सशक्त राष्ट्र लेल स्थायी सरकार आवश्यक
– दृष्टिसम्पन्न प्रधानमंत्री आ मजगुत जनादेशक प्रत्यक्ष लाभ
– २०२४-२५ धरि भारत चारिम शक्तिशाली विकसित अर्थतंत्र बनबाक सपना
– जनहित आ राष्ट्रहित मे अनेकों कठोर निर्णय
– भारत केँ हमेशा उद्वेलित आ कमजोर राखयवला विदेशी शक्ति कमजोर
– आतंकवाद आ बाहरी शक्ति सँ मुक्तिक वातावरण
भारत जेहेन विशाल लोकतंत्रक संघीय संरचना मे केन्द्र सरकार आ राज्य सरकार जँ मजगुत जनादेश प्राप्त करैत अछि त सत्ता-संचालन मे सहजता होइत छैक, ढुलमुल रवैया सँ बहुत उपर अनेकों कठोर निर्णय देशहित मे करैत आगू बढ़ैत अछि। विगत १० वर्ष मे राजनीतिक स्थायित्व आर बढ़ल अछि एतय, आर एहि १० वर्ष मे अनेकों अकल्पनीय परिवर्तनकारी सशक्त कानून सेहो देश मे आनल गेल अछि। अगबे नारा वला राजनीति सँ इतर यथार्थ देशहित मे कतिपय निर्णय सँ आइ भारतक छवि एकटा मजगुत राष्ट्र रूप मे बनि गेल छैक। छठम् शक्तिशाली अर्थव्यवस्था वला राष्ट्र सँ एक पायदान उपर पाँचम शक्तिशाली अर्थशक्तिक रूप मे भारत विद्यमान् भ’ चुकल अछि एहि बीच। एतबा नहि, ५ ट्रिलियन के इकोनोमी वला पंचलाइन दिश सेहो भारतक डेग तेजी सँ बढ़ि रहल छैक। यूएसए, चीन आ जापान के बाद भारतक बीएसई (शेयर कारोबार) ४ ट्रिलियन दिसम्बर २०२३ मे क्रौस कय चुकल छैक। अर्थशास्त्री सभक मत कहैछ जे २०२४-२५ केर आर्थिक सत्र धरि भारत ५ ट्रिलियन केर अर्थतंत्र बनि जायत।
संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य लेल जनमत द्वारा कोनो एकटा राजनीतिक शक्ति प्रति पूर्ण बहुमत देनाय अत्यावश्यक होइछ। आइ भारतीय अर्थतंत्रक विकास दर ७% सँ बेसी मानल जा रहल छैक, से केवल स्थायी राजनीतिक वैचारिक मत द्वारा सरकार संचालनक कारण सँ। स्वतंत्रता प्राप्तिक बाद जखन-जखन मजगुत जनादेशक सरकार केन्द्र मे गठन भेलैक, तेना-तेना विकासक डेग आगू बढ़ैत रहलैक। तेँ राजनीतिक अस्थिरता सँ देश केँ बचेबाक लेल जनताक मन-मस्तिष्क मे सेहो ओतबे दृढ-विचार भेनाय आवश्यक छैक। दुखद पक्ष इहो जे राजनीतिक सरोकारवला सब एखन धरि ब्रिटिश सम्राज्यवादी शासन तंत्र जेकाँ जनमत केँ हमेशा विखंडित कय अपन सत्ताहितक परिपूर्ति टा सर्वोपरि बुझैछ। तथापि वर्तमान भारत सरकार मे भले हिन्दू, हिन्दूत्व आ हिन्दूवादी पक्षधरक बहुमत छैक, धर्म आधारित बात-विचार केँ तूल दय केँ भारतीय सत्ता अपन हाथ मे लेबाक काज प्रत्यक्षे घटित भेलैक हँ, लेकिन राष्ट्रनीति सँ भारत केँ प्रत्येक जनता केँ आगू बढे़बाक कार्य कयल जा रहल छैक। तेँ नीति आ नारा कहैत छैक ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’।
२०१९ मे आम निर्वाचन सँ अपार जनमत – ‘अबकी बार ३०० पार’ केर सफलतम् मंचन उपरान्त प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी भाजपा मुख्यालय पर कार्यकर्ता सब केँ सम्बोधित करैत अल्पसंख्यक हित आ विश्वास केर बात कएने रहथि। एहि बेर २०२४ मे माहौल एहेन देखि रहल छी जे अल्पसंख्यक वर्ग आ खासकय मुसलमान मतदाता मे सेहो एनडीए प्रति समर्थन अछि। विरोध मे सेहो तर्क-कुतर्क-वितर्क सब चलि रहल अछि, परञ्च अनठेकानी पंचे डेढ़ सय के हिसाब सँ कोनो तर्क-कुतर्क-वितर्क जनमत केँ प्रभावित करैत नहि बुझा रहल अछि। न त महंगाई के मुद्दा, नहिये बेरोजगारीक मुद्दा, नहिये कोनो आने मुद्दा – जे विपक्ष द्वारा उठायल जा रहल अछि, तेकर कोनो पैघ प्रभाव जनताक मन-मस्तिष्क पर नहि देखि रहल छी। चारूकात केवल ‘नमो-नमो’ केर धुन लगातार धूम मचेने अछि।
एखन त भ्रष्टाचार विरूद्ध बुझू जे विशेष अभियान चलायल गेल अछि। चुनाव मे अनाप-शनाप धनबल-जनबल लगेबाक जे गलत माहौल आइ सँ किछु दशक पूर्व मे देखल जाइक ताहि मे बहुत कमी आबि गेल अछि। चुनावी चन्दाक धन्धा मे सेहो आब पारदर्शी हिसाब रखबाक आ टैक्स पेड पैसा सँ यथोचित चन्दा बाकायदा बैंकिंग प्रणाली सँ लेल-देल जा रहल अछि। ‘कच्चा-पक्का’ वला शब्द जे ‘काला धन के मूल’ छल से आब प्रायः समाप्त होइत देखल जा रहल अछि। विपक्ष द्वारा एहि पर भले आंगुर उठायल जाय, लेकिन टैक्स असेसमेन्ट सिस्टम सँ बाकायदा देखार पैसाक लेनदेन चन्दा रूप मे होयब आब कोनो आर्थिक घोटालाक छानबीन लेल यथेष्ट होयबाक अबस्था बनि गेल देखबैछ। कुल मिलाकय भ्रष्टाचार विरूद्ध जीरो टौलरेन्स (शून्य सहिष्णुता) के संकल्प सेहो वर्तमान सरकार केर लोकप्रियता बढ़ा रहल अछि। एहि सब बातक नीक प्रभाव २०२४ के आम निर्वाचन मे देखि रहल छी। तखन त जून के प्रथम सप्ताह जखन जनादेशक पूर्ण गिनती घोषित होयत तखनहि कहल जा सकैछ जे ‘अबकी बार किसकी सरकार’!
हरिः हरः!!