सत्यकथा
– प्रवीण नारायण चौधरी
माधवेश्वरनाथ महादेवक चमत्कार
संलग्न तस्वीर मार्फत श्री श्री १०८ श्री माधवेश्वरनाथ महादेव (सौराठ सभागाछी) केर दर्शन करैत एक गोट सत्यकथा साझा करय चाहब। तस्वीर राणा भाइक सौजन्य सँ प्राप्त भेल अछि, कहैत चली जे विगत किछु वर्ष सँ राणा भाइ नित्यहु माधवेश्वरनाथ महादेवक दर्शन फेसबुक मार्फत करबैत आबि रहला अछि जे हमरा मोन केँ बड नीक लगैत अछि।
नमामिशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं॥
हे ईशान!! हम मुक्तिस्वरूप, समर्थ, सर्वव्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप, निज स्वरूप मे स्थित, निर्गुण, निर्विकल्प, निरीह, अनन्त ज्ञानमय आर आकाश जेकाँ सर्वत्र व्याप्त प्रभु केँ प्रणाम करैत छी।
भोलेनाथक दर्शन करय हम २०११ ई. अप्रैल मास पहिल बेर गेल छलहुँ। अग्रज लोकनिक मार्गदर्शन अनुरूप पटना सँ सीधा सौराठ सभागाछी जेबाक अवसर पहिल बेर भेटल छल। विषय छल ‘दहेज मुक्त मिथिला’ केर स्थापना केँ जमीन पर साकार रूप प्रदान करब। कहि दी जे सौराठ सभागाछी मे हमर कुलक पुरखा द्वारा एकटा बड पैघ कृति कयल गेल छल, एकटा विशाल इनार खुनेबाक कार्य हमर खानदानक कृतिपुरुष लोकनि कएने रहथि। ताहि समय लोक केँ पानि पिबय के भारी दिक्कत भेल करैक, ब्राह्मणकर्म मे कान पर जनेऊ राखि पेशाबो करय जाय लेल पानिक अभाव छलैक आ ताहि लेल तत्कालीन प्रभावशाली परिवार रूप मे हमर पुरखाजन सँ हुनक सर-कुटुम्ब “लोहा” निवासी आग्रह कयलथिन आ ई महान् कीर्ति एक दिन मे पूर्ण कयलनि महापुरुष लोकनि। ई हमरा वास्ते बड पैघ प्रेरणाक विषय रहबे करय, आ आब ‘दहेज मुक्त मिथिला’ केर परिकल्पक रूप मे संस्थापक सदस्य लोकनि केँ कहने रहियनि जे ‘धरोहरक संरक्षण’ करब हमरा सभक कार्यप्रणाली मे रहत आ ताहि बले लोक-समाज मे प्रवेश करबाक अछि नहि कि दहेज-दहेज के हल्ला करैत आ लोक सब संग उठा-पटक आ पित्त उगलि किनको संग वैर-विद्रोह करैत दहेज मुक्त करबाक अछि… बिल्कुल एहि सिद्धान्त पर कहल गेल प्रेरणाक आधारविन्दु केँ स्मरण करैत सौराठ सभागाछी केँ पुनः उत्थान वास्ते पहुँचल छलहुँ। जाइत देरी इनारक दर्शन करैत पुरखाजन केँ प्रणाम करैत सीधा देवाधिदेव महादेव “माधवेश्वरनाथ” केर दर्शन करय पहुँचि गेलहुँ।
मन्दिर मे पहिल अनुभव
बड़ा जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे रहल माधवेश्वरनाथ मन्दिर, टूटल-भांगल देवाल, मन्दिरक देवाल आ गुम्बद सब पर जन्मल ओ मोट-मोट पीपर-बर केर गाछ आ सौंसे मन्दिरक देह केँ फाड़ि रहल ओहि गाछ सभक जैड़, भारी छगुनता मे पड़ि गेलहुँ ई देखिकय।
भीतर गर्भगृह मे प्रवेश करैत घोर अन्हार मुदा बाबाक दर्शन करिते देरी मानू मणिक प्रकाश व आभा सँ ओतप्रोत मनमस्तिष्क आ संग मे रहला किछु भाइ-बन्धु सभक संग तुरन्त गाबय लगलहुँ “नमामीशमीशान….”, अत्यन्त भाव-विह्वल भ’ ई भजन जे गेलहुँ त एना बुझायल जेना मन्दिर भीतर ईको भ’ रहल स्वर सँ स्वयं महादेव डमरूवादन करैत नाचि रहल छलाह। बुझले होयत – जखन-जखन महादेव केँ नाच करैत दर्शन करब त ‘अइउण् ऋलृक् एओङ् ऐऔच् हयवरट् लण् ञमङणनम् झभञ् घढ़धख् जवगडदश् खफछठतचटतव् कपञ् शषसर् हल्’ केर ध्वनि होयत आ वेदक ज्ञान होमय लागत, अर्थात् एहि मुद्रा धरि पहुँचनाय आ अन्तर्मन मे दीप जरबाक भान होयत। यानि लोकवेद आ इइलोक-परलोक सभक ज्ञान होमय लागत। जीवन सुधरय लागत। बिल्कुल यैह भावग्रहण कय माधवेश्वरनाथक प्रथम दर्शन करैत बाहर भैरव आदिक दर्शन करैत बाहर अयलहुँ, पंडाजी व हुनक माय केर दर्शन-प्रणाम कयलहुँ, हुनका सलामी देलहुँ आ विभूत लगाकय कइली कपार केँ सुधरबाक कामना करैत, बाबाक चरणक भक्तिक याचना कय पुनः गाछी मे प्रवेश कयलहुँ।
बाहर आबि बड़ीकाल धरि मन्दिरक जीर्णता पर मनन करैत रहलहुँ। नहि पता छल जे सौराठ गाम एतेक सम्पन्न आ शक्तिशाली लोकक गढ़ छल, बुझायल जे गामक लोक दीन-दुःखी बेसी छथि तेँ एहेन ऐतिहासिक मन्दिरक ई दुरावस्था अछि। मनहि-मन बहुत किछु सोचि रहल रही। बगलहि मे किछु दोकान सब छल। जा कय बाबाक प्रसाद सेहो खेलहुँ। गाछी मे अतिक्रमित आ अपनहि इच्छे छेकल जमीन आदिक संग ओतय निर्मित अनेकों पूर्वाधार संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) सब सेहो देखलहुँ। मनक भीतर एक्कहि टा बात चलि रहल छल जे एहेन महान् धरोहरक संरक्षणार्थ सौंसे देश-विदेश मे रहि रहल मैथिलजन (सब जाति) केँ केना प्रेरित कयल जाय। बुझि सकैत छी, २०११ ई. मे जून मास मे सभावास छल, ताबत धरि हमरा सब केँ ई सारा कार्य पूरा करबाक रहय आ ताहि लेल चुनौती साधारण नहि बल्कि बड भारी आ भयावह छल।
मोन मे उचरि गेल जे यदि ‘बाबा माधवेश्वरनाथ’ प्रसन्न भ’ जेता त जीत सुनिश्चित अछि। मन्दिरक जीर्णोद्धार करब अत्यन्त जरूरी अछि। एकरा पर्यटकीय स्थल मे परिणति देला सँ एहि सभागाछीक संरक्षण-संवर्धन जरूर होयत। तुरन्त कबुला कयलहुँ, “हे माधवेश्वरनाथ! हमरा सब सभावास मे सैकड़ों युवजन सहित एहि सभागाछी जेहेन महान् ऐतिहासिक धरोहर ‘वैवाहिक सभा’ (Place to converge for wedding of Maithil Brahman youths) केँ यदि समस्त मैथिल समुदायक दहेज मुक्त विवाह लेल नव तरहें वैवाहिक सभास्थलक रूप मे परिणति दैत एकर उचित प्रचार-प्रसार करैत छी, एकर शुभारम्भ एहि वर्षक सभावास मे सम्भव होइत अछि त अपनेक पवित्र आंगन मे कुमारि-ब्राह्मण खुअबैत पातरि प्रदान करब।” दयालु ईश्वर ‘भोलेनाथ’ सचमुच एहि लेल आशीर्वाद देलनि आ २०११ मे खूब नीक सँ शुभारम्भ सम्भव भेल।
२०११ सभावासक तुरन्त बाद मधुबनीक विकास आयुक्त सँ भेटिकय एहि दिशा मे उपयुक्त डेग उठेबाक अनुरोध कयल। ओ बहुत सकारात्मक रहथि। हमरा सभक पहल सँ काफी प्रसन्न सेहो रहथि। लेकिन एकटा बात ओ एहेन कहि देलनि जे पुनः सौराठ गामवासी व अन्य किछु सज्जन सभक उदासीनता केँ परिलक्षित कयलक, ओ कहलनि जे बिहार सरकार द्वारा ३० लाख टकाक बजट सभागाछीक विकास लेल आयल छल, मुदा गोटेक ग्रामीणक अतिक्रमण आ अतिक्रमण मुक्ति लेल असहयोगक कारण ई विकासक काज बाधित भेल। १०० सँ अधिक एनजीओ पहिनहि सँ एतुका विकास लेल कागज पर वीर बनल अछि, धरि काजक एकहु टा नहि अछि। आदि-आदि। हमरा सब मधुबनी मे एकटा प्रेस कन्फ्रेन्स राखि पत्रकार समाज सँ एहि दिशा मे उठायल गेल डेग केँ समुचित प्रचार-प्रसार लेल कहल, पत्रकार समाज सब सेहो भरोसा देलनि जे ‘दहेज मुक्त मिथिला’क गतिविधि सब पर हम सब नजरि राखब आ समुचित संचार सहयोग सेहो करब।
माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिरक जीर्णोद्धार आ महादेवक प्रसन्नता एकमात्र लक्ष्य बनल हमरा सभक। जनवरी ८, २०१२ केँ एकटा वृहत् बैसार राखल गेल। डा. शेखर चन्द्र मिश्रजीक सक्रिय सहयोग सँ एहि बैसार मे डा. फय्याज (तत्कालीन विधायक बिस्फी विधानसभा) सहित मधुबनी कचहरीक प्रख्यात वकील साहब लोकनि आ सतलखाक सतीश चन्द्र मिश्र (वरिष्ठ राजनीतिक अभियन्ता), रहिका निवासी पंडित ताराकान्त झा (तत्काली विधान परिषद् सभाध्यक्ष) केर स्थानीय प्रतिनिधि, रिटायर्ड आईएएस जीबछ झा, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ज्योति रमण झा, पंडा शम्भुनाथ झा, राजविराज नेपाल सँ वरिष्ठ सामाजिक नेतृ करुणा झा सहित स्थानीय दर्जनों अभिभावक लोकनि संग महाबैसार भेल आ सुसंयोग एहेन भेल जे निलाम्बर मिश्र ‘बाबा’ प्रेरित भ’ पंडित ताराकान्त झा सँ बात कयलनि, बैसारक व्योरा देलनि आ तुरन्त ओम्हर सँ आवाज आयल जे मुख्यमंत्री नीतीश कुमारक मधुबनी मे ‘सेवा यात्रा’ प्रस्तावित अछि, ताहि दरम्यान ‘मिथिला चित्रकला संस्थान’ केर स्थापना लेल उपयुक्त जमीन (निर्माणस्थल) उपलब्ध करेबाक आह्वान ओ करता, यदि सौराठवासी तैयार होइथ तँ सभागाछी वा अन्य उपलब्ध जमीन पर एकर स्थापना लेल जिलाधीश मार्फत प्रस्ताव तुरन्त राखथि, सब विकासक कार्य शीघ्र सम्भव होयत। माधवेश्वरनाथ मन्दिरक जीर्णोद्धार स्वयं बिहार सरकारक कला विभाग मार्फत भ’ जायत। सब कियो खूब प्रसन्न भेलाह। ओना हम ई प्रस्ताव रखने रही जे सरकारी योगदानक कोन भरोस, मात्र १-१ टका अपन जेबी सँ समस्त मैथिल लगेता त ई काज शीघ्रहि पूर्ण भ’ जायत। किछु काज एहि तरहें भेबो कयल। मन्दिरक गाछ सब कटायल। चुनेटल गेल। दुरावस्था सँ किछु सुधारक अवस्था बनल।
दहेज मुक्त मिथिला द्वारा २०१२ मे जानकी जन्मोत्सव ‘जानकी नवमी’ सौराठ सभागाछिये मे मनेबाक विचार भेल। लक्ष्य हमेशा यैह छल जे सभागाछीक चर्चा सोशल मीडिया व अन्य मीडिया मे बनल रहय। अपन मैथिलजन केर ध्यान मे ई बात नीक सँ नोटिस मे रहबाक चाही जे महादेवक प्रसन्नता भेलाक बादे ई सभागाछीक पुनरुत्थान सम्भव होयत। ताहि समय मनीष कुमार भारतीय एकटा रिपोर्ट हिन्दुस्तान अखबारक प्रथम पृष्ठ पर छपलनि – मधुबनी सँ मेलबोर्न तक दहेज मुक्त मिथिला लेल युवा सब एकजुट भ’ रहल छथि – एहि सारतत्त्वक संग। काफी लोकप्रियता हासिल कय रहल छल हमरा सभक मुहिम। अचानक किछु गोटे जातीय सीमा आ केवल मैथिल ब्राह्मण वास्ते सभास्थल होयबाक बात कहिकय हमरा सभक गतिविधि केँ निरुत्साहित करय लगलाह। तथापि बाबा माधवेश्वरनाथ महादेवक स्वयंकृपा सँ बिहार सरकारक सकारात्मक दृष्टि एहि दिशा मे आयल आ मन्दिरक जीर्णोद्धार सम्भव भ’ गेल। एतबा नहि, आइ जे मिथिला चित्रकला संस्थान सौराठहि मे स्थापित देखि रहल छी तेकरो सपना ८ जनवरी २०१२ केर बैसार आ पंडित ताराकान्त झाक सत्कृपा सँ परिपूर्ण भ’ गेल।
आब ई कहि दी – राणा भाइ आ देवेन्द्र भाइ सहित आनन्दजी, मनोज बाबू व अनेकों वीरपुत्र सब मिलिजुलि सौराठ सभागाछी – ऐतिहासिक धरोहर आ अत्यन्त अनुपम कलाकृतिक नमूना स्वरूप माधवेश्वरनाथ मन्दिरक निरन्तर रेख-देख कय रहल छथि। प्राचीन शैली मे सुरखी-चूना सँ जोड़ैया कयल जेबाक कारण मन्दिरक देवाल आ गुम्बर सब पर जन्मल गाछ सब केँ समूल नष्ट नहि कयल जा सकल अछि, तथापि एहि मन्दिरक पूर्वक जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे आमुलचुल परिवर्तन त निश्चिते आबि गेल अछि। ई सिद्ध भेल अछि जे यदि हमरा लोकनि निश्चयात्मिका बुद्धि सँ समर्पित भ’ कोनो काज करबाक लेल ठानि लेब त ओहि केँ पूरा स्वयं भगवान् कय देल करैत छथि। अस्तु! एहि कथाक सार यैह अछि जे हम मैथिलजन अपन समस्त धरोहर प्रति जागरुकता साथ कर्मशील बनि संरक्षण-संवर्धनक काज करैत रही। भगवान् निश्चित सहाय हेताह।
हरिः हरः!!