१९ मई २०२४, मैथिली जिन्दाबाद!!
विराटनगरक अरुण सिनेमा हौल मे पहिल बेर मैथिली सिनेमा लागल अछि। डिस्ट्रीब्युटर प्रतिनिधि आदित्य सिंह संग सिनेमा हौलक अनेकों स्टाफ लोकनि आ स्वयं मालिक राजु ताम्रकार द्वारा ई जनतब मैथिली जिन्दाबाद प्रतिनिधि केँ देल गेल।
भरपूर मनोरंजन सहितक एक प्रेमकथा थिक मिलन। समाज मे विद्यमान् कूरीति विरूद्ध सेहो सन्देश देबाक कोशिश कयल गेल अछि। बाल विधवाक बाकी जीवन मे रंग घोरबाक बेहतरीन सन्देश दय रहल ई मैथिली फिल्म मे मिथिलाक आरो मौलिक विषय आ पृष्ठभूमि समेटबाक काज भेल अछि। निर्देशक एकटा सफल हिन्दी सिनेमाक तर्ज पर मैथिली सिनेमा बनौलनि अछि, कनी मार-धाड़ आरो होइतय, दर्शक-दीर्घा सँ यैह प्रतिक्रिया विराटनगर मे सुनबाक लेल भेटल।
मिलन सिनेमा सन्दर्भित एकटा समीक्षा
मैथिली सिनेमा ‘मिलन’
काल्हि विराटनगरक अरुण सिनेमा हौल मे मैथिली फिल्म ‘मिलन’ देखलहुँ। फिल्म देखि मैथिली सिनेमाक स्तरोन्नति होयबाक अनुभूति भेटल। कथा ठीकठाक लागल। संजीवजी, सागरजी, नविन भाइ, शुभनारायणजी, आदि अनेकों कलाकारक अभिनय संग नायिकाक भूमिका आ अन्य महिला कलाकार लोकनिक भूमिका – अदाकारी, वेशभूषा आ मेकप संग फिल्मक विभिन्न दृश्य सब सेहो सन्तोषप्रद लागल। तड़क-भड़क आ भाव-भंगिमा मे कतेको कलाकार हमरा ओतेक प्रभावित नहि कयलनि, लेकिन सागरजी, संजीवजी आ नविनजी संग शुभनारायणजीक अदाकारी अन्दाज खुब नीक लागल। विलेन के रोल मे सेहो दुनू कलाकार खुब बढियाँ साज-सज्जा आ तौर-तरीका मे अपन भूमिका संग न्याय करैत दर्शक केँ निश्चित प्रभावित करैत देखेलाह। ओना त सामान्य हिन्दी सिनेमाक कथानक जेकाँ सिक्वेन्स जोड़बाक चेष्टा कएने छथि निर्देशक, तथापि कथाक प्रवाह मे कतहु न कतहु शिथिलता बुझायल हमरा। बेसी तकनीकी ज्ञान त नहि अछि, लेकिन पूरे कथा एकटा नायिका पर केन्द्रित अछि – नायिका केँ पर्दा पर शुरुए मे जाहि ढंग सँ प्रस्तुत कयल गेल अछि, विद्यालयक शिक्षिका रूप मे कार्यरत छथि। गामक पगडन्डी व सड़क मार्ग सँ नायिका साइकिल चढ़ि अपन दुइ शिष्याक संग बेर-बेर अभरैत छथि आर बस यात्रा मे नायक संग पहिल भेंट, ओढ़नी उड़िकय नायक संग प्राकृतिक गठबन्धनक विन्दु सँ प्रेमाचारक आरम्भ होइत – नायकक मित्र केर ओ पिसियौत भाउज रहैत छथिन, विधवा रहैत छथिन, से सब बात धीरे-धीरे सिनेमा मे स्पष्ट होइत चलि जाइत छैक आ दर्शकक मोन मे उत्कंठा बढैत चलि जाइत छैक। साफ-सुथड़ा डायलाग आ दर्शक कतहु बोर नहि होइथ ताहि तरहक हास्य-प्रहसनक प्रयोग – सब तरहें फिल्म सन्तोषप्रद बनल अछि। शुरु मे कनेक शिथिलता रहितो इन्टरभलक कनि पहिने सँ सिनेमा दर्शक केँ अपना संग बान्हि लैत अछि आ फेर अन्त तक देखय लेल बाध्य कय दैत अछि।
सिनेमाक अन्त मे फाइट (मारधाड़) कनी आर हेबाक चाहैत छल। अभिनेताक मित्र केँ जाहि तरहें खाली चचरी लेने ‘राम नाम सत्य है’ वला अन्तिम यात्राक दृश्य देखायल गेल से बड़ा रोचक छल, डायलागबाजी सेहो सहनायक दिश सँ बड़ा जबरदस्त लागल… लेकिन अन्तिम दृश्य केँ बड़ा सहज ढंग सँ नायक-खलनायक बीच सामान्य झड़प आ पुलिसिया धौंस सँ क्लोज कय देला सँ सिनेमा हौल मे जा कय देखयवला दर्शकक मोन केँ कनेक छुछुआन कयलक। बाहर निकलिकय दर्शक सब हाथ मलैत देखायल हमरा… सार! खलनायक सब केँ नीक सँ पिटाइ नहि देखेलकौ सिनेमा मे…. हम रहितियैक त मारि-मारिकय सार के खून बोकरा दितियैक आ चचरी पर ओकर लाश राखिकय राम-नाम सत्य करैत खलनायकीक अन्त एना होइत छैक से देखा दितियैक!
बाकी गीत सब बड नीक-नीक छल। दृश्यांकन सेहो सुन्दर! एकटा गीत त हमरा एना बुझायल मानू हमर पसिनक डान्स रेस्टोरेन्ट वाली गाबिकय सुना रहल हो! हाहा!! जे सटल सेहो खलास… जे हँटल सेहो खलास….! आइटम सौंग केर प्रयोग आ फिल्म मे समावेश करबाक तौर-तरीका मैथिली फिल्म लेल नवप्राण बनि रहल अछि। कोना नहि बनय! आइ-काल्हि हमरा सब जेहेन आवारा छौंड़ा सब केँ चाहबे कि करी? ओना नृत्य मे एतेक बेसी हिलेनाय आब एहि उमेर मे हमरा सोहनगर नहि बुझायल। तैयो, निर्देशक केँ बधाई! समस्त टीम केँ बधाई!! मैथिली फिल्म मे ‘मिलन’ केर मांग के बात बाहर अबिते चर्चा मे सुनि भरोस भेल। एकटा पूर्ण मनोरंजनात्मक व्यवसायिक फिल्म बनबय मे निर्माता सफल भेलाह, हुनका विशेष बधाई! कनी प्रोमोशन पर आर ध्यान दियए पड़त। पोस्ट रिलीज के प्रोमोशन मे मिलन आर बेसी सफल भ’ रहल अछि, मुदा एकरा आर व्यवस्थित रूप सँ कयल जा सकैत छल।
भविष्यक फिल्म निर्माण आर जबरदस्त हो से शुभकामना!!
हरिः हरः!!