मिथिला सौन्दर्य प्रतियोगिताक दोसर औडिसन आषाढ़ १८ गते होयत जलेश्वर मे

२९ जून २०२४ । मैथिली जिन्दाबाद!!

पीआरजेड ग्रुप द्वारा आयोजित मिथिला सौन्दर्य प्रतियोगिताक दोसर औडिसन कार्यक्रम जलेश्वर मे आषाढ़ १८ गते मंगल दिन कयल जेबाक सूचना सम्प्रेषित कयल गेल अछि । आयोजक द्वारा एहि औडिसन मे प्रतियोगी सभक रजिस्ट्रेशन वास्ते आह्वान सेहो कयल गेल अछि । जलेश्वर स्थित नेपाल पत्रकार महासंघ केर सभागार मे औडिसन आयोजित कयल जेबाक पोस्टर जारी करैत सोशल मीडिया मार्फत बेसी सँ बेसी सहभागिता हेतु अपील कयल गेल अछि।

मैथिली जिन्दाबाद एहि प्रतियोगिताक एक औफिसियल मीडिया सहयोगी हेबाक नाते एकर सम्पादक प्रवीण नारायण चौधरी एहि मे सहभागिता केँ बल पहुँचेबाक लेल तार्किक अपील जारी कयल गेल अछि । एकर उतार एहिठाम जहिनाक तहिना राखल जाइछः

मिथिला सौन्दर्य प्रतियोगिताक पहिल औडिसन जनकपुरधाम सम्पन्न भेलाक बाद दोसर औडिसन जलेश्वर (महोत्तरी) मे राखल गेल अछि। संलग्न पोस्टर पर ध्यान दय तारीख नोट कय ली।

हमर विनम्र अपीलः

युवा चेतना मे मैथिलत्वक विकास हेतु ई कार्यक्रम नया इतिहास रचत से विश्वास बढि रहल अछि।

सामान्यतया अपन मिथिलाक लोक मे शिक्षाक भाषा मैथिली नहि रहि जेबाक कारण नेपाल मे नेपाली आ भारत मे हिन्दी – दुनू ठाम सम्पन्न वर्ग लेल अंग्रेजी भाषा शिक्षाक माध्यम भाषा बनिकय स्थिति मिथिलाक मूल संस्कारक विपरीत बना देलक।

आइ जे हम सब रोजी-रोटी लेल भटकि रहल छी, तेकर जड़ि मे यैह समस्या अछि जे अपनहि भाषा सँ हमरा सब केँ अपांग-विकलांग-दिव्यांग बना देल गेल अछि।

रहल-सहल कसैर विषयरूप मे मैथिली भाषा-साहित्यक शिक्षाक अबस्था सेहो दिन-ब-दिन खसकले जा रहल अछि। एकर कारण मैथिली भाषा मे रोजगारक अवसर कतहु सृजना नहि कयल जा रहल अछि। प्रदेश सरकार सेहो उदासीन अछि। संघीयता लागू भेलाक बाद, मधेश प्रदेशक ५०% जनसंख्याक भाषा रहितो एहि भाषा केँ एखन धरि सरकारी कामकाजक भाषा तक नहि बनायल जा सकल अछि। अनावश्यक राजनीति आ उकटा-पैंची मे राजनीतिक नीति-नियन्ता सब अपन मूल-मौलिकता केँ अपने नकारि रहल छथि।

कतहु कोनो रोजगारक अवसर नहि देखाइछ मैथिलीक पढ़ाइ कयला सँ। शिक्षक केर नियुक्ति तक सही ढंग सँ नहि कयल जाइत अछि। थोड़-बहुत अवसर जे शिक्षक-प्राचार्य सभक संग अनुवादक, विश्लेषक आदिक बनबो करैछ, ताहि सब पर नियुक्ति पूर्व मे भेल आ नव मे सबटा यत्र-कुत्र ठमकि गेल। आगाँ प्रदेश लोकसेवा आयोग परीक्षा मे, संघीय लोकसेवा आयोग परीक्षा मे, अन्य बैंक, सरकारी कार्यालय, न्यायालय, आदि मे सेहो कतहु कोनो अनिवार्यता-आवश्यकता मैथिली पढ़ल लोकक नहि रहबाक दुराबस्था मे मैथिली लोपोन्मुख भाषाक श्रेणी मे पहुँचि चुकल अछि।

एहेन स्थिति मे अपने सब स्वयं जे किछु थोड़-बहुत काज करब ताहि सँ भाषा-साहित्य-संस्कार-सभ्यताक रक्षा होयत। आर युग अनुरूपक कार्यक्रम मे ‘मिथिला सौन्दर्य प्रतियोगिता’ निश्चित अपन युवा तुरिया मे मूल-मौलिकताक महत्व-मान्यता सँ जोड़त। ओ सब बुझत जे संसार अपन सभ्यता आ पहिचान जोगेबाक लेल केना आतुर अछि। आर, हम-अहाँ जनक-जानकीक सन्तति (मैथिल) रहितो केना उजड़ल-उपवन मे बसय लेल बाध्य भेल छी।

आउ, एहि युवातुरक एहि महत्वपूर्ण यज्ञ मे बढ़ि-चढ़िकय सहभागिता जनाबी, प्रोत्साहित करी।

हरिः हरः!!