लेख
प्रेषित : कीर्ति नारायण झा
शिवरात्रिक महत्व
हमर सभक सनातन धर्म मे ३३ करोड़ देवी देवता मे शिरोमणि देव महादेव छैथि। सृष्टि केर तीनू लोक मे भगवान शिव एकटा अलग एवं अलौकिक शक्ति बला देवता छैथि। भगवान शिव एहि पृथ्वी पर अपन निराकार-साकार रूप मे निवास करैत छैथि। भगवान शिव सर्वव्यापक आ सर्वशक्तिमान छैथि। महाशिवरात्रि पावैन भगवान शिवशंकर के प्रदोष तांडव नृत्य केर महापर्व मानल जाइत अछि। शिव प्रलय के पालनहार छैथि आ प्रलय के गर्भ में प्राणी के अन्तिम कल्याण सन्निहित छैक।. शिव शव्द केर अर्थ होइत अछि कल्याण आ रात्रि शव्द के अर्थ भेल जे सुख प्रदान करय अर्थात शिवरात्रि केर अर्थ भेल कल्याण आ सुख प्रदान करय बला। “शिवस्य प्रिया रात्रियस्मिन व्रते अंगत्वेन विहिता तदव्रतं शिवरात्र्याख्याम् ।” शिवरात्रि जे फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी दिन मनाओल जाइत अछि, एहि दिन शिव पूजा, उपवास आ रात्रि जागरण केर प्रावधान होइत अछि। शिवरात्रि मे भगवान शिव केर पूजा करब वास्तव मे एकटा महाव्रत होइत अछि। शिवरात्रि केर व्रत कयला सँ ओ सांसारिक मोह-माया आ जन्म मरण आ पुनर्जन्म के वँधन सँ मनुष्य के मुक्ति भेटि जाइत छैक। ई व्रत अत्यंत बलवान होइत अछि। भोग आ मोक्ष के फलदायिनी ई व्रत होइत अछि। शिवरात्रि के दिन भोर मे स्नान कय महादेव मंदिर मे जा क शिवलिंगक विधिवत पूजा करवाक चाही आ रात्रि जागरण एहि व्रत मे विशेष फलदायी मानल जाइत अछि।. गीता मे स्पष्ट लिखल गेल अछि – “या निशा सर्वभूतानां तस्या जागर्ति संयमी। यस्या जागृति भूतानी सा निशा पश्चतो सुनेः।।” तात्पर्य अछि जे विषयासक्त सांसारिक लोक के जे राति होइत अछि ओहि मे संयमी व्यक्ति जागृत अवस्था मे रहैत छैथि आ जाहि ठाम महादेव पूजा केर अर्थ फूल चानन बेलपात धतूर भांग इत्यादि अर्पित क क भगवान शिव के जप एवं ध्यान करैत चित्त वृति के नियंत्रित करैत जीवात्मा के परमात्मा सँ एकाकार भेनाइ वास्तविक पूजा होइत अछि। भूत प्रेत पिशाच के झुंड लऽ कऽ महादेव एहि दिन अपन बिवाह करवाक लेल पहुंचल छलाह हिमालय राज के ओहिठाम। भगवान भोलेनाथक बिवाह के पाछू जगत कल्याण केर भाव नुकाएल अछि। तारकासुर के अत्याचार के समाप्त करवाक लेल शिव संतान के विधि विधान में वर्णन कयल गेल छलैक आ तकरा लेल शिव बिवाह परमावश्यक छल आ सभ मुनि महात्मा आ देवता लोकनि के तपस्या के परिणामस्वरूप आ जगत के कल्याण के लेल शिव बिवाह होइत अछि ।