विदेहक संतान अमिताभ-नुतन आ अतिवादी राजनीति: जीत केकर?

विशेष संपादकीय

ईमानदारीक परिणाम निलंबन आ झूठमूठ कानून मे फँसनाय? ई केहेन अतिवादी राजनीति?

amitabh thakur familyबात करबाक अछि अमिताभ ठाकुर केर जे एक भारतीय पूलिस अधिकारी (आइपीएस) – उत्तर प्रदेश कैडर – वर्तमान मे नागरिक सुरक्षाक आइजी, उत्तर प्रदेश सरकार छथि, जे समूचा देश मे एक ‘बहुचर्चित व्यक्ति’क रूप मे उभैरकय आबि गेला अछि, जे सपत्नीक स्वच्छ छवि सँ भारत तथा भारतीय समाज केर हित मे कार्यरत छथि, भ्रष्ट आ सड़ि चुकल राजनीतिक तंत्र केँ जैड़ सँ उखाड़िकय फेकबाक हिम्मत रखनिहार, मानि लेल जाउ जेना ‘सत्य आ ईमानदारी’ केर सिद्धान्त लेल जान देबाक वास्ते माथ पर कफन बान्हि लेने छथि।

टेलिविजन, न्युजपेपर, फेसबुक, ट्विटर आ यत्र-तत्र‍-सर्वत्र एखन ‘अमिताभ ठाकुर’ केर नाम सुनल जा सकैत अछि। अमिताभ ठाकुर केर आधिकारिक फेसबुक पेज पर देखैत छी तऽ ओतय सपत्नी अमिताभ-नुतन केर चर्चा भेटैत अछि। बहुतो प्रकारक गतिविधि पर अध्ययन करैत छी, मनोविज्ञानक सूक्ष्म सँ सूक्ष्मतर सिद्धान्त सँ हिनका लोकनि केँ जनबाक चेष्टा करैत छी तऽ मानू कोनो ‘बताह आ दीवाना’ सच्चा-ईमानदार अधिकारीक निश्छल रूप नजरि आबि रहल हो। बताह आ दीवाना प्रयोग करबाक लेल देवाधिदेव महादेव केर चर्चा करब हम नहि बिसरब, नहि तऽ लोक एहेन कठोर सिद्धान्तवादी केर अलगो रूप पर विचार करय लागत। बतहपनी एहि लेल जे मनुष्य एतेक अशान्ति कियैक मोल लेत, आरामक जीवन जखन हर तरहें भेटिये गेलैक अछि तखन ओकरा सब सुख-सुविधा भोगैत मक्खन खाइत जीवन जीबि लेबाक चाहैत छल…. मुदा अमिताभ ठाकुर भारतीय सिविल परीक्षा मे नीक स्थान ग्रहण केलाक बाद आइपीएस बनि प्रहरी रक्षक बनिकय लोकक सेवा सँ जीवन आरंभ केलनि आ सब भौतिक सुख-सुविधा तथा बेईमानी-भ्रष्टाचारी केर भोग केँ सर्वथा परित्याग करैत एक सच्चा आदर्शवान् अधिकारीक रूप मे जीवन जियबाक लेल प्रण कय लेलनि।

amitabh thakur1हिनक निजी जीवन मे प्रवेश करबाक दूर-दूर धरि सामर्थ्य नहि अछि हमर, मुदा ईश्वरक कृपा हिनका पर एहेन कोना बरैस गेलैन जे अपने समान प्रखर, सत्य, ईमानदार, सक्रिय आ संजीवनी पत्नी ‘नुतन’ हिनकर नसीब मे आबि गेलखिन – ई सोचिकय आ अनेको उद्धरण देखिकय हम सच मे पृथ्वी पर देवता आइयो रहैत छथि, अमिताभ-नुतन सनक पति-पत्नी सच्चा राजा हरिश्चन्द्र और रानी तारामतीक रूप मे हमरा देखा दय रहल छथि।

हिनका सबपर आयल वर्तमान संकट वास्तव मे केकरा पर संकट छैक? ई प्रश्न हमरा बर्बस ई लेख लिखय लेल मजबूर कय देलक अछि। आइ एकटा समाचार मे पढलहुँ जे उत्तरप्रदेशक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपन पिता तथाकथित ‘नेताजी’ यानि उत्तरप्रदेशक पूर्व मुख्यमंत्री आ भारत देशक पूर्व रक्षामंत्री सहित हालहि गठित ‘जनता परिवार’ समेत केर मुखिया (मुख्य संयोजक) – देखल जाय तऽ भारतक वयोवृद्ध नेता मे सँ सेहो एक मुख्य नेता ‘मुलायम सिंह यादव’ द्वारा आइपीएस तथा आइजी (नागरिक सुरक्षा) उत्तरप्रदेश अमिताभ ठाकुर केँ फोन पर धमकेबाक प्रकरण मे पिताक बचाव करैत अत्यन्त वीभत्स टिप्पणी देलनि, ओ कहला अछि जे, ‘नेताजीक यैह तरीके छन्हि केकरो बुझेबाक, हमरा कतेको बेर अहिना बुझबैत आबि रहला अछि…”। एहि टिप्पणी सँ उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा पसारल गेल वा पसारल जा रहल अराजक राज्य व्यवस्था सुस्पष्ट होइत अछि। कम सँ कम एकटा मुख्यमंत्रीक रूप मे पिताक कूबोल केँ एना दुलारू बेटा जेकाँ छिड़ियाइत हुनका नहि बचाव करबाक छलनि, बल्कि पिताक संग अपन वरिष्ठ पूलिस अधिकारी जे ईमानदारी आ सत्यताक धर्मपालन लेल प्रतिष्ठित नाम छथि, तिनको संबोधन करैत मामिला केँ शान्त करबाक दिशि डेग बढेबाक छलनि। लेकिन एतय तऽ ओहि ईमानदार और सच्चा अधिकारी केँ बेईमान और भ्रष्ट तंत्र संग जोड़बाक लेल उलटे खेल खेलायल जा रहल अछि आ ताहि मे राज्य स्वयं प्रायोजक बनिकय काज करैत देखा रहल अछि। एहना मे संकट कोनो ईमानदार अधिकारी पर, ओकर परिवार पर आ कि सनातन स्थापित ‘धर्म’ जे ‘सत्यमेव जयते’ ताहि पर भऽ रहल अछि, ई स्वत: सोचनीय अछि।

AKHILESH_13715राज्यक विरुद्ध एकटा आदमीक युद्ध कतय तक जा सकैत अछि? ई दोसर प्रश्न हमरा माथ मे कुरुबुरा रहल अछि आइ किछु दिन सँ… कोनो प्रकरण पर किछु लिखबाक हिम्मत बिना बात बुझने नहि भऽ पबैत छैक, ताहि हेतु विगत किछु दिन सँ समय निकालिकय एहि विन्दु पर निरंतर सोचि रहल छी। एकटा विदेहक धरती (मिथिला)क संतान जे सत्यसंकल्पित अछि, जे सपरिवार अपना केँ आइयो माटिये मे मिलल बुझैत अछि, जमीन पर रहैत जमीनी परिवर्तनक असल युद्ध लड़ि रहल अछि… आइ ओहि व्यक्तिक असगर युद्ध मे के सब कोना-कोना संग अछि आ ताहि सँ परिणाम कोन तरफ जायत। एहने अवस्था मे हमरा कृष्ण आ गीताक एक-एक वचन अमृत समान बुझाइत अछि। ‘सत्यमेव जयते’क भाव मोटामोटी स्पष्ट अछिये, लेकिन केन्द्रीय सरकारक तरफ सँ एहेन ईमानदार आ सच्चा अधिकारीक युद्ध लेल कोन तरहें कृष्ण बनिकय एसगर पाण्डवरूपी अमिताभ-नुतन केर परिवारक रक्षा कैल जायत, यैह परिणाम सँ ओ सच स्थापित होयबाक इन्तजार अछि जे ‘यदा-यदा हि धर्मस्य…’ कहि कृष्ण सनातन वचन स्थापित केने छथि। देखी, ई भारतक सनातनपंथ एहि ‘महाभारत’ मे कोन मंजिल पर जाकय विराम लैत अछि।

एहि बीच, अमिताभक किछु लेखनी मन केँ एतेक छूबि देलक जे ओकरा सबकेँ एतय मैथिली मे अनुवाद कय संपूर्ण मिथिलावासी लेल राखि रहल छी जे देखू, अहींक एकटा अंग आइ कोना सौंसे भारत मे ‘विदेह’केर सीख केँ स्थापित कय रहला अछि।

amitabh thakur१. गायत्री महामन्त्र

गायत्री नामसिद्ध
धन केर प्रसाद सँ युक्त
प्रजा केर पति
निश्चित रूप सँ
व्यवस्थाक ऊपर होयत
ओ स्वयं व्यवस्था होयत
शक्ति और धन सँ युक्त
“ऊपरवाला” केर वरद-हस्त
राष्ट्रव्यापी गण-दूत
पूरे तत्परता सँ
प्रकृति केर दोहन
और व्यवस्था केर सिंचन
भूगर्भ मे गहन प्रवेश
भू-सम्पदा केर निकासी
बड़का-बड़का यंत्र
दोहन अधिकार केर महामंत्र
बड़ा-बड़ा व्यवसाय
बड़ा-बड़ा व्यवसायी
आम मनुष्य चुप्प
असहाय पर अशांत
पर्वत बनि रहल पठार
पठार सतह मे बदलल
नदी भऽ रहल लुप्त
सब आनंदित, सब प्रसन्न
गाबि रहल गायत्री महामंत्र
समवेत स्वर, एक साथ
जे कियो गेलक बेसुरा गान
विक्रय मूल्य हमेशा तैयार
स्वयं ओम शंकर होइथ
होइथ इन्द्रहु केर इंद्र महिन्द्र
सभक लेल व्यवस्था
दिव्य भोजन, जलपान
साथ मे भारी भरकम दान
जे बचि गेल बेसुरा स्वर
कहियो धमकी, कहियो बलात्कार
अद्भुत स्थिति, दिव्य विस्तार
प्रकृति बचय वा होइ बंटाधार

२. हमर ओकादि

ओना तऽ हमहुँ
बड़का शूरमा छी
बहुत बड़का तुर्रमखान
किछु अलग अंदाज़
अपन अलगे सोच
अपन अलगे स्टाइल
किछु तऽ छीहे हम
किछु तऽ ख़ास छी
और हम ई छी
हम ओहो तऽ छी
बहुत किछु छी हम
हम, हम और हम

लेकिन काल्हि देखलहुँ
अपन ओकादि
अपन असली ओकादि
जखन धरती कांपल
कंप्यूटर पर बैसल रही
अचानक काँपल धरती
हज़ार गुणा काँपल
हमर मन
सब हिम्मत भेल फूर्र
एकदम कूदि उठलौं हम
जहिना छलहुँ तहिना भगलौं
लागल जान बचत तँ
लाखो पायब
सब बकैती पेट मे
सब भौकाल जेब मे
यैह छल हमर ओकादि
हमर असली ओकादि
हमरा सबहक असलियत

३. तमशायल नेता

नेता तमशाइत अछि,
फेर आपसे मे मनबैत अछि,
तमशायल मानि जाइत छैक,
फेर सब एक भऽ जाइत अछि

नेता दमसैत अछि
फेर गर्मी देखबैत अछि
काम बनि गेल तऽ ठीक
नञ आहिस्ते शांत भऽ जाइत अछि

नेता दोसराक का पैर छूबैत अछि
फेर टांग खींचैत अछि
कियो कोनो बात कतहु उठा देलक
ओकरे पर आँखि गुरारैत अछि

नेता केकर दोस्त छी
नेता केकर विरुद्ध छी
ओ अपनो नहि जानैछ
हम सब कि बुझि सकब

नेता केर हम चेला छी
ओ हमर मनमर्जी रेलने अछि
आइ एकर दोस्ती, काल्हि झगड़ा
ओ मालिक छी, हमरा संग रहबाक अछि

– अमिताभ ठाकुर