेबाकक परंपरा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहि, बल्कि एक सामाजिक, सांस्कृतिक आ मानसिक दृष्टिकोण सेहो थिक। ई समय अपन पितरक प्रति कृतज्ञता आ श्रद्धा प्रकट करबाक उपयुक्त अवसर अछि। एहिसँ हम अपन पूर्वजक प्रति अपन कर्तव्यकेँ पूरा करैत छी, आ समाजमे एकता आ समर्पणक भावनाकेँ विकसित करैत छी। ब्राह्मणक माध्यमसँ पितरकेँ आत्माकेँ शांति आ संतोष भेटैत अछि, जे सम्पूर्ण परिवार आ समाजक लेल लाभकारी होइत अछि। जय मिथिला, जय मैथिली।