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नव मैथिली फिल्म ‘विद्यापति’ – पहिने आ आब मे कि सब अन्तर अछि

नव मैथिली फिल्म ‘विद्यापति’

(पहिने आ नव मे कि सब फर्क अछि – साक्षात्कार)

नया मैथिली फिल्म ‘विद्यापति’ पूर्वनिर्मित फिल्म सँ बहुते अलग आ नव तकनीक सभक प्रयोग करबाक कारण दर्शक केँ अपना दिश आकर्षित करयवला अछि।

– सुनील कुमार झा, निर्माता

निर्माता सुनील कुमार झा संग बातचीत मे पता चलल जे हुनका द्वारा निर्मित नव मैथिली फिल्म ‘विद्यापति’ निश्चित महाकविक जीवनी पर आधारित अछि, मुदा पहिने सँ बनल बहुते रास ‘विद्यापति’ सँ भिन्न अछि। हालहि रिलीज कयल गेल ट्रेलर सेहो एहि दावीक गबाह बुझायल। आर कि सब बात भेलः

हमर जिज्ञासा रहय जे महाकवि विद्यापति पर पहिनहुँ बहुत काज भेल, ताहि सँ कि सब भिन्नता एहि नया वर्सन मे समावेश कयल गेल अछि। संगहि पहिलुका तकनीक आ नव तकनीक मे केहेन अन्तर आ तेकर दर्शक पर कोन तरहें सकारात्मक प्रभाव पड़त से, आ, एहि फिल्म केँ अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव तक जेबाक सम्भावना कोनो तरहें ध्यान राखिकय निर्माणकार्य सब कयल गेल अछि अथवा नहि से सब हमरा कनी जानकारी देब।

निर्माता झा अत्यन्त प्रसन्नता सँ कहलनि, “एखन तक जे भेल से एकतरफा छल, यानि महाकवि विद्यापतिक भक्ति प्रसंग पर फोकस्ड रहिकय फिल्म निर्माण कयल गेल। प्रस्तुत नव ‘विद्यापति’ फीचर फिल्म मे युवा विद्यापति, केना कवि, केना राजदरबार, केना भारत सहित पड़ोसी राज्यक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छलाह, हुनकर समयक युद्ध नीति, कोना विदेशी आक्रान्ता सभक संग संघर्ष, साहित्यक अनेकों पक्ष-रूप सब मे हुनकर योगदान, ई सब चित्र बिनु बुझनाय कठिन छैक। एहि सब बातक ध्यान नव ‘विद्यापति’ फिल्म मे देल गेल अछि।”

श्री झा आगू कहलनि, “किछु छंद बिनु संगीतक अपूर्ण होइछ, तेँ हुनक विभिन्न कीर्ति सब केँ संगीतवद्ध करैत फिल्म मे समावेश कयल गेल अछि। लोक कहैत छै जे गांधीजी लाठी लंगोटक ब’ले देश स्वत्रंत करेने छलाह, मुदा विद्यापति कलम चातुर्य सँ देशे नै कैयक टा देश केँ भय सँ मुक्ति दियेने छलाह! एहि फिल्मक उपादेयता एहि थीम पर आधारित अछि। किछु एहने सन कथा श्री स्याम भास्कर जीक परिकल्पना छलन्हि जकरा हम सब टीम मिलिकय सिल्वर स्क्रीन लेल उचारबाक कोशिश कयल अछि।”

मैथिली फिल्म मे अक्सरहाँ जेहने-तेहने कैमरा आ तकनीक सभक प्रयोग कय केँ उचित एडिट, मिक्सिंग, आदिक उपयोग नहि हेबाक कमजोरी केना दूर कयल गेल अछि, एहि सन्दर्भ मे श्री झा कहैत छथि, “तकनीक नव-नव आबिते रहैत छैक, मुदा जे जरुरी छय आय के हिसाब सँ से सब प्रयोग कयल गेल अछि। जेना, डायमेंशनल काज मे टु-डायमेंशनल, तीन-डायमेंशनल, ग्राफिक्स, भीएफएक्स, डीआय, साउंड मे डौल्वी, सराउणड, ईकोलाइजेशन – एकर आधुनिकतम रूप प्रयोग कयल गेल अछि। बहुते रास काज पहिनहुँ सँ होइत आबि रहल अछि मुदा मैनुअली! आब डिजिटल युग आबि गेला सँ दर्शकक दृष्टि केँ आकर्षित करयवला गुणवत्ता पर ध्यान देनाय जरूरी अछि। एहि सब दृष्टि सँ ‘विद्यापति’ सिनेमा दर्शक केँ निश्चित प्रभावित करत। साहित्याभास आ लोकाभास केर अदभुत संगम अछि सिनेमा मे, तेँ अंतर्राष्ट्रीय पटल पर गेनाय कोनो अनुचित नहि। हम सब एहि सब विन्दु पर नीक योजना बनाकय आगू बढ़ि रहल छी।”

मैथिली भाषाक भविष्य लेल फिल्मक सफलता जरूरी अछि आ ताहि मे ‘विद्यापति’ नया क्रान्ति आनत से विश्वास जागि रहल अछि। मैथिली जिन्दाबादक तरफ सँ बहुत रास शुभकामना!!

हरिः हरः!!

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