मिथिलाक प्रसिद्ध प्रेमी जोड़ा के सब भेलाह?
संचारकर्मी मित्र (भाइ) नवीन कर्ण फोन कयलनि आ पुछलनि जे मिथिलाक प्रसिद्ध युगल प्रेमीक किछु नाम हमर नजरि मे हो तँ हुनका एक गीति-रचना वास्ते सुझाव रूप मे कहल जाय। हम अकबका गेलहुँ। न ओतेक अध्ययन आ न तेहेन कोनो चट् दय कहयवला नाम अभरल। कनी सोचिकय सलहेश-कुसुमाक नाम बजबे करितहुँ ता धरि नवीनजी अपनहि कहि देला जे सलहेश-कुसुमा जेकाँ ऐतिहासिक प्रेमी युगल जोड़ीक नाम चाही… फेर सकपका गेलहुँ। कहलियनि जे कनी समय दिय’।
फेर मोन पड़ल ‘बिहार लोकसंस्कृतिकोश – मिथिला खंड’ नामक पोथी जेकर रचयिता छथि डा. लक्ष्मी प्रसाद श्रीवास्तव। ओ बहुत रास बात एहि कोश मे संग्रह कय चुकल छथि। ताहि मे संछेप मे अनेकों व्यक्तित्वक प्रेमक प्रसिद्धिक इलाका अनुसार लिखने छथि। जेना खेदन महाराज आ मांगैन मंडलक पुत्री निरसूक प्रेम, जाहि मे खेदनक बहिन मंगलादेवी आ मनसा मंडल संग काका द्वय रामदत्त आ देवदत्त केर जिकिर कएने छथि। भगैत गीत मे खेदन-निरसूक प्रेम प्रसंग आ विवाहक कथा-गाथा केँ गाबिकय प्रस्तुत कयल जाइछ, ई प्रथा वर्तमान मधेपुरा, सहरसा, सुपौल आ नेपालक विभिन्न भाग मे आइयो जिबन्त अछि। ओना भगैत मे एहिना मानुसिक आचार-विचार मे ईश प्रभाव केँ देखबैत भावपूर्ण प्रस्तुति करबाक परम्परा केँ भगैत कहल जाइछ, ताहि मे दीन-हीन मनुष्यक संघर्ष आ लोकाचार सँ लैत युगल प्रेमीक कथा-गाथा सब सेहो समेटल जाइछ बुझा रहल अछि।
फेर मोन पड़ल किसलय कृष्ण निर्देशित लघुफिल्म ‘इतिहासः प्राइड अफ मिथिला’ केर नायक लोरिकदेव, लेकिन नायिकाक नाम नहि याद पड़ल। बाद मे नवीनजी मैसेज कयलनि जे कतहु मंजरी नामक नायिका देखलनि। तखन सँ बहुते रास सन्दर्भ सामग्री आ गूगलदेव केर सहारा लैत एहि कोशिश मे पड़ि गेलहुँ जे एहि महत्वपूर्ण विषय मे आर बात पता करी।
ता धरि नजरि गेल ‘गीताश्री’ रचित उपन्यास ‘राजनटनी’क जनतब पर, एहि मे उल्लेख अछि जे राजनटनी मीनाक्षीक प्रेम बंगाल दिश सँ सेनवंशी राजाक सन्तति मिथिलाक्षेत्र पर अपन राज कायम कयलनि से राजा बल्लाल सेन संग प्रेम कयलीह, अपन सर्वस्व निछाबर कयलीह आ बाद मे मिथिलाक ज्ञानघट केँ बाहरी शासक सँ बचेबाक लेल महत्वपूर्ण भूमिका निभेलीह।
बुझय मे आबि गेल जे प्रेमकथाक कमी नहि छैक मिथिलाक इतिहास मे, लेकिन मिथिलाक इतिहास केँ मेटेबाक षड्यन्त्र सैकड़ों वर्ष सँ चलैत आबि रहलाक चलते आखिरकार ई सब किछु छिड़िया गेल छैक, केकरो कुब्बत नहि जे मौखिक इतिहास सँ लिखित इतिहास मे एकरा हुबहु परिणति प्रदान कय दियए। राज्यविहीन मिथिलाक कतेको विरासत, धरोहर आदिक संरक्षण केना सम्भव हेतैक से चुनौती यथावत् अछि।
तखन त वेद-पुराण मे उद्धृत् मिथिला केँ कियो मेटइयो नहि सकैत अछि, भले एकर सन्तान कतबो अपन ‘निजत्व’ सँ घृणा करय, कतबो अपन बाल-बच्चा सँ अपने अन्य भाषा मे मखैर-मखैर बात कय आत्मद्रोही कुकर्म करय… अपन अस्मिता प्रति एक पाय के चिन्तन नहि आ संसार भरिक राजनीति केर चर्चा हर चाह-दोकान पर करय, बीबीसी आ भ्वाइस अफ अमेरिका रेडियो कार्यक्रमक विश्लेषण सँ लैत वर्तमान समयक हमास ओ इजरायल युद्ध आ वर्ल्ड कप क्रिकेट आदिक सम्पूर्ण विशेषज्ञ समीक्षा मिथिला मे खूब करय, धरि अपन जट-जटिन, डोमकच्छ, झिझिया, विदापत आदि लोकनाच केँ छोड़ि भिखारी ठाकुर वला परदेशिया नाचक अवधारणा आ छकड़बाजी-लौन्डा नाच सँ उपर आर्केस्ट्रा के छोट-छोट कपड़ा पहिरि छौंड़ी-नाच मे मशगुल होइत अपन अस्मिता आ पहिचान केँ छहोंछित करय, लालू-नीतीश जेहेन मसीहाक देल मुख-आवाज सँ अपनहि मे उठा-पटक करैत जनक-सलहेश जेहेन समाजवादी राजाक राज्य संचालन पद्धति केँ लतखुर्दन करय.. जे मोन हो से करय… लेकिन वेद-पुराण मे वर्णित ‘मिथिला’ सदा-सदा जिबैत रहत, बस एहि भाव मे हम मरि जायब, हमर काज भेल बुझि मुक्त भ’ जायब, भ’ गेल।
किनको लग आर किछु सन्दर्भित विषयक सामग्री उपलब्ध हो त कहब कनी!
ओना एकटा सोच हमर मस्तिष्क मे ई आयल – मिथिलाक अमर प्रेम गाथा मे सीताक राम संग प्रेम, गौरीक शंकर संग प्रेम आ यैह दुइ महानायिकाक प्रेम केँ अनेकों कवि लोकनि आ मैथिलीक अनेकों लोकगीत मे समाहित कयल गेल अछि। तहिना भाइ-बहिनक प्रेम मे सामा-चकेवा जेहेन लोकपर्व सेहो देखैत छी। सन्तान आ सृजक मातापिता व परिजनक प्रेम केर पाबनि जितिया सेहो देखैत छी। सौंसे समाज आ संसार संग अद्भुत प्रेम आ हास्यरस सँ ओतप्रोत पाबनि होली आ जुड़िशीतल देखैत छी। ईश्वर संग प्रेमक अनेकों पाबनि आ समर्पण-त्याग जेहेन अटूट प्रेम वला कतेको एकादशी-त्रयोदशीक व्रत, सोमवारी आ शुक्रवारीक व्रत, शनि-रवि पाबनि, रवि केँ समांग लेल अनोना-एकसंझा आदिक कतेको रास गाथा हमर मिथिलाक लोकजीवन मे समाहित अछि, तेँ हम वेद केँ जिबैत सदा-सनातन जिबित रहब से विश्वास अछि।
हरिः हरः!!