गम्भीरता सँ काज करैत रहू

हिसाब सँ देखल जाय त मैथिली आ मिथिलाक स्थिति मे क्रान्तिकारी परिवर्तन आबि चुकल छैक। सामाजिक संजाल केर अद्भुत सहयोग सँ विकासक परिदृश्य स्पष्ट देखि सकैत अछि सब कियो। एहि जागरणक सुखद परिणाम ई छैक जे अधिकाधिक लोक अपन मौलिक सन्दर्भ लेल मुखर भ’ काज कय रहल अछि। लोकक टिका-टिप्पणी सब दिनके बात थिकैक, प्रोत्साहित करनिहार कम आ हतोत्साहित करनिहार बेसी… ताहि सब सँ निश्चिन्त रहि अपन काज मे गम्भीरता राखि आगू बढ़ैत रहबाक चाही। एखनहुँ धरि गोटेक बातक कमी बहुत बेसी छैक, जेना –

समाचार सम्प्रेषण नगण्य भ’ रहल अछि। लेख्य रूप मे जाबत ई नहि बढ़त ताबत श्रव्य व दृश्य रूप मे सेहो स्तरीयता सम्भव नहि अछि। ओ हेलो गाइज वला प्रचलित वाक्य सँ आरम्भ कय बहकल‍-भसियायल पाँति आ ‘हम, हमर, हम्मा गीत’ गाबिकय लोकसंचार नहि बढ़ि सकैछ। एहि कारण समाचार सेहो लिखल जेबाक चाही। हमरा लोकनि अपन-अपन क्षेत्रक खबरि सब मात्र लिखनाय शुरू कय देबय त एहि मे उल्लेख्य परिवर्तन आबि जायत।

अपन वैशिष्ट्य केँ संसारक सामने उजागर करबाक जरुरत छैक। दोसरक वैशिष्ट्य प्रति आकर्षण एतबा बढ़ि गेल जे लोक करबा चौथ मनेनाय शुरू कय देलक, अपन मौलिक परम्परा सँ ओकरा कोनो खास लगाव नहि रहि गेलैक। एहि तरहक परदेशी संस्कृतिक अतिक्रमण सँ अपन मौलिकता केँ जोखिम मे देबाक प्रवृत्ति सँ समाज केँ बचेबाक लेल बेसी सँ बेसी चर्चा आ प्रकाश निजताक पृष्ठपोषण व वैशिष्ट्यक प्रचार-प्रसार सँ मात्र सम्भव होयत। एहि विषय पर बेसी लोक केँ गम्भीरता सँ काज करबाक जरूरत छैक। एतेक रास संस्था आ समूह सब जे खुजल अछि, ई ओहि मार्फत नीक सँ कय सकैत छी। होली-दिपावली मे मिलन समारोह कय समाज केँ एकजुट कय एहि सब महत्वपूर्ण विन्दु पर आपस मे चर्चा करू, धिया-पुता केँ सेहो बाजय लेल अवसर प्रदान करियौक, महिला आ युवा सब केँ आयोजन करबाक लेल संसाधन जुटबियौन आ एहि तरहें आपस मे एकजुटता व सामुहिकताक सब लाभ लैत अपन मौलिकता केँ जिबय जाउ, संवर्धन-प्रवर्धन करू।

उपरोक्त दुइ महत्वपूर्ण सन्दर्भ पर चर्चाक संग आजुक लेख केँ विराम दैत छी। हमर दृष्टि केँ आर बेसी प्रकाश मे अनबाक लेल आ उचित सलाह-सुझाव लेल अपने लोकनिक प्रतिक्रियाक स्वागत करब। धन्यवाद।

हरिः हरः!!