– किसलय कृष्ण, नई दिल्ली। जुलाई १७, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
विदित अछि जे मैथिली भाषा तथा मिथिला संस्कृति संग सहरसा तथा पूर्वी मिथिलाक्षेत्रक कर्मठ पत्रकार कुमार आशीष केर पिताक इलाज मेदान्ता हस्पीटल – गुड़गाँव मे भऽ रहलैन अछि। हुनका आकस्मिक सर्जरी करय पड़ेलनि अछि। ओ स्वास्थ्यलाभ कय रहला अछि। एहि बीच मैथिली जिन्दाबाद कार्यसमूह केर आपसी समर्पण देखय योग्य बहुते रास संस्मरण बनि सकल अछि। दिल्लीक्षेत्रक लगभग सब समर्पित मैथिल अभियानी लोकनि मैथिली जिन्दाबादक प्रधान संपादक प्रवीण नारायण चौधरीक एक अपील पर आ आरो-आरो कतेको शुभेच्छु मित्र लोकनि खबैड़ सुनैत देरी कुमार आशीष सँ हालचाल पूछबाक संग-संग सहृदयता सँ सहयोग करबाक जिगेसा करैत रहला अछि। हम, किसलय तथा विमलजी मिश्र भाइ लगातार अस्पताल मे भाइ आशीष केर संग छियनि।
एहि मध्य अमरनाथ झाजी, विमलकान्त झाजी, हेमन्त भाय आदि आबिक’ मैथिल एकजुटताक प्रमाण प्रस्तुत करैत छथि तऽ अनायास मैथिली सँ आइएएस बननिहार ओ व्यक्ति जिनक पहिल समाचार मैथिली जिन्दाबाद पर प्रसारित भेल छल, ओ सफल व्यक्तित्व प्रसन्न कुमार जी केर आगमन दु:खक घड़ी मे कने काल लेल मोन केँ अत्यन्त प्रसन्न कऽ जाइत अछि । प्रसन्नजी माने एहि साल एकदम टटका टटकी यूपीएससी परीक्षामे वैकल्पिक विषय मैथिली राखि सफलताक परचम लहरौनिहार युवजन सभ मे सँ एक प्रसन्न कुमार खाँ …………… विपत्तिक दारुण घड़ी मे हुनक आगमनसँ कने काल मैथिली मे लीन भऽ गेलहुँ आ मोनक बात मैथिली अभियानी मित्र विमलजी भायकेँ कहलियनि ।
एनसीआर केर प्रसिद्ध सात सितारा अस्पताल मेदान्ता मेडिसिटी गुड़गाँवमे पत्रकार मित्र कुमार आशीषक पिताजीक हृदयरोगक इलाजमे हमहुँ ओतहि रुकल छी। मिथिला मैथिली सँ जुड़ल कतेको व्यक्तित्वक आगमन होइत रहैत अछि मनोबल-सम्बल प्रदान करैत अछि। एहि बीच प्रसन्नजी सँ किछु साक्षात्कर रूपे चर्चाक समय भेटि जाइत अछि।
फलस्वरूप प्रसन्नजी सँ एकहि संग मैथिली जिन्दाबाद आ रमपम हेलो मिथिला लेल गपशप केलहुँ । प्राप्त सूचनानुसार काल्हि राति हेलो मिथिला सँ उक्त साक्षात्कारक प्रसारण होयत आ एम्हर हम अपन आ अहाँ सभक प्रिय वेबपोर्टल मैथिली जिन्दाबाद डॅाट कॅाम लेल कीबोर्ड पर आंगुर नचा रहल छी। प्रस्तुत अछि प्रसन्न कुमार खाँ संग भेल गप्प केर सार संक्षेप ….
