भजू सियाराम केँ भजू

आजुक भजन

(हरेक वर्ष माँ द्वारा छैठिक खरना पर किछु रचना करैत आबि रहल छी – आइ जे रचना कयल अछि से पूर्णरूपेण महाकवि तुलसीदास द्वारा उत्तरकाण्ड मे उद्धृत् ओहि कथ्य पर आधारित अछि जाहि मे ओ कहलनि अछि जे श्री राम केँ केना आ कखन भजू…)

भजू दीनबन्धु रघुनाथ भजू
भजू जानकीनाथ सनाथ भजू
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम

शरणागतवत्सल राम भजू
गुण-रूप शील से धाम भजू
नैनकमल देह से श्याम भजू
सेवक केर रक्षक नाम भजू
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम

भजू दीनबन्धु रघुनाथ भजू
भजू जानकीनाथ सनाथ भजू
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम

से बाण धनुष धारणकर्त्ता
सन्तक मन हरदम से रहता
कालक साँपहु भक्षणकर्त्ता
ममता‍ मद मोह हरणकर्त्ता
निष्कामभाव बस भजन करू
से दीनदयालुक नाम जपू
भजू दीनबन्धु रघुनाथ भजू
भजू जानकीनाथ सनाथ भजू
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम

लोभ-मोहरूपी हीरन मारक
कामदेवरूप गज संहारक
सेवक आ भगत लेल सुखदायक
संशय आ शोक के नाशकारक
श्री रामरूप से सूर्य भजू
मनभावन हरि केँ भजिते रहू
भजू दीनबन्धु रघुनाथ भजू
भजू जानकीनाथ सनाथ भजू
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम

राक्षसरूपी वन केर अगन प्रभो
जन्म-मृत्युक भय केर भगन प्रभो
वासना केर मच्छर नगन प्रभो
शत्रु दुर्जन केर नशन प्रभो
नित्य एकसमान आ अविनाशी
भक्तक मन‍-नयन-हृदय वासी
भजू दीनबन्धु रघुनाथ भजू
भजू जानकीनाथ सनाथ भजू
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम

मुनिमन आनन्दक दाता से
वसुधा केर भारक त्राता से
बड़भागी तुलसीक स्वामी से
हर शंकर दानीहुं दानी से
बस भजू भजू आ भजिते रहू
सियाराम नाम सदिखन से भजू
भजू दीनबन्धु रघुनाथ भजू
भजू जानकीनाथ सनाथ भजू
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम
सियाराम सियाराम सियाराम सियाराम

हरिः हरः!!