Search

बौआ-बुच्ची लेल मीठ-मीठ गीत

साहित्य

– परमेश्वर कापड़ि

बालसाहित्यक अध्ययन अनुसन्धानक क्रममे हम हिन्दीक बहुते बालगीतसबके अनुवाद कएने रहिऐ । ओहिमेस’ किछु अनुवादित हिन्दी बालगीत एतए प्रस्तुत अछि –
गीत
— श्रीप्रसाद
हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम ।
हम बैठल हाथीपर, हाथी हल्लम हल्लम ।
नम्हर नम्हर सूंढ, फटाफट फट्टर फट्टर ।
नम्मा नम्मा दांत, खटाखट खट्टर खट्टर ।
भरिगर भरिगर सूंढ, झमकैत झम्मम झम्मम
हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम
पर्वत जैसन देह, थुलथुल थल्लम थल्लम ।
हल्लर हल्लर देह हिले, जॅ हाथी चल्लम।
खंम्हा जैसन पयर, थपाथप पडिते धम्मम ।
हल्लम हल्लम हौदा हाथी चल्लम चल्लम।
हाथी सनके नहि सवारी, अग्गड बग्गड
महुथवार पुच्छनपर बैठल बान्हि पग्गड ।
बच्चा बैठल बीस सब हम डग्गम डग्गम ।
हल्लम हल्लम हौदा हाथी चल्लम चल्लम।
दिन भरि घूमी हाथीपर, हल्लर हल्लर।
हाथी दादा कनि नचादू चल्लर चल्लर ।
एना नहि रे गिरि जाएब धम्मम धम्मम।
हल्लम हल्लम हौदा हाथी चल्लम चल्लम।
000
शिशुगीत
— डा राष्ट्रबन्धु
कहलक बनरा बनरीस’
चलू नहाय गंगा।
बच्चाके छोडि घरेमे
हुअए दू हुडदंगा ।
बानर आ बनरनिञा
भागि भागि क’ आएल
मुदा घाटपर डंटा स’
दुनू गेल भगाएल ।
बानर बाजल भागू दौडक’
एत्त’ मचल छै दंगा।
मन चंगा त’ भरल कठौती
बनि जाइत अछि गंगा।
000
गीत
— विष्णुकान्त पाण्डेय
घोडा नाचे हाथी नाचे
नाचे सोन चिडैया ।
किलकि किलकि क’ बंदर नाचे
भाउल ता-ताता-थैया ।
ठुमकि ठुमकिक’ खढिया नाचे
ऊँट पठरू गैया ।
आबि जुमल जे शेर सोझामे
मचल हाय गे दैया ।
000
बालगीत
— सूर्य कुमार पाण्डेय
बिलाइ मौसी चलल बनारस
ल’ क’ झोरा डंटा ।
गंगा तटपर मिलल ओकरा
पडल मूस मोटका ।
मुसरी बाजल– बिलाइ मौसी
चलू करादू पूजा ।
हमरासन पडल, एतए घाटपर
नहि भेटत दूजा ।
बिलाइ बाजल यौ पंडाजी
भूख लागल अछि भारी ।
पूजा नहि, पेट पूजाके
करू तुरुन्त तैयारी।
समझि गेल मूस
बिलाइ मौसीक पंगा मनमे ।
टीका चनन छोडि घाटपर
कूदल गंगाजी मे।
000
गीत
— रोहिताश्व आस्थाना
लड्डू पेंडा सन दिन होइत
रसगुल्ला सन राइत ।
तब कतेक खुश होइती
हम सबके मौज मनइत।
गरम जिलेबीस’ जे
जँ होइत अपन शुरू पढाइ ।
तबत’ दिनभरिमे ठीके
सबहे किताब पढा जाइत ।
गेंद सेवके होइत
ऊइखके होइत जे बल्ला ।
विकेट खूब लिती
चौका छक्का खूब लगइत ।
मीठ आमके बागमे
पढाइत जँ गरहन बिटगरहा ।
गणित हमरा हलुवासन लगैत
नीक नम्बर अबइत ।
भोर सांझ मम्मी जं
दितथि हमरा शक्कर-पाला
त’ हमरा कोइली भाइ बना’
गीत मुधुर सुनइत ।
000
गीत
— बिष्णुकान्त पाण्डेय
मटरपर चढि बन्दर निकलल
करए सयर सपाटा ।
चौबटियापर ठाढ पुलिसके
ओ रुकिक’ डटलक ।
बेबकूफ हटिजो आगूस’
आबए हमर गाडी ।
पिचाक’ मरि जएबे नाहकमे
केहन निपट अनाडी ।
000

Related Articles