किसलय: मैथिली जिन्दाबाद परिवार दिशि सँ अभिवादनक संग एहि वेब पोर्टल पर सबसँ पहिल समाचार प्रकाशित भेल छल आ देखलहुँ जे ओहि मे मात्र अहींक नाम आयल छल जे प्रसन्न कुमार खाँ, बनगाँव निवासी वैकल्पिक विषय मैथिली सँ आइएएस बनि गेला। हृदय सँ बधाई दैत अहाँक अपनहि मुँहें परिचय सुनय चाहब।
प्रसन्न : हम मिथिलाक सहरसा जिलाक बनगाँव निवासी छी। पिताजी प्रो अरुण कुमार खाँ आर एम कॅालेज सहरसामे फिजीक्सक एशोसिएट प्रोफेसर छथि । पैघ भाय पंजाब नेशनल बैंकमे अधिकारी छथि आ अनुज इंजीनियरिंग स्नातक केर उपरान्त टाटा कन्सलटेन्सी मे कार्यरत ।हमर प्राथमिक शिक्षा अपन गामे मे भेल जकर बाद उच्च शिक्षा हेतु दिल्ली एलहुँ । बी टेक इलेक्ट्रॅानिक्स मे केलाक बाद टीसीएस मे कार्यरत भेलहुँ आ उक्त कार्यावधि मे उक्त सफलता भेटल ।
हार्दिक आभार जे हमरा एहि योग्य बुझलहुँ । एहिसँ पूर्व सेहो मैथिली जिन्दाबाद पर हमर सफलताक समाचार निकलि चुकल अछि तेँ धन्यवाद सेहो ।
किसलय: टेक्नोक्रेट रहितहुँ अहाँ परीक्षा लेल मैथिली विषय रुप मे कोना चयनित केलहुँ ?
प्रसन्न: मैथिली हमर मातृभाषा अछि आ हम सोचलहुँ जे हम एहिमे नीक क सकैत छी आ तकर परिणाम सोझाँ अछि ।
किसलय : कोनो कठिनाई नहि भेल मैथिली पढ़य लिखयमे…..की माध्यमिक स्तर पर मैथिली पढ़ने छलहुँ अहाँ?
प्रसन्न: जी नहि । मैथिली पढबाक सौभाग्य हमरा पहिने नहि भेटि सकल छल । मुदा बच्चहि सँ अपन भाषा केँ जीबैत आयल छी, तेँ कोनो खास दिक्कत सेहो नहि भेल ।
किसलय : मैथिली साहित्यक कोन बात अहाँ केँ प्रभावित केलक ?
प्रसन्न : महाकवि विद्यापति सँ लऽ कऽ राजकमल चौधरी धरि सभ किछु प्रभावकारी अछि । तकर बादहुक लेखक सभ स्तरीय रचना लिखि रहलाह अछि । हम ई कहब जे अपन भाषाक साहित्य वैश्विक साहित्यक डेग सँ डेग मिलाक’ चलि रहल अछि ।
किसलय : प्रसन्न भाय । विगत छह बैच सँ मैथिली माध्यमे कम वा बेसी अभ्यर्थी संघ लोक सेवा आयोगक कठिन डगरकँ पार कय रहलाह अछि । पहिल बैचमे चयनित एकमात्र अनुज कुमार झा एखन कन्नौज (यूपी)क जिलाधिकारी छथि । हुनकासँ किछु दिन पूर्व हम जे प्रश्न केने छलियनि…. से अहूँ सँ पुछि रहल छी ……….. कि पदस्थापित भेलाक बाद मैथिली मोन रहत अहाँ केँ ?
प्रसन्न : हम दुनिया केर जाहि कोण मे रहब, ओतय मैथिली भाषा केर संरक्षण आ विकास लेल काज करब । काज कय केँ सिद्ध केलाक उपरान्तहि विशेष कहब । एखन एतबे जे मैथिली हमर मातृभाषा थीक आ हम कर्जदार छी एकर जेकरा चुकायब सेहो ।
किसलय : भाय फेर कहियो जमिके गप्प हेतै । एखन अहाँक आभार बहुमूल्य समय देबाक लेल ।
प्रसन्न : अवश्य भाय । हमहुँ आभारी छी हृदयसँ जे अपन समाचार पोर्टल धरि हमर विचार पहुँचेलहुँ ।