लेख विचार
प्रेषित: शेफालिका दत्त श्रीजा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
#विषय- जितिया पावैन केँ महत्व
“जितिया पावैन केँ महत्व”
अप्पन सबहक मिथिला में अप्पन संतान के लेल जितिया पावैन केँ बहुत पैघ महत्व होइयत अछि।
जितिया पावनि के व्रत आशिन कृष्ण पक्ष अष्टमी कऽ होइत अछि। व्रत केनिहारि सप्तमी दिन नहा खाय के अरबा-अरबाईन खाईत छैथि।ई व्रत अईहव आ विधवा सब करैत छथि।अप्पन सन्तानक दीर्घायुक लेल ई व्रत कएल जाईत अछि।अष्टमी दिन निराहार रहि कs ई व्रत होईत अछि।ई पावैन बहुत कठिन होइयत अछि,कियाकि तs ई जितिया पावैन बिना पाइन चाय के पुरा निर्जला होइयत अछि।जाहि बेर रैव आ मंगल के ई पावैन परैत अछि ओई बेर खरजितिया लागैत अछि।जे पहिले बेर ई व्रत शुरू करैत छैथि ओ खरजितिया के ही शुरू करैत छैथि।
ई जितिया पावैन कोनो बेर दु सांझ कोनो बेर तीन साँझ परैत अछि,अप्पन संतानक दीर्घायु के लेल माय ई कठिन पावैन करैत छैथि।कहल गेल अछि जे माय अप्पन संतान के दीर्घायु के लेल किछो कs सकैत अछि।केहनो कठिन से कठिन व्रत तपस्या कs सकैत अछि।कोनो बच्चा के कहियो कोनो दुर्घटना होइयत छैन्ह आ ओ सही सलामत ठीक रहैत छैथि तs लोग सब कहैत छथिन्ह जे अहाँक माय अवश्य खरजितिया केने हेथिन्ह।अही सँ ई जितिया पावैन के बहुत पैघ महत्व होइयत अछि।
नहाय खाय दिन मरुआ रोटी,माछ,नोनी के साग,झिमनी,ओलक तरकारी आ तरुआ सब बनबैत छैथि।व्रत केनिहारि सब ओहि दिन कोनो नदी या पोखरि मे नहाय लेल जाइत छैथि।व्रत केनिहारि नेहेलाक बाद झिमनिक पात पर खईर आ सरिसों के तेल चिल्हो-सियार आ जितवाहन महाराज के चढ़वैत छथि।ओकर बाद घर आवि के खीरा,केरा,अँकुरी,अक्षत,पान-सुपारी,मखान,मधूर लs कs नवेद दैत छैथि आ धूप-दीप जरबैत छथि। बहुत गोटे चूड़ा,दही,अमोट,पान, सुपारी चढ़बैत छैथि,जिनका ओतए जेना होइत छैन्ह ओहिना करैत छैथि। अप्पन पुत्रक दीर्घायु आ सब मनोरथ पूरा करबाक वरदान माँगैत छैथि। ओई दिन पितर-पितरैन के सेहो चढ़बैत छैथि। ओई के भोरूकवा मे बच्चा सब के उठा कs ओठगन करबैत छैथि। ओठगन के सेहो बड्ड पैघ महत्व होइत अछि।
नवमी दिन फेर ओही तरहें पूजा पाठ कs के जितबाहन महाराज आ चिल्हो-सियारक कथा सुनैत छैथि।ओहु दिन खीरा,अँकुरी,अक्षत,पान-सुपारी नवेद दs धूप-दीप जरा कs पूजा करैत छैथि। ओई के दोसर दिन जखन पारण के मुहूर्त रहैत अछि तखन ब्राह्मण भोजन करा कs पारण करैत छैथि। जिनका लोकनि कs संतान लग मे रहैत छथि से माय पहिने संतान के जीतबाहनक प्रसादी दs कs तखन अपने पारण करैत छैथि।जिनकर संतान परदेश रहैत छथिन्ह या कत्तौ बाहर पढ़बा-लिखबा लेल गेल रहैत छैथि तs हुनकर माय अपना बच्चा कs लेल जीतवाहनक चढ़ाओल अँकुरी आ सुपारी राखि लैत छैथि तकर बादे पारण करैत छैथि।
अप्पन संतान कें लेल जितिया पावैन केर बहुत पैघ महत्व होइत अछि। जय जीमूतवाहन महाराज, सबहक बाल-बच्चा केँ स्वस्थ आ दीर्घायु राखब ।
जय मिथिला,जय मैथिली ।