विचार
– प्रवीण नारायण चौधरी
एखनहुँ छथि बाँचल विदेहराज मैथिल जनकक असल ‘मैथिल’ प्रजा
हम मिथिलावासी केँ संस्कृत (शास्त्र, पुराण, उपनिषद् आदि मे) ‘तीरभुक्ति’ जेकर अपभ्रंश थिक ‘तिरहुत’ ताहि ठामक निवासी सेहो कहल गेल अछि। एकर अर्थ भेलैक जे हम सब अदौकाल सँ जलस्रोतक कछेर (पोखरि या नदीक महाड़ आदि) पर भोग आ मोक्ष मे विश्वास करैत छी। तहिना हमरा सभक राजा केँ आत्मविद्याक आश्रयदाता भूपालाः सः मैथिलः कहैत उपनाम ‘मैथिल’ सँ सम्बोधित करबाक बात विष्णुपुराण मे निमिवंशक वर्णन मे कहल गेल छन्हि। एहि दुइ तथ्य केँ नीक सँ विश्लेषण करब त ‘मैथिल’ केर निवासस्थान मे ‘पोखरि’ अथवा ‘इनार’ जेहेन जलस्रोतक स्थापना सर्वप्रथम कहल गेल अछि, आ सांसारिक सम्पत्ति केँ संसारहि केर लोक लेल समर्पित कय स्वयं केँ मुक्तजीव बनेबाक सत्य पर अडिग रहबाक स्वधर्म वर्णित कयल गेल अछि।
हमर बाप-पुरखा लोकनि सेहो एहि सिद्धान्त पर अपनो रहलाह आ एहि तरहक धर्मानुसारक निवास आरो मैथिललोकक होइन्ह ताहि लेल आनहु-आनहु लेल पोखरि-इनार खुनेबाक अनेकों कृति कयलन्हि। आइ धरि हमरा सब ओतय एहि बात केँ गानल जाइत अछि जे किनकर बाप-पुरखा कतेक पोखरि-इनार खुनबौलनि, कतेक लोक केँ कतय बसौलनि आ तेकर बादे एहि बातक चर्चा अबैत अछि जे फेर ओहि पोखरि-इनार पर बसनिहार द्वारा अथवा कीर्तिपुरुष स्वयं द्वारा कोन मन्दिर, कोन देवता आ केना-कि उपस्थापित-प्रतिष्ठापित भेलथि। जे कियो महापुरुषक इतिहास आइ सँ १००-१५० वर्ष धरिक ताकब, निश्चित हुनका द्वारा दुइ-चारि-दस पोखरि-इनार खुनेबाक, मन्दिर निर्माण करेबाक तथ्य सोझाँ आबिये टा जायत। मुक्तिक मार्ग कीर्तिपुरुष सभक लेल यैह छल। आ सब कीर्तिपुरुष बनय, ई त मानव स्वभावहि मे निहित छैक।
आइ रौशन झा (ग्राम – लखनौर, मधुबनी) द्वारा एकटा पोस्ट श्री तरुण झाक मूल पोस्ट साझा करैत सूचना देल गेल अछि जे आजुक दुरुहकाल जेतय मैथिल समाज बाप-पुरखाक ठीक उल्टा आचरण करैत पोखरि-इनार भाइथ (भरि) रहल छथि, ताहि युग मे हुनक सम्बन्धी द्वारा पोखरि खुनेबाक संकल्प लेल गेल अछि। विशेष जानकारी बाद मे लेब-देब। लेकिन हमर आजुक चिन्तनक रूपरेखा मे ई सूचना हमरा लेल एकटा सम्बल भेल अछि। हम गीताक ओहि वाक्य पर निरन्तर चिन्तन कय रहल छलहुँ जे आखिर स्वधर्म छोड़ि परधर्म सँ हम सब मुक्त केना होयब, ताहि समय एहि तरहक नव कीर्तिपुरुष केर दर्शन काफी शुभ भेल एना अनुभव करैत अपने सब सेहो एहि तरहक महान वृत्तिक अनुकरण करी, से प्रेरणाक संचरण लेल ई लेख लिखल अछि। पढ़िकय मनन करबाक लेल हार्दिक आभार!!
हरिः हरः!!