पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सव – एक समूह सँ तीन समूह मे विभाजनक पाछूक कारण की ?

विराटनगरमे आयोजित तेसर पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सवक सन्दर्भ

मोरंगकेर ऐतिहासिक नगरी विराटनगरमे पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सव अत्यन्त धुमधामसाथ मनायल जाइछ । एहि वर्षक तेसर पूजनोत्सव एहि भादव २२ गते शनिदिन रानी सिकियाही स्थित मनकामनेश्वर महादेव मन्दिरक प्रांगणमे ‘अप्पन समाज’ विराटनगरक दर्जनौं भक्तलोकनि २१ हजार पार्थिव शिवलिंगक पूजा-अर्चना करैत मनौलनि अछि । एहिमे सहभागी प्रत्येक यजमान विभिन्न जाति-समुदायक रहथि आर एहि तरहें सभक सहभागितासँ सम्पन्न भेल ई पूजनोत्सवक शोभा, भव्यता आ दिव्यता अत्यन्त विलक्षण लागि रहल छल । वास्तवमे पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सवक बारे शिवपुराणमे उल्लेखित माहात्म्यक यथार्थरूप काल्हि देखायल आ दर्शक हजारो भक्त-श्रद्धालु पुनः वृहत् समाजकेँ एकठाममे आनि एकरा आरो वृहत् बनेबाक संकल्प सेहो कयलनि ।

विराटनगरमे सामुहिक पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सवक संछिप्त इतिहास

कोनो समय मात्र एक स्थानमे सामुहिक कल्याणार्थ आयोजन होयबला ई पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सव आब ठाम-ठाममे मनायल जाय लागल अछि । विराटनगरक सर्वथा प्राचीन संस्था मैथिली सेवा समितिद्वारा सामुहिक जनकल्याण निमित्त सर्वप्रथम २०७१ सालमे (सावन २० गते २०७१ साल मंगलदिन) वनस्खण्डी महादेव मन्दिर (देवकोटा चौकपर) आरम्भ भेल छल । डा. सुरेन्द्र नारायण मिश्रक संयोजकत्वमे आरम्भ भेल ई सर्वकल्याणकारी पूजनोत्सवमे सम्पूर्ण नेपाली समाजक सहभागिता छल ।
एकजन मुख्य पूजारी संकल्प लेनिहार आ सवालाखक गिनती कयकेँ बनायल गेल पार्थिव शिवलिंगक पूजाक लेल पूजारीलोकनिक संख्या जोड़ि सब अपन-अपन स्थानसँ गानिकय बनायल गेल सवालाख पार्थिव शिवलिंगक विधिवत् पूजा-अर्चना सम्पन्न कएने रहथि ।
एहि पूजनोत्सवसँ मैथिली सेवा समितिद्वारा सामुहिक जनकल्याणक संगहि सभक सहभागिता बढ़बैत धार्मिक-आध्यात्मिक चेतनामे अभिवृद्धिक आ भाषिक-सांस्कृतिक जनजागरणक लक्ष्य राखने छल ।

पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सव आरम्भ हेबाक रोचक पार्श्वकथा

ई पूजनोत्सव आरम्भ हेबाक आगाँ बड रूचिगर कथा सेहो छैक । नेपालक सबसँ पुरान भाषा मैथिली आ संस्कृति मिथिला राष्ट्रिय राजनीतिमे उपेक्षाक पीडा भोगि रहल छल । ताहिसमय मैथिली सेवा समितिद्वारा २०६७ विक्रम संवत् सालसँ भाषिक-सांस्कृतिक जनजागरणक निमित्त वृहत् स्तरक ‘महाकवि विद्यापति स्मृति समारोह’ मनेबाक योजना बनाकय २०६७, २०६८ आ २०६९ साल धरि तीनगोट अन्तर्राष्ट्रिय स्तरक वृहत् आयोजन कयल गेल छल ।
परिवर्तनाकारी विभिन्न आन्दोलनसब – माओवादी जनयुद्ध, जनआन्दोलन दुइ आ मधेश आन्दोलनक कतेको चरण संगहि आन-आन आन्दोलनसबसँ ताहिसमयक नेपाली समाजमे अनेकों तरहक वितृष्णा आ असन्तोषसब सेहो पसरि गेल छल । ताहि कारणसँ मैथिली सेवा समितिक तत्कालीन कार्यसमितिद्वारा मैथिलीभाषी समुदायक संग थारू, राजवंशी, भोजपुरी, नेवारी, नेपाली आदि विभिन्न भाषाभाषी संग सौहार्द्रता बढेबाक लेल, नेपाली राष्ट्रियता प्रति सबमे समान सम्मानक भावना आ आत्मबोध लेल, सभक भाषा-संस्कृतिप्रति परस्पर आदर करय-कराबय जेहेन भाइचारा (सहोदरी) सम्बन्धकेँ विस्तार देबाक योजना सहित कार्य शुरू कयल गेल छल ।
मुदा, एकल भाषाक नीतिसँ पाछू पड़िगेल मैथिली समाजमे मात्र भाषा-संस्कृतिक नाममे आयोजित कोनो कार्यक्रममे आर्थिक सहयोगक अबस्था अत्यन्त कमजोर रहबाक आ हरदम कर्जे कय-कय कार्यक्रमसब आयोजना करबाक बाध्यता छल । आ फेर मैथिली समाज धर्म-धार्मिकताक कार्यसबमे मात्र सहभागिता बेसी देबाक स्वभाव प्रचलित रहलासँ समितिद्वारा बरु प्रत्येक सावन मासमे पार्थिव शिवलिंगक पूजा विराटनगरक ठाम-ठाम (टोल-टोलमे) रहल शिवमन्दिरसबमे करैत आम जनमानसमे धार्मिकता-आध्यात्मिकताक संग-संग भाषिक चेतना आ साहित्यिक संस्कारक चेतनामे अभिवृद्धि कयल जा सकैछ तेहेन अवधारणा तत्कालीन कार्यसमितिमे हम महासचिव आर कोशी अंचल अस्पतालक पूर्व मेसु डा. एस. एन. झा अध्यक्षजी सहितक कार्यसमितिमे निर्णय कयकेँ ई पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सव आयोजन करबाक निर्णय कयल गेल ।
तत्कालीन संरक्षक इंजीनियर रमाकान्त झाद्वारा पुछल गेल एकटा सारगर्भित प्रश्न जे मैथिली कार्यक्रम कयकेँ आर्थिक घाटा बेर-बेर होयबाक कारण कि अछि, एहि प्रश्नक उत्तर स्वरूप हमर जवाब आ संस्थाक संस्थापक अध्यक्ष डा. एस. एन. मिश्राक जोरदार समर्थनमे ई पूजनोत्सव आयोजन करबाक निर्णय भेल छल । ‘त्रिकालदर्शी’ उपनामसँ प्रसिद्ध समितिक संस्थापक अध्यक्ष डा. एस. एन. मिश्रकेर संयोजनमे पहिल बेर विराटनगरका सबसँ पुरान शिवमन्दिर बनस्खण्डी महादेव मन्दिरहिसँ ई आयोजन शुरू करबाक निर्णय भेल ।

पार्थिव शिवलिंग पूजनोत्सवमे वृहत् जनसहभागिताक अनिवार्यता 

ओना त ई पूजनोत्सव असगरो संकल्पकर्ता करबाक हिम्मत करैत छथि, मुदा तैयो एहिमे गाम-टोलक सब परिवारक सदस्य लोकनि सम्मिलित भ’कय पार्थिव शिवलिंग निर्माण सँ समस्त धार्मिक अनुष्ठानमे सहयोग अनिवार्य रूपसँ आवश्यक होइछ ।
घर-घरमे माटि पहुँचेनाय, सभक घरक माय-बहिनसब मिलिकय पार्थिव शिवलिंग बनायब, सवालाख महादेव लेल कुल १२५० टा १०० शिवलिंगक संयुक्त विग्रह तैयार करब, तेकर बाद १२५० बेर पंचोपचार-षोडशोपचार-यथोपचार ढंगसँ पूजा पूर्ण करब, फेर महादेवक रुद्राभिषेक – सम्पूर्ण रुद्री पाठ करैत गोदुग्धसँ अभिषेक करब, फेर महादेवक श्रृंगारपूजा सम्पन्न कय लगभग दसांश अर्थात् १२५०० केर संख्यामे मंत्रोच्चार सहित अग्निकुण्डमे हवन यज्ञ करब, आर तखन आरती, विसर्जन व प्रसाद वितरण करैत पूजनोत्सव पूर्ण करबाक कार्य हमेशा सम्पूर्ण गामवासी टोल-पड़ोसक लोक मिलिये टा कय पूरा कय सकैत अछि ।

मैथिली सेवा समिति सम्पूर्ण मैथिली भाषाभाषी समाज लेल, नहि कि कोनो खास जाति-वर्ग लेल

मैथिली सेवा समिति एहि पुनीत कार्यमे सर्वसमाजक कल्याण निमित्त अद्भुत सफलता पओलक । मुदा, पछातिकाल नया कार्यसमितिद्वारा कतिपय निर्णयमे एकल जातीय वर्चस्व आ ब्राह्मणवादी प्रवृत्ति बढबैत गेलापर आब ई पूजनोत्सव एक ठामसँ तीन ठामधरि विभाजित भ’ गेल अछि । समितिमे एहेन पुनीत आयोजनामे सभक सहभागिता कोना बढायल जा सकैछ तथा विधि-विधान समेत कोन ढंगसँ पूरा करैत आगू बढ़य पड़त – एहि सब विन्दुमे चिन्तन-मनन आ पुनर्समीक्षा करब अत्यन्त जरूरी अचि । समाजमे भ’ रहल चर्चा अनुसार मैथिली सेवा समिति जेहेन गरिमासम्पन्न संस्थाकेँ बदनामीसँ जोगेबाक लेल किछु अन्तर्संघर्ष सेहो भ’रहल बात एहि लेखसँ कहय चाहब ।