लेख विचार
प्रेषित: गीता कुमारी गायत्री
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
#विषय:-जितिया पावैन के महत्व
*जितिया के महत्व*
समस्त मिथिलावासी और बिहार झारखंड,सभ ठाम जितिया पावैन करय छैथ। एकर बहुत पैघ महत्व
अछि।सभ महिला अपन संतान के दिर्घायु होय लेल ई व्रत राखय छैथ।एक दिन पहिले तेल खैर चढाओल जाइत अछि।ओ चढाओल तेल सभ बच्चा के पैर मे तेल लगाबय छैथ।
ककंआश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि कऽ दुनू सांझ उपास कर के विधान अछि। मिथिला मे इ व्रत केनिहैर एक दिन पूर्व सधवा लोकनि माछ मरूआ खाई छैथ आ विधवा लोकनि अरबा अरबाइन खाइत छैथ।भोरहरबा मे पहिने पितर पितराई के चूड़ दही चढावैत छैथ।
ओकर बाद दही -चूड़ा खा ओठगन करैत छैथ।ओठगन केला के बाद घरक मोख लग बैस के पाईन पीवैत छैथ।मीथिला मे कहबी छै जे जै टा भाई रहय छै तै घोंट पाइन मोख मे ओंगैठ के पाइन पीबय छैथ।
पाईन पिवैत काल ई फकरा पढढैत छैथ:—–
घैला के ओंगठन गेरूली,
बहिनी के ओंगठन भैया।
ओकर बाद पान खाईत छैथ ।
ई व्रत खंडित नई होइए तां लक महिला बड़ ध्यान सँ करैत छैथ। व्रत कयनिहार स्नान करै लेल पोखर, धार या इनार पर नहाइ छैथ।तकर बाद आंगन मे एकटा खाधि खूनि पोखरीक निर्माण करैत छैथ।ओहि ठाम चिल्हो सियार के मूर्ति बना पूजा पाठ करय छैथ।
जिमूतवाहनक पूजा दूबि,अक्षत, बेलपत्र, पीत वस्त्र सं मंत्रोच्चार करैत हाथ मे तील कुश जल लय संकल्प क पूजा कयल जाइत अछि।
बहुत जगह डाली भर के प्रावधान अछि।डाली मे पांच रंगक फल, नारियल,पान सुपारी भरि पियर कपड़ा सँ बान्हि पूजा लग राखल जाइत अछि।
पूजा केलाक उपरांत कथा सुनि। कथा समाप्त भेला के बाद कर्पूरक दीप जरा आरती कय देवता लोकनि के विसर्जन कय सकल परिवार लेल निर्मल काया संग धन संतति के रक्षा लेल मन सं कामना करय छैथ। मन सं व्रत केला सँ जिमूतवाहन महाराज संतान के दीर्घायु राखैथ छैथ।
प्रातः काल स्नान केला के उपरांत पूजा केला के बाद डाली संतान द्वारा खोलल जाइए। व्रती ओकर बाद ब्राम्हण के खुआ पारन करैत छैथ। बहुत कठिन ई पाबैन अछि।
एहि व्रत में पाईन तक नय पिबल जाइत छै।
चौबिस घंटा सं अरतालिस घंटा तक निराधार व्रत होईत अछि।
तखनो सभ माता अपन संतान के दिर्घायु वास्ते अपन कठिन व्रत करैत छैथ ।
बच्चा के कोनो संकष्ट आबय अछि तखन जिमूतबाहन बचाबय छथिन।और सही सलामत लौटय छैथ त कहल जाई छै जे मां जितिया केने छलखिन जी बच्चा सलामत रहल।
कथा बहुत सुंदर अछि दुन कथा कहय छी।जिमूतबाहन के कथा और चिल्हो सियारो के कथा।
अखन महत्व कहलहुं।दोसर दिन दुनु कथा लिखब।
जिमूतबाहन सभ के कल्याण करथिन। जितिया पावैन के बहुत बहुत शुभकामना।