“सादा जीवन उच्च विचार, येएह थिक जीवनक मूल आधार।. जे कियो एहि मंत्र अपनओलनि, भविष्य मे सतत् सफलता पाओलनि” पैघ सँ पैघ महापुरुषक जीवनी पढला सँ एहि मंत्र केर प्रत्यक्ष प्रमाण भेटैत छैक, चाहे ओ राष्ट्र पिता महात्मा गांधी होइथ, नेल्सन मंडेला होइथ अथवा लाल बहादुर शास्त्री। सभ अपन जीवन अत्यंत सादगी सँ जीबैत उच्च शिखर के प्राप्त कयलनि। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जिनकर सादगी देखि कियो हुनका व्यक्तिगत रूप सँ चिन्हैत नहिं छलैन्ह।सादगी के मूल अर्थ होइत छैक सरल आ सहज अर्थात जे व्यक्ति दुनियाक हिसाब सँ नहिं चलि कऽ अप्पन हिसाबे चलैत छैथि वेएह सादा जीवन जीवि सकैत छैथि जे आजुक जमाना मे करीब करीब मुश्किल अछि। सादा जीवन जीवय बला आदमी के आइ काल्हि गरीब अथवा मक्खीचूस के संज्ञा देल जाइत छैक । ओकरा साधन विहीन मानि समाज मे सतत् निम्न स्तर सँ सोचल जाइत छैक ।कारण आइ काल्हि के जमाना देखावटी सँ बेसी ग्रसित भऽ गेल छैक। औकादि भले किछु नहि होअय मुदा कियो बूझय नहिं तें झूठ के आडम्बर ओढि समाज के देखेनाइ आइ काल्हि के फैशन भऽ गेलैक अछि। हमरा एकटा अपन गामक घटना मोन पड़ि रहल अछि जे हमरा गाम मे एकटा सामान्य परिवार छलैक जिनका दलान पर किछु पाहुन परक एलखिन। हुनका पाहुन के देखयवाक छलैन्ह जे हम सभ उच्च स्तरीय जीवन जीवि रहल छी । ताहि दुआरे घी मे किछु पूरी छानि कऽ दलान पर जाहि ठाम पाहुन सभ बैसल छलखिन्ह ओहि ठाम पूरी लऽ जा कऽ कुकूर के बजाओलखिन आ ओकरा पूरी दैत जोर जोर सँ बजैत छैथि जे हमर कुकूर के सुखाएल रोटी खयवाक आदत नहिं छैक । यावत धरि घी में बोरल पूरी नहिं दियौ ओ खयबे नहिं करत… । इ हाल छलैक देखावटी केर आ स्थिति एहेन छलैन्ह जे अपना सभ दिन सुखाएल सोहारी खयवाक लेल सतत् जोड़ घटाउ करय पड़ैत छलैन्ह। तें सादा जीवन आ उच्च विचार आवश्यक छैक नहिं तऽ “यावत जीवेत सुखम् जीवेत, ऋणं कृत्वा घृतं पीवेत” बाली स्थिति हेएत आ ताहि सँ जीवन सभ दिन नर्क बनल रहत ।