अछि चौठी चान पुजबा लऽ दही केँ विधान

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लेख विचार
प्रेषित: मीना मिश्रा मुक्ता
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- चौरचन केर महत्त्व ( काव्यात्मक)

चौठीचान

क्षीर,दधी,मधु,पान ,मखान
ई लए पूजब चौठीचान।
गनपति चतुर्थी केर शुम अवसर
पहिल सांझ पूजब अमृतद्रव (चंद्रमा)

आदिहु सं अछि कथा इ प्रचलित
हँसला विनायक पर, चा’न भेला श्रापित।
धएल चरण गोहरेला चा’न।
दीय’ क्षमाक अभय वरदान।

भय प्रसन्न कहला लम्बोदर।
भादव चतुर्थी जन्मतिथि हमर।
पूजा होएत अहां केर मृत्यु भवन पर।
श्राप,लांक्षन मुक्त रहत घर-घर।

जे कियो देखता आजुक दिन ओहिना चा’न
हेता लांक्षित, नहिं बँचला एहि सं कृष्णों भगबान।
कय गणेश ब्रत पूजए सब चा’न
चौरचन पाबनि भेल महान।

आंगन अरिपन सँ सजाऊ
फल,मिठाई, पकवान बनाऊ।
मांझ ठाम राखब “मरर”
झांपब पूरी चिन्नी फुंटि भरल।

स्थापित कलश , पूजित नवग्रह
पूजी गौरि-गणेश,सुमिरब हिमकर।
लए फूल-पान,देखब तखन चा’न
बनत शौभाग्य, बढ़त धन-धान्य।

धूप -दीप दए भोग लगाऊ।
भांगि मरर नैवेध पुनि खाऊ।
करथि इ ब्रत सब सम भाव।
पूजि चंद्र सब आशिष पाऊ।

मीना मिश्रा”मुक्ता”
पटना,बिहार।