कृष्ण जन्माष्टमी केर मेला आ पूजा अविस्मरणीय होइछ

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लेख विचार
प्रेषित: आभा झा 
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- स्वैक्षिक
कृष्ण जन्माष्टमी ( संस्मरण )

जन्माष्टमी हमर बचपनक प्रिय पर्व छल। एहि दिनक तैयारी शुरू भऽ जाइत छल एक दिन पहिने सँ। घरक आंगनमे विशेष सजावट कयल जाइत छल, जकरामे रंग-बिरंगा तोरण, फूल-माला आ दीपक लगाओल जाइत छल। हम सब बाल-बच्चा सब एहि सब तैयारीमे सक्रिय रूप सँ शामिल होइत रही।

भोरे उठैत ही, हमर आंगनमे झूला सजाओल जाइत छल। झूला पर हम सब बड्ड खुशी सँ झूलैत रही आ कान्हाकेँ देखबाक कल्पना करैत रही। झूला पर बैसबाक लेल हम पहिने तऽ हम पहिने एक दोसर संगे लड़ाई सेहो करैत रही। कृष्णजीकेँ झूला पहिने हम झुलायब ताहि लेल सेहो लाइनमे पहिने रहैकेँ लेल अगुताई रहैत छल।

पूजा सँ पहिने, दादी आ माँ सब किछु तैयार करैत छल। पूजाक स्थल पर एक छोटका मंडप सजाओल जाइत छल, जतय कान्हाकेँ मूर्ति राखल जाइत छल। पूजाक समय, घरक सब सदस्य एक संग बैसैत रही आ विशेष ध्यान आ श्रद्धा सँ पूजा करैत छलहुँ। हम सब बच्चा सब आरती केर समय सब सँ आगू-आगू रहबाक कोशिश करैत रही।

जन्माष्टमी पर विशेष रूप सँ माखन-चोरक किवदंतीकेँ ध्यानमे रखैत, घरक आँगनमे माखन, पनीर आ दूध सजाओल जाइत छल। हम सब संगी मिलि क’ माखन चोरक भूमिका निभाबी आ भगवानक पूजा करैत छलहुँ। मधुर आ विशेष पकवान सभक सेवन हमरा सबकेँ बहुत प्रिय छल।

दिन भरि खेलकूद, मिठाई आ पूजा-पाठक संग बिताओल दिन बड्ड आनंदमय रहैत छल। हम सब अपन सँगहि मित्र आ परिवारक संग हर्षित रहैत छलहुँ। हम सब बड्ड खुशी सँ रासलीला आ अन्य धार्मिक कार्यक्रम सभमे शामिल होइत छलहुँ।

जन्माष्टमी पर घरक आँगन आ छत विशेष रूप सँ सजाओल जाइत छल। पूजाक बाद, हम सब माखन-चोरक उत्सव मनाबैत रही आ एक-दोसर सँ मधुर आ प्रसाद आदान-प्रदान करैत रही। एहि दिनक रंगीनता आ उल्लास हमर जीवनक अमूल्य अंग बनल रहल अछि। जखन हमर बच्चा सभ छोट-छोट रहै तखन हुनको सबकेँ घरक लऽग जे राम मंदिर अछि ओहिठाम कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव बड्ड धूमधामसँ मनाओल जाइत अछि, बच्चा सभकेँ ओहि मंदिरमे देखबै लेल लऽ कऽ जाइत रही। बच्चा सभ खूब उत्साहित रहैत छल। ओहि मंदिरमे लंबा लाइन लागल रहैत छलैक। मेला सेहो खूब लगैत रहै। मेलामे तरह-तरहकेँ चीज-वस्तु बच्चा सभकेँ आकर्षित करैत छल। अपन बच्चाकेँ उत्साहित देखि हमरो अपन बचपन मोन पड़ैत छल।

जन्माष्टमीकेँ समय बिताओल ओ पल हमरा जीवनमे सदिखन सजग आ प्रसन्नता के अनुभूति कराबैत अछि। ई पर्व हमर बचपनक अनुपम याद अछि, जकरा सँ जुड़ल हर पल मनकेँ हर्षित आ प्रसन्न बनबैत अछि। आइयो ई संस्मरण हमर हृदयमे चिरस्थायी ठाँव बना क’ रहैत अछि।
कतेक गाम मे खूब नम्हर नंदबाबा के संग खूब रास मूर्ति के निर्माण, पूजा , मेला आ पुनः धूमधाम सौं भसौन सेहो
होईत छल। मेला देखबाके जोश केर वर्णन करब कठिन अछि।