‘मि. बुफैलो’: नवका नेता

व्यंग्य प्रसंग

– प्रवीण नारायण चौधरी

mr. buffalo
नवका नेता ‘मिस्टर बुफैलो’ खास विजयी योग-मुद्रा मे फोटो सेशन करबैत – प्रवक्ता रूपी चरवाहा द्वारा फोटो खींचल गेल अछि।

आधुनिकताक क्रान्ति या विज्ञानक चमत्कार मात्र मनुखे लेल कियैक, एहि सँ पूर्ण दमन आ उत्पीड़नक अनुभूति पबैत एकटा गामक सब पोसा जानवर सब सुतली राइत मे अपन विशेष आवाज सँ खुट्टा पर बन्हले-बान्हल वार्ता शुरु कएलक। बड़-बुजुर्ग सब जे छल ओ सब पहिने अपन-अपन स्मृति सँ विषय पर संबोधन केलक। ओकर सबहक साफ कहनाए भेलैक जे मनुखक आगाँ ज्ञापन देलाक बादो कोनो तरहक असैर नहि भेल। फल्लाँ-फल्लाँ विद्रोहो केलक, खुट्टा तोड़लक, मालिक केँ लथारि सँ पछाड़लक, सामूहिक हड़ताल सेहो भेल, हर जोति लौटैतकाल बरदो-पारा सब एकाएक हुड़दंग मचेलक मुदा, मनुष्यक चतुराई सँ ओकरा सबकेँ पहिरायल नाथ पर विजय प्राप्त करब संभव नहि भेल, कारण पेटक भूखरूपी आगि जखन स्वयं केँ पीड़ी दैत अछि आ गाम-घरक परिवेश मे बिना मालिकक कुट्टी-सानीक ओकर भूख नहि मेटाइत अछि तखन ओकर सबहक सब आन्दोलन फेर ध्वस्त भऽ जाइत अछि।

दोसर पीढीक जानवर सब ओहि बात केँ आत्मसात करैत मनुखक चतुरता सँ जानवर नहि पार पेबाक कारण निकालैत बाजल जे देखू, हमरा लोकनि आइयो कतेक मजबूर छी… हम सब खुट्टे पर बान्हल-बान्हल एक-दोसर सँ अपन विशिष्ट भाषा मे वार्ता कय रहलहुँ अछि। मनुष्य कतेक आगाँ चलि गेल। आब तऽ असगरो मे कान मे किदैन सटाकय बजैत भेटैत अछि। हम सब हर जोताइ मे काज करैत रहैत छी, मनुख सब ‘आउ-आउ’ सेहो नहि करैत अपन बढैत दुनिया मे लागि गेल अछि। खेत जोतबाक लेल सेहो हमरा सबहक पूछ कम पड़ि रहल अछि। ट्रैक्टर आ मशीन आदि सँ ई सब खेत जोति लैत अछि। जमाना कतय सँ कतय आबि गेलैक। हमरा सब ओतहि छी। दूधो दुहय सँ पहिने किदैन एगो सुइया भोंकि दैत अछि, हमरा सबहक शरीर सँ बुझू जे खूनेकेँ दूध बनाय ४ के बदला ८ सेर दुहि लैत अछि।

तेसरका पीढीक एकटा नंगट परू बाजल – बुझि गेलहुँ! बुझि गेलहुँ! अहाँ सब सँ किछु होमयवला नहि अछि। मनुख संगे मनुखेवला बुद्धि लगाकय नटवारलालपंथी करैत काज नहि कय सकलहुँ। आब एना पार नहि लागत। जाइत छी हर जोतय लेल आ कहैत छियैक जे आन्दोलन पर रही। मालिकक डाँड़्ह तोड़लहुँ पेट भरय लेल तऽ कहैत छियैक जे हड़ताल मचेलहुँ। देखू हमरा! हम सब अलगे युनियन बना लेलहुँ। मनुखक बुद्धि केँ पार पाबि गेल छी। देखू, कोना-कोना होइत छैक। मालिकक बेटा अबैत अछि, चारि बेर जीभ सँ चाटि जाइत छी। आ कि ओ अपन कान मे सँ ठूसनी निकालि हमरा कान मे लगा दैत अछि। चश्मा उतारिकय हमरा पहिरा दैत अछि। मोबाइल पर कते-कते बाद देखबैत अछि। मनुख संगे हल्का टचिंग सेन्टीमेन्टल व्यवहार करैत हमरा सब करोड़ों वर्षक गुलामी सँ पार पाबि सकैत छी। देखियौक न! कुकूर सब केँ! कतेक जल्दी मनुख संग दोस्ती कय लैत अछि। आब तऽ ओकरा सब लेल दूध, मीट, आदि विशेष पोसाहारक इन्तजाम होइत छैक। मेलकानि सब संग सेहो बेड पर सुतैत अछि। कि कमी रहि गेलैक अछि?

तकर बाद कनेकाल लेल सब बुढ सँ बच्चा धरि ओहि परुक बात सुनिकय मंत्रमुग्ध होइत आपस मे ओकर बात सँ संतोष प्रकट करय लागल। ओ परु तेकर बाद कहलकैक, जानवर तखनहि मनुख सँ जितत जखन चरवाहा, हरवाहा, घसवाहा आदि सँ दोस्ती करैत मनुखक नटवरलालपंथी केँ सिखय। ईहो आइडिया सब जानवर केँ बड नीक लगलैक आ अन्त-अन्त मे ओहि परुक नाम सब कियो हँसैत राखि देलकैक ‘मिस्टर बुफैलो’। ओ मि. बुफैलो मने-मन गद्गद् भेल।

सब जानवर एहि फूट भरिक परूक बात सुनिकय ओकर नव अंदाज मे कैल गेल बात सँ सहमति दैत कहलकैक – ‘ले आइ सऽ तोंही हमरा सबहक नेता! आब बना अपन राज। जेना मोन होउक से करे।’ तहिये सँ ‘मिस्टर बुफैलो’ केँ नवका नेता मानिकय पोसा जानवर सब गुलामी सँ निवृत्तिक आन्दोलन पर रहबाक बात संचारक्षेत्र मे चर्चाक विषय बनि गेल छैक।

– नवका नेताक फोटो साभार ‘रवि रंजन कुमार साह’