मैथिली जिन्दाबाद जुलाई मास केर मात्र २१ दिन मे १० हजार सँ बेसी बेर खोलल जा चुकल अछि। एहि मे सर्बाधिक प्रेरक लेख केर रूप मे शुभनारायण झा द्वारा लिखित मैथिली फिल्म ‘छौंड़ा अगत्ती – छौंड़ी भगबत्ती’ केर सफलताक संग मैथिली भाषाक स्वर्णमयी समय अयबाक सूचना छल। यैह सोचि मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक शुभनारायण झा सँ अहाँ सबकेँ विस्तार सँ परिचित करेबाक नियार बनबैत आइ हुनकर साक्षात्कार प्रकाशित कय रहल छी।
हुनकर किछु शिकायत छन्हि मैथिली पत्रकारिता जगत सँ – ओ कहैत छथि जे मैथिली साहित्यसेवी, कथाकार या पत्रकार – सब कियो मैथिली भाषा केर सेवामे अपन कला सँ जुड़ल छथि तिनकर बारे मे पाठक केँ सूचना संप्रेषण करबाक लेल जेना कलम मे रोशनाइये खत्म भऽ गेल होइन, किछु तहिना उपेक्षित रखैत छथि। मुदा मैथिली जिन्दाबाद बहुत कम दिन मे जाहि तरहें लाखों पाठक लेल लेख, आलेख, साक्षात्कार, परिचय आदि उपलब्ध करा रहल अछि ताहि सँ बहुत प्रभावित होइत अपन विषय मे सेहो एहि माध्यम सँ किछु कहबा लेल उत्साहित भेल छी।
शुभ नारायणजी: हम अपना विषय मे किछु जानकारी अपने केँ देब उचित बुइझ किछु संछेप मे मात्र दुइ टा बात कहय चाहब। पहिल जे दिल्ली प्रवासी मैथिल केर आर्थिक सुरक्षा हेतु “विद्यापति कोओपरेटिव थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट सोसायटी” केर स्थापना स्थापक सचिव रुपें 1996 मे केलहुँ। जकरा 2002 मे कोपरेटिव रजिष्ट्रार सँ पंजिकृत लिमिटेड रूप मे परिणति करायल गेल। एखन एहि मे करीब तीन हजार सँ किछेक बेसिये मैथिल दुइ लाख तक केर आर्थिक सहयोगक हेतु सुरक्षित छैथ। हम अद्याबधि सचिव छी। दोसर, हमरा विश्वास अछि जे मिथिलाक विकास मैथिली केर विकास मे छैक। कोनो भाषा केर सर्वांगीण विकास ओहि भाषा मे फिल्मक विकास सँ संभव अछि। 2005 सँ अपन अभिनयक संग यात्रा मे फिल्म निर्माण मे उपयुक्त ब्यक्ति सब केँ अभिप्रेरित करय लगलौं। एहि क्रम मे फिल्म हम नहि जायब पिया के गामं, सिंदुरदान, खुरलुच्ची, हमर सौतिन, घोघ मे चांद, हमर सौतिन, हाफ मर्डर, डमरू उस्ताद, छौंरा अगत्ती छौंरी भगबत्ती बड़का पटल पर आयल जाहि सब मे हमर अभिनय अछि। तहिना सिरियल ‘देओर भाउज’ 120 एपिसोड आ ‘चल रे बटोहिया’ 55 एपिसोड मे सेहो सौभाग्य मिथिला केर सौजन्य सँ देखाओल गेल, ताहू मे छोट पर्दा लेल हमर अभिनय गणनीय अछि। हालहि दूरदर्शन बिहार पर प्रारंभ कैल गेल मैथिली धारावाहिक ‘एस एन झा के गजबे दुनिया’ मे सेहो हमरा देखब। साल मे एकटा रंगमंच सेहो करिते टा छी। टुस्सा आ बांझी, छुतहा घैल, नै लागै दुज्जन हासा, पमरिया आ जट जटिन रंगकर्म मे देखाओल गेल प्रतिभा मे सँ प्रमुख अछि। हम अन्य भाषा मे सेहो कतेको रास अभिनय केने छी, मुदा एतय मात्र मैथिली केर चर्चा करब। पत्र-पत्रिका केँ तऽ एहि क्षेत्रक हेतु लेखनी लेल रोशनाइ छैन्हे नहि। अपने सभक पटल सऽ उत्साहवर्धनक अपेक्षा रहत जाहि स मनोबल बनल रहय।
हम: एकटा ओ कथा जे ट्रेन मे सुनेने रही…. दु गोटे गुजरात गेल रही… भाषा नहि बुझियैक…. कोना जेबी मे पाइ नहि… संघर्ष आ काज….
दोसर, मैथिली सिनेमा मे सुधार अनबाक ५ टा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सुझाव तेसर, मैथिली सिनेमा केर विकास लेल नेपाल-भारत बीच द्विपक्षीय समझौता पर बल दैत अपन विचार, चारिम, मैथिली तथा मिथिला लेल सिनेमा जगत् केर लोक केँ संगठित होयब कतेक आवश्यक? आ सिनेमा निर्माण मे रहल जोखिम हेतु सरकार सँ बीमा सुविधा लेल संघर्ष करब जरुरी। एहि पर विचार। पाँचम, मैथिली जिन्दाबाद पढैत छी कि नहि? एकरा आरो सुधारोन्मुख बनेबाक लेल किछु सुझाव देल जाउ।
शुभनारायण झा: निजी संघर्षक अनुभव तऽ हम अपन आत्मबल हेतु गुप्त रखलहुँ, मित्रताक भाव मे अहाँ संग पहिने शेयर कएने रही। ओकरा एतय उल्लेख करब…. ओतेक उचित नहि तथापि अपनेक आग्रह जरुर स्वीकारब।
हम: देखू! कलाकारक हृदय बड विशाल होइत छैक। माथा मे एतेक रास बात होइत छैक जेकरा सार्वजनिक मंच पर आनल जाय तऽ लाखों-करोड़ों पाठक केँ प्रेरणा सँ ओत-प्रोत कैल जा सकैत छैक। हम देखैत छी जे आइ-काल्हि धरकट-बेइमान खाली पाइ कमाकय अम्बार कय लेब तऽ पत्र-पत्रिका आदि मे स्थान भेटय लागत। लेकिन मैथिली जिन्दाबाद केर स्थापनाक ध्येय छैक जे केवल मैथिली भाषा आ संस्कृति सँ जुड़ल हरेक पक्ष पर प्रकाश पड़य। सब छूटल कार्य हमरा लोकनि कय सकी, ई प्रयास छैक। अहाँ, अनुपजी – दुनू गोटा सँ एहि बेर दिल्ली प्रवासक समय काफी रास चर्चा भेल आ बहुत प्रभावित भेलहुँ। एना लागल जे ‘मेहनत करय मुर्गी, अंडा खाइ यऽ चोर’ वला कहाबत मैथिली फिल्म मे सेहो छैक। कलाकार आ ओकर जीवन केर संघर्ष आदि पर चर्चा कम आ फूकास्टिंग-फूस्टिंग बेसी!
शुभनारायण झा: हाहाहा! ठीके कहलियैक। जरुरत छैक जे कलाकारक जीवन पर आधारित सच्चाई आ संघर्ष सँ जनमानस केँ प्रेरित कैल जाय।
हम: अच्छा अपन फिल्मी दुनियाक सफर सँ अवगत कराउ।
शुभनारायण झा: हमर संपूर्ण यात्रा वृत्तान्त ई किछु दुर्लभ संग्रहित फोटोक माध्यम सँ होयत से विश्वास अछि।
छौंड़ा अगत्ती – छौंड़ी भगवत्ती मे हम फूदन झा केर भूमिका मे छी
नक्सल समस्या पर बनल डीडी-१ केर फिल्म मे कारो (नक्सल नेता) केर भूमिका
खुरलुच्ची केर पंडित अभिनेता राजनेता भरत भूषण जी केर संग
घोघ मे चाँद केर एक दृश्य अभिनेता महेन्द्र नारायण जी केर संग
डमरू उस्ताद मे अभिनेत्री कल्पना मिश्रा केर संग
चल रे बटोहिया केर बटोहिया – सौभाग्य मिथिला पर प्रदर्शित
हमर सौतिन मे अभिनेत्री नेहा श्री केर संग
नाटक छूतहा घैल केर सुबोध कुमार भगत
धारावाहिक दियर-भाउज केर समादी काका
हम: अपनेक कहल कथा जे आपबीती केर रूप मे अछि, ताहि लेल एकटा अलगे प्रसंग बनत आ ताहि मे प्रकाशित करब।
शुभनारायण झा: धन्यवाद। मैथिली जिन्दाबाद केर समस्त पाठकगण धरि हमर परिचय केँ पठेबाक लेल। शुभकामना!