नागपंचमी केर माध्यम सँ लोक- संस्कृति संग पर्यावरण संरक्षण लेल कैल जैत अछि

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लेख विचार
प्रेषित: आभा झा 
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “ नागपंचमी पहिने आ आबमे अंतर !”

नागपंचमी मिथिलाक एक प्राचीन आ महत्वपूर्ण पाबनि अछि, जे हरेक वर्ष साओन मासक शुक्ल पंचमी कऽ मनाओल जाइत अछि। ई पाबनि सर्प देवताक पूजा आ सम्मानक लेल समर्पित अछि। मिथिलाक सांस्कृतिक आ धार्मिक धरोहरमे नागपंचमीक विशेष स्थान छैक, मुदा समयक संग एहि पाबनिकेँ आयोजन आ ओहि केर प्रथामे कतेक बदलाव आयल अछि।
पहिनेकेँ समयमे मिथिलामे नागपंचमीक दिन धार्मिक आ सामाजिक गतिविधि बहुत ही सांप्रदायिक आ पारंपरिक ढंगसँ आयोजित कएल जाइत छल। गाममे विशेष पूजा-अर्चना, व्रत आ यज्ञकेँ आयोजित कएल जाइत छल। पूजाक विधि बहुत ही परंपरागत आ यथावत होइत छलैक, जाहिमे सर्पकेँ मूर्ति या चित्रक विशेष तरीकासँ सजाओल जाइत छल आ हुनकर पूजन कएल जाइत छल।
गाममे एहि दिन विशेष मेलाक आयोजन होइत छल, जाहिमे स्थानीय लोक शामिल होइत छलाह। मेलामे पारंपरिक खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम आ प्रदर्शनी आयोजित कएल जाइत छल। एहि समयक पूजा – पद्धति आ उत्सवक स्वरूप पूरा तरहसँ स्थानीय आ परंपरागत छल, जाहिमे हरेक समुदाय आ परिवार अपन विशिष्ट विधिसँ पूजा करैत छल।
समयकेँ संग, नागपंचमीक पाबनिमे बदलाव आयल छैक। आधुनिक युगक प्रभावसँ पूजा – पद्धति, आयोजनक विधि आ समाजमे एहि पाबनिकेँ महत्वमे परिवर्तन भेल अछि। आजुक समयमे , मिथिलामे नागपंचमीक पाबनि पहिने जेकां पारंपरिक रूपसँ नहिं मनाओल जाइत अछि। पहिने के अपेक्षा आइ काल्हि पूजामे आधुनिकताक प्रभाव देखल जाइत अछि। पूजा विधिमे बदलाव आयल अछि, जाहिमे पारंपरिक तत्वकेँ संग आधुनिक सुविधा आ सामग्रीकेँ उपयोग होमय लागल अछि। गामक बनिस्पत, आब बेसीतर लोक शहरमे रहैत छथि, आ ओतय पूजाक आयोजनक विधि सेहो बदलि गेल छैक। हालांकि, नागपंचमीक पाबनिमे बदलाव आयल अछि, तइयो मिथिलामे एहि पाबनिकेँ धार्मिक आ सामाजिक धरोहर केँ संरक्षण कएल जा रहल अछि। कतेक स्थान पर विशेष कऽ ग्रामीण इलाकामे, पारंपरिक पूजा-पद्धति आ उत्सवक आत्माकेँ जीवित राखयकेँ कोशिश कएल जाइत अछि। स्थानीय संगठन आ धार्मिक संस्थान द्वारा पारंपरिक विधिकेँ बना कऽ राखयकेँ प्रयास कएल जाइत अछि। आधुनिक युगमे नागपंचमीक महत्वकेँ बुझबैकेँ लेल विभिन्न सांस्कृतिक आ शैक्षिक कार्यक्रमक आयोजन कएल जाइत अछि। एहि कार्यक्रमक माध्यमसँ नब पीढ़ीकेँ पारंपरिक मान्यता आ उत्सवक जानकारी देल जाइत अछि, जाहिसँ सांस्कृतिक धरोहरकेँ सहेज कऽ राखल जाए।
एहि पाबनिकेँ धार्मिक आ सामाजिक महत्वकेँ बना कऽ राखयकेँ लेल प्रयास कएल जा रहल अछि, ताकि भविष्यक पीढ़ीकेँ सेहो एहि पाबनिकेँ सांस्कृतिक धरोहरसँ अवगत कराओल जा सकै। एहि तरहें नागपंचमी मिथिलाक धार्मिक आ सांस्कृतिक पहचानक अनमोल हिस्सा अछि, जेकरा समयकेँ संग अनुकूलित कएल जा रहल छैक, मुदा एकर मूल भावना आ महत्वकेँ सहेज कऽ राखयकेँ प्रयास जारी अछि। धार्मिक मान्यताक अनुसार, नाग देवताक पूजासँ घरमे सुख-समृद्धि अबैत अछि आ परिवारमे शांति बनल रहैत अछि। ओतहि, वैज्ञानिक दृष्टिकोणसँ , एहि पाबनिकेँ माध्यमसँ पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य लाभ आ सांस्कृतिक धरोहरक संरक्षण होइत अछि। एहि तरहें, नागपंचमी केवल एक धार्मिक पाबनि नहिं छैक, बल्कि ई समाज आ पर्यावरणक लेल एक महत्वपूर्ण परंपराक हिस्सा अछि